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Sunday, October 14, 2018

भावना का ऑपरेशन और डॉक्टर पूजा की टीम

dr pooja

बुधवार 26 सितंबर 2018 को रात करीब 10 बजे फोन आया डॉक्टर पूजा मेहता का। मेरे हेलो कहते ही उनका सवाल था, ‘भावना अब कैसी है?’ मैंने कहा, ‘डॉक्टर साहब अब सुधार है। मैं अभी तो ऑफिस में हूं। उसे कोई प्रॉब्लम होगी तो आपसे बात करा दूंगा।’ उन्होंने कहा, ‘इट्स ओके, अब तक ऑफिस में...नो प्रॉब्लम कभी भी बात करा सकते हो, सब ठीकठाक है, आप परेशान मत होना।’ ‘जी... अखबार का पहला एडिशन साढ़े दस बजे तक छूटता है, उसके बाद ही जाना होता है.... ओके गुड नाइट।’ हमारी बात यहीं खत्म हो गयी। मेरे ऑफिस के एक-दो मित्रों ने पूछा, ‘किसका फोन था।’ मैंने बताया कि डॉक्टर पूजा मेहता जी हैं। फोर्टिस में इन्होंने ही मेरी वाइफ का ऑपरेशन किया था। असल में 22 सितंबर को हम लोग फोर्टिस अस्पताल मोहाली गये थे। उसी दिन ऑपरेशन हुआ। उम्मीद थी कि 24 को डिस्चार्ज हो जाएंगे, लेकिन कुछ दिक्कतें आ गयीं थीं, जिसकी वजह से एक दिन और रुकना पड़ा। खैर...मेरे ऑफिस में लोगों को सरप्राइज हुआ कि कोई डॉक्टर इतना अलर्ट है। हालचाल पूछ रहा है। मैंने कहा कि मेरा स्वयं कई डॉक्टरों से पल्ला पड़ा है, लेकिन डॉक्टर पूजा और उनके अन्य साथी डॉक्टर बेहतरीन डॉक्टरों में से हैं। वाकई डॉक्टर पूजा का हमारे प्रति बहुत अच्छा व्यवहार रहा। बल्कि मेरी वाइफ के बगल में मिस्टर कुट्टी की वाइफ का बेड लगा था, वह भी डॉक्टर पूजा की बहुत तारीफ करते रहते हैं।
dr sunita
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असल में पिछले दो-तीन माह से पत्नी कभी कमर दर्द कभी पेट में दर्द की शिकायत करती थी। दिल्ली में होता तो वहां कई लोग जानकार थे, शायद जल्दी ठीक सलाह देते या जल्दी कुछ पता चल जाता। वैसे जब जो होना होता है तब होता है और कहा भी गया है ‘ईश्वरं यतकरोति शोभनं करोति।’ चंडीगढ़ में भी ऐसा ही हुआ। मैंने एक फिजीशियन को दिखाया, उन्हें लगा कि यह पथरी यानी स्टोन की दिक्कत हो सकती है। उन्होंने पेन किलर दिये और अल्ट्रासाउंड कराने की सलाह दी। अल्ट्रासाउंड कराने गये तो पथरी तो नहीं निकली अलबत्ता ओवेरियन सिस्ट की समस्या सामने आई। मैंने कई जगह दिखाया। सबसे पहले अपने पास ही एक क्लीनिक में। उन्होंने कुछ दवाएं दीं। उसके बाद मैं सेक्टर 32 स्थित जीएमसीएच अस्पताल गया। वहां डॉक्टरों ने ऑपरेशन की सलाह दी। वहां दो दिन के चक्कर में ही मेरी चकरघिन्नी बन गयी। कभी 22 नंबर जाकर पैसा जमा कराओ, कभी फलां काउंटर पर जाकर डेट डलवाओ। फलां फ्लोर पर जाकर एक्सरे करवाओ। तमाम दौड़भाग के बाद कई जांच तो कराई, लेकिन अल्ट्रासाउंड और कुछ ब्लड टेस्ट नहीं करवा पाया। वहां सबसे बड़ी दिक्कत कि लेडी के साथ कोई नहीं जा सकता। उसका पति भी नहीं। डॉक्टरों ने सीधे कहा कि आपकी ओवेरी निकाली जाएगी। यदि जरूरी हुआ तो यूटरस भी निकाला जा सकता है। वह घबराई सी बाहर आई और बोली डॉक्टर ऐसा कह रहे हैं। इस मौके पर मुझे गाजियाबाद के मोहन नगर स्थित अस्पताल में डॉक्टर ललिता टिक्कू की याद आ गयी। वह बाहर आकर कहती थीं जिस लेडी के साथ उसका पति न हो तो कृपया वो दिखाने न आयें। बोलती थीं, जिसका पति अपनी पत्नी के साथ आ ही नहीं सकता, सोचो वह कैसा होगा। वहां भी दिल्ली के  दिलशाद गार्डन स्थित जीटीबी अस्पताल में पति की एंट्री बैन थी। खैर... ललिता जी पति के साथ बैठकर संबंधित महिला के रोग या उपचार के बारे में चर्चा करती थीं। मेरे दोनों बच्चे डॉक्टर टिक्कू की ही देखरेख में हुए। दोनों डिलीवरी नॉर्मल हुईं।
चलिये ये तो हुई पुरानी बात। सेक्टर 32 में दो दिन भटकने के बाद मैं एक दिन किसी काम से प्रेस क्लब गया था। रास्ते में मुझे एक साबुन लेना था जो होमियोपैथ डॉक्टर का बताया था। मुझे वहीं एक क्लीनिक दिखा। डॉ बत्रा वहां बैठे मिले। मैंने उनसे साबुन पूछा तो उन्होंने अंदर एक लड़की को आवाज दी और उसने मुझे साबुन दे दिया। मैंने डॉक्टर से पत्नी भावना के ओवेरियन सिस्ट की बात की और पूछा कि क्या होमियोपैथ में इसका उपचार है। उन्होंने दो-चार बातें पूछीं फिर कहा कि आप तुरंत ऑपरेट करा लें। उसके बाद दवा आदि की बात हो सकती है ताकि दोबारा न बने, लेकिन अभी आप ऑपरेट ही कराओ। साइज बड़ा है। उन्होंने एक डाइग्राम बनाकर भी बताया। मैं उनसे बहुत इंप्रेस हुआ और परेशान होने लगा कि किया क्या जाये। इस बीच, शाम को दफ्तर में अपने न्यूज एडिटर हरेश वशिष्ठ जी और अन्य मित्रों के साथ कैंटीन में चर्चा करने लगा। इसी दौरान किसी ने कहा कि आपके पास तो मेडिक्लेम भी है आप क्यों नहीं उसका इस्तेमाल करते। तभी हमारे अखबार में डिजाइनर सूरज ने डॉक्टर पूजा का जिक्र किया और उनका नंबर दिया। मैंने अगले दिन उनसे बात की और डॉक्टर पूजा ने फोर्टिस बुला लिया। सारी रिपोर्ट देखने के बाद उन्होंने जरूरी फारमेलिटीज करने के लिए कहा। मैंने उनके कॉरपोरेट ऑफस जाकर अपने मेडिक्लेम की बात बताई। मुझे डॉक्टर पूजा कह चुकी थीं कि शनिवार यानी 22 सितंबर को ऑपरेशन करेंगे। उस दिन मुंबई से जाने-माने डॉक्टर नागेंद्र सरदेशपांडे भी आएंगे। इसे परीक्षा की घड़ी कहें या कुछ और कि शुक्रवार दोपहर से ही चंडीगढ़ और आसपास के इलाकों में जबरदस्त बारिश होने लगी। यहां एक बात का जिक्र करना जरूरी लग रहा है कि भावना इस सबसे पहले ही प्रेमा दीदी से आने के लिए कह चुकी थी। भांजे मनोज ने भी तुरंत हामी भरी और रविवार सुबह दीदी-जीजा जी आ गये। खैर अगली सुबह यानी शनिवार को अस्पताल जाने की चिंता भी थी। इस बीच, फरीदाबाद से भास्कर ने आने के लिए कह दिया था। हालांकि मुझे लग रहा था कि वे लोग दोपहर 12 बजे से पहले शायद ही पहुंच पाएं। लेकिन मेरे लिए यह बहुत अच्छी बात रही कि वे लोग करीब आठ बजे पहुंच गये। 9 बजे हम लोग घर से निकल गये। बच्चे प्रीति के हवाले करके। ठीक दस बजे अस्पताल पहुंचे। वहां कुछ फॉरमलटीज पूरी कर भावना को ऑपरेशन थियेटर में भेज दिया। करीब 12 बजे तक नंबर न आने पर भावना से बातचीत करने पहुंचा। उसे सांत्वना दी। दोपहर दो बजे डॉक्टर पूजा से फोन पर बात की। इस बीच, ऑफिस से कई लोगों के फोन आ रहे थे। डॉक्टर पूजा ने फोन उठाते ही कहा कि अगला नंबर भावना का ही है। तीन बजे करीब भावना का ऑपरेशन शुरू हुआ। साढ़े पांच बजे करीब मुझे ओटी में बुलाया गया और ऑपरेट कर निकाले गये सिस्ट को दिखाया। मैं दंग रह गया। साइज में वाकई बहुत बड़ा दिख रहा था। वहां मौजूद नर्स ने बताया कि इसे बायोप्सी के लिए भेजा जाएगा, रिपोर्ट एक हफ्ते में आएगी। करीब 6 बजे भावना को शेयरिंग वाले रूम नंबर 134 में शिफ्ट कर दिया गया। पूरे दिन मेरे साथ भास्कर रहा और बातचीत होती रही। इस दौरान पूरे परिवार वालों के फोन आते रहे। भावना अर्ध बेहोशी की हालत में थी। मैं उसके सूखे होंठों पर रुई से पानी लगा रहा था। पानी पिलाने के लिए मना किया गया था। रात में करीब 11 बजे डॉ पूजा उनकी टीम और डॉ नागेंद्र आये। मैंने डॉक्टर नागेंद्र साहब से कहा कि उनका बड़ा नाम सुना है। उस समय उनसे मिलकर वाकई अच्छा लगा। बेहद हम्बल। हंसमुख। डॉक्टर पूजा की टीम वहां पर मौजूद थी। इससे पहले भी उनकी टीम की डॉक्टर परमिंदर कौर, डॉक्टर सुनीता से बातचीत हो चुकी थी। मुझे पता चला कि ये लोग सुबह से पेशेंट को देखने ऑपरेशन करने में व्यस्त थे, रात 11 बजे फिर राउंड पर आये हैं। पड़ोस में ही भर्ती महिला के हसबैंड कुट्टी साहब ने भी बताया कि ये टीम बहुत अच्छी है। आश्चर्यजनक तो तब लगा जब अगली सुबह करीब 9 बजे फिर से डॉक्टरों की टीम मरीजों को देखने वार्ड में पहुंच गयी। इस दौरान भावना को कुछ-कुछ दिक्कत हो रही थी यूरिन पास करने में। डॉक्टरों ने पहले ड्रेन फिर कैथेटर लगा दिया। यह दिक्कत बाद में भी बनी रही। मैंने इस दौरान दिल्ली के जीबी पंत के एक डॉक्टर से बात कर ली उन्होंने मुझे डरा दिया कि हो सकता है कि ऑपरेशन में कुछ गड़बड़ी हो गयी हो। डॉक्टर वीडियो देखकर ही बता सकते हैं। मैं घबरा गया। हालांकि डॉक्टर मुझे पूरी तरह से आश्वस्त कर चुके थे। मैं शुक्रगुजार हूं डॉक्टर पूजा का डॉक्टर सुनीता का और उनकी टीम का जिन्होंने आधी रात, अलसुबह और हर वक्त मुझे समझाया और मेरी आशंका निर्मूल साबित हुई। डॉ पूजा खुद भावना के साथ वाशरूम में गयीं। मेडिकली ट्रीटमेंट के अलावा मैंटली भी सपोर्ट किया और डॉक्टर सुनीता ने भी नर्सिंग स्टॉफ से खास ध्यान रखने की हिदायत दी। डॉ पूजा आईवीएफ की विशेषज्ञ हैं। भावना के बहाने उनसे मिलना अच्छा रहा। बाद में जब मेरा बिल भी अस्पताल ने कुछ ज्यादा बढ़ा दिया तो डॉक्टर ने अपनी विजिटिंग फीस तक माफ करने के लिए अस्पताल स्टाफ से कह दिया। वह तो अजीब बात है कि उनकी फीस जोड़ी ही नहीं गयी थी। अस्पताल के कॉरपोरेट वाले पार्ट को छोड़ दें तो कुल मिलाकर मेरा अनुभव अच्छा रहा। भावना अब स्वास्थ्य लाभ ले रही है। उम्मीद है जल्दी ही वह पहले की तरह फिट हो जाएंगी। जैसा कि डॉक्टर पूजा ने शुरू में मुझे तब टोका था जब मैंने उनसे कहा कि भावना हमारे परिवार में सबसे फिट थी, उन्होंने कहा, ‘फिट थी नहीं बोलो, फिट हैं।’ डॉक्टरों की इस टीम को साधुवाद।