पशुओं की ब्रीडिंग का समय कब है। किसानों को कहां उचित मूल्य मिलेगा। दूध कितना शुद्ध है। ऐसी ही तमाम बातें अगर एप के जरिये मिल जाये या फिर कॉलेज से निकले बच्चे ये सब बताएं तो कैसा रहेगा। निश्चित रूप से यह एक नयी पहल होगी। ऐसा ही हरियाणा और पंजाब के कई इलाकों में हो रहा है और इसका विस्तार पहले हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड फिर अन्य राज्यों में होगा। इस संबंध में 8 राज्यों में 11 हजार बच्चों के जरिये उदय एवं मू फार्म कार्यक्रम चला रहे परम सिंह ने बताया कि राह में कई चुनौतियां हैं, लेकिन निकल पड़े हैं तो इसके सकारात्मक परिणाम निकल रहे हैं। केंद्र सरकार के स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत चला रहे इस कार्यक्रम के संबंध में परम बताते हैं कि वह 11 क्षेत्रों में ऐसे कार्यक्रम चला रहे हैं जिसमें 45 तरह की नौकरियों की संभावनाएं हैं। इनमें खेतीबाड़ी, दुग्ध उत्पाद एवं भवन निर्माण शामिल है। उन्होंने बताया कि पंजाब के संगरूर, मानसा आदि में डेयरी बिजनेस के तहत ऐसे कदम उठाये गए हैं जिससे किसानों की लागत में कमी आई है। मूलरूप से पंजाब निवासी और अब ऑस्ट्रेलिया में बस चुके परम ने चंडीगढ़ में बताया कि वह मूफार्म एप के जरिये पहले उन किसानों को जोड़ रहे हैं जिनके पास दो से पांच तक गायें हैं। अब वह जल्दी ही हरियाणा के कुरुक्षेत्र, सोनीपत, पानीपत आदि इलाकों में भी मंडी विपणन सहित कई कार्यक्रम चलाएंगे। उनका दावा है कि वर्ष 2020 तक वह अपने विभिन्न माध्यमों से दो लाख किसानों को प्रशिक्षित करेंगे। उनका कहना है कि दूध की शुद्धता नापने के लिए भी उन्होंने 'द कलर ऑफ मिल्क' अभियान चलाया है। इसके तहत वह दूध कितना सफेद यानी शुद्ध है के संबंध में प्रशिक्षण देंगे। परम का मानना है कि हमारे पशु स्वस्थ रहेंगे तो दूध अच्छा होगा। इसके लिए जानकारी के साथ-साथ साफ-सफाई पर ध्यान देने की जरूरत है। कब क्या खिलाना है, क्या ध्यान रखना है इसकी जानकारी किसानों को एप के जरिये मिल जाएगी।
Thursday, December 6, 2018
बॉलीवुड के खलनायकों का दस्तावेज, ‘मैं हूं खलनायक’
भारतीय सिनेमा के 100 साल से ज्यादा लंबे इतिहास में
सैंकड़ों अभिनेताओं और अभिनेत्रियों ने रुपहले परदे पर अनगिनत खल किरदार अदा किये
हैं, जिनसे हम
न केवल अपने आस-पास मौजूद बुरे चरित्रों को भलि-भांति पहचान सकते हैं,
बल्कि किसी संभावित खतरे से बच
भी सकते हैं।
वरिष्ठ पत्रकार फजले गुफरान की यह किताब खलनायकी के उस दौर
को हमारे सामने लाती है, जब लोग खल चरित्र निभाने वाले
कलाकारों को असल जिंदगी में भी बुरा इंसान ही समझते थे। दूसरी तरफ यह किताब कई
कलाकारों से की गई एक मुकम्मल बातचीत का यादगार सफर है, जिसमें उनके अंदर से एक ऐसा इंसान बात
करता दिखता है, जिसे
शायद किसी ने सुनने की कभी जहमत ही नहीं उठाई। किताब में प्रसिद्ध अभिनेता रजा
मुराद की बातें हैरान कर देने वाली हैं, और सोनू सूद की बातों से उत्साह और
उम्मीदें झलकती हैं। दिग्गज अभिनेता प्रेम चोपड़ा अपने और मौजूदा दौर के खलनायकों
के बारे में बेबाकी से बात करते दिखते हैं, तो मुकेश ऋषि दिल से प्राण साहब,
अजित के बारे में बताते हैं।
आज के इस दौर में जब हम ये मान बैठे हैं कि इंटरनेट पर हर
तरह की जानकारी मौजूद है, यह किताब हिन्दी सिनेमा के खलनायकों
के बारे में चार कदम आगे की और एक्सक्लूसिव बातें करती है और सिने प्रेमियों के
साथ-साथ सिनेमा के छात्रों के लिए एक टेक्सटबुक का काम करती है,
क्योंकि इसमें एक ओर अलग-अलग
दौर के दिग्गज अभिनेताओं जैसे प्राण साहब, प्रेम चोपड़ा, अजीत, जीवन, प्रेम नाथ, मदन पुरी, अमरीश पुरी, अमजद खान, डैनी, अनुपम खेर, गुलशन ग्रोवर, शक्ति कपूर, कबीर बेदी और प्रकाश राज आदि के बारे
में रोचक जानकारियां दी गयी हैं और बातें की गयी हैं, तो दूसरी ओर के. एन. सिंह,
कन्हैयालाल,
बीएम व्यास,
कमल कपूर,
अनवर हुसैन के साथ-साथ नादिरा,
शशिकला, ललिता पंवार, हेलन और बिंदु जैसी खलनायिकाओं के भी
बेहद दिलचस्प ब्यौरे दिये गये हैं। आप हैरान हो जाते हैं, 1940 के दौर में आयी अभिनेत्री कुलदीप कौर
जैसी खलनायिका के बारे में पढ़कर, जिसे किसी ने कभी याद ही नहीं किया।
वह एक ऐसी दिलेर महिला थी जो बंटवारे के समय अकेले कार चलाकर दिल्ली होते हुए
लाहौर से बंबई आ गयी थी। पुस्तक ‘’मैं हूं खलनायक’’ यह एक दस्तावेज से कम नहीं। इसे
पन्नों में समेटना नामुमकिन सा है लेकिन लेखक फजले गुफरान ने 352 पन्नों में समेटने
की कोशिश की है। करीबन 150 से अधिक खलनायक और खल चरित्र निभाने कलाकारों के बारे
में जिक्र है। इस पुस्तक की कीमत 299 रूपए है जो फिलवक्त अमेजन पर उपलब्ध है।
फिल्म पत्रकारिता और मनोरंजन जगत से जुडे पाठकों के लिए यह एक उपयोगी पुस्तक
साबित होगी ऐसी उम्मीद है।
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