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Saturday, June 6, 2009

आधुनिक बनने का ये क्या मतलब

इन दिनों व्यापक स्टार पर देखा जा रहा है कि yउवा नेट कि दुनिया में खोया पड़ा है। इन्टरनेट से रू-ब-रू होना बहुत अच्छा है। लेकिन मैंने ख़ुद अपने ही जानकारों के बीच यह पाया कि वे फर्जी नाम से मेल बनाकर या ऑरकुट पर अपने बारे में ग़लत जानकारी दे रहे हैं। इसके पीछे के कुछ भाव स्पष्ट हैं। पिछले दिनों मेरे ऑरकुट पर एक स्क्रैप आया। मेरी उम्र पूछी गयी और ख़ुद ही जवाब दिया गया कि आपका संदेश बुजुर्गों जैसा है। असल में मैंने उसमें लिखा है कि रात को घर जाने के बाद में आसमान में देखता हूँ। एक तारे के पीछे से मुझे अपनी मान दिखती है मानो पूछ रही हो बेटा आ गया। इस संदेश में पुरानापन क्या है में नहीं समझ पाया। ऑरकुट कि दुनिया में मैंने देखा लोग अपनी फर्जी तस्वीर लगाकर उल्टे सीधे संदेश लिखकर पता नहीं किस फंतासी में जीने कि कोशिश करते हैं। मुझे एक छोटी सी घटना याद आ रही है, में हिंदुस्तान अखबार में था मेरी निघत ड्यूटी थी। रात को करीब १ बजे में घर के लिए दफ्तर कि गाड़ी से गया। ड्राईवर स्मार्ट सा था। उससे एकाध बार पहले भी मुलाकात हुई थी और उसके लक्षण कई मामलों में ठीक नहीं लगते थे। खैर में गाड़ी में बैठा और उसने गाड़ी के साथ फम स्टार्ट कर दिया। उसमें एक मधुर सा गाना बज रहा था। उसने चेनल बदल दिया। आधे रस्ते तक वो ऐसा करता रहा। मैंने उससे एक जगह टोका कि अच्छा गाना आ रहा है चलने दो। उसने मेरी बात पर ध्यान नहीं दिया और एक फूहर किस्म कि सीडी चला दी। मैंने उससे गाना बंद करने को कहा। उसने गाड़ी में लाइट जलाई और बोला आपकी क्या उम्र हो गयी। इसको फ़िर पूरा करूंगा इस समय १२.३० बजे हैं और द्रोप्पिंग कि गाड़ी में चलने का बुलावा आ गया है। इस समय में नईदुनिया अख़बार में हूँ और यहाँ के जितने ड्राईवर मिले अभी तक सब अच्छे हैं एक के लिए तो मैंने पंगा तक लिया। खैर बात पूरी कर लूँ। उस ड्राईवर ने जैसे ही मेरी उम्र पूछी मैंने उसे कसकर झाड़ पिलाई। मैंने कहा क्या मतलब तुम्हारा वो थोड़ा सहमा और बोला सर आपको पुराने गाने अच्छे लग रहे हैं न इसलिए। मैं उसकी इस बात का जवाब देने के काबिल अपने आप को नहीं समझ पा रहा था। मैंने उससे गाने बंद करदेने को कहा और घर पहुँचने तक चुपचाप बैठा रहा। दो दिन बाद पता चला की उस ड्राईवर को निकल दिया गया है। कारण पूछने पर पता चला कि हिंदुस्तान टाईम्स कि किसी वर्कर से बदतमीजी करने के चक्कर में निकला गया है। वह एक लड़की के बारे में कहता तो था कुछकुछ ऐसा लोगों ने बताया। उसको लगता था कि कोई अगर हंसकर बात कर रही है तो वह लाइन मार रही है। यह तो एक प्रसंग्भर है। आज बहुत से ऐसे युवा मुझे दिख जाते हैं जो अपने आप को आधुनिक साबित करने के लिए उल जुलूल हरकतें करते दिख जाते हैं।
इसी सन्दर्भ में एक बात और कहना चाहता हूँ इन दिनों हमारे यहाँ कई छात्र छात्राएं पत्रकारिता वाले प्रशिक्षण के लिए आ रहे हैं। ज्यादातर का कहना है कि जो भी गेस्ट लेक्टुरेर उन्हें पढ़ने आ रहे है ज्यादातर यही कहते हैं कि भूल जाओ आदर्शवाद, समाज सुधर और भी बहुत कुछ। मैंने उन्हें समझाया एकदम से ऐसा अंधेर नहीं है। उन्हें पढ़ने वाले हो सकता बहुत पक चुकने के बाद ऐसा कहने को उद्वेलित हुए हों या यह भी हो सकता है कि किसी नामी अखबार में नोकरी होने कि वजह से उन्हें वक्त से पहले इतनी महत्वपूर्ण जिमेदारी कुछ पत्रकारिता संस्थानों ने दे दी हो। में मानता हूँ कि हकीकत थोडी सी जुदा है लेकिन जो लोग अभी पत्रकारिता के मैदान में ककहरा पढने को उतर रहे हैं उनका मन मस्तिष्क ऐसा कर दिया जन चाहिए। शायद नहीं।

आधुनिक बनने का ये क्या मतलब