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Tuesday, September 10, 2013

हंसाने के बाद संदेश देती रचनाएं

दैनिक ट्रिब्यून में पुस्तक समीक्षा का काम यदा-कदा मिलता रहता है। हाल ही में व्यंग्यकार लाज ठाकुर की तीन पुस्तकें दे दी गयीं। तीनों की समीक्षा अब दो दिन पहले छप चुकी हैं। समीक्षा जो मैंने लिखी-

हंसाने के बाद संदेश देती रचनाएं
केवल तिवारी
व्यंग्य रचना गुदगुदाने के अलावा अंत में भावुक भी कर दे तो उसे क्या कहेंगे। भावुक बातें ऐसी जैसे कोई संदेश सी छोड़ती प्रतीत हों। कभी-कभी ऐसा भी लगे कि जैसे फिल्मी गीत छोटी-छोटी बातों की है यादें बड़ी वाली पंक्ति वाकई बहुत कुछ सोचने को मजबूर करती थी। हर रचना के बाद पाठक कुछ पल के लिये सोचे, कि सच में कभी-कभी कैसे जरा सी बात का बतंगड़ बन जाता है और सोच-सोचकर वह खुद ही हंसता भी जाये। जब रचना बहुत अच्छी हो और बीच-बीच में शब्दों का दोहराव या कुछ गलतियां आ जायें तो खलता है। लगता है जैसे बेहतरीन दाल में एकाध कंकड़ आ गया है। प्रूफ की कुछ गलतियां अनेक रचनाएं एक साथ लिखने के कारण आये या फिर ध्यान न जाने कारण वह रह गईं, लेकिन हर रचना में ऐसा नहीं है। व्यंग्य लेखक लाज ठाकुर की तीन किताबों क्रमश: ढाई लाख पति, मैं डैमफूल और अटके मटके झटके की ज्यादातर रचनाएं गुदगुदातीं, शब्दों के वाण छोड़तीं हुई अंत में एक संदेश देती सी प्रतीत होती हैं।
संदेश अंधविश्वास से दूर रहने के, संदेश जल्दी संदेह न करने के और संदेश सामाजिक ताने-बाने के। तीनों किताबों की इन व्यंग्य रचनाओं में कहीं आडंबर नहीं दिखता। सामान्य शैली में एकदम मध्यवर्गीय पाठक की समझ में आ जाने वाली और उसे गुदगुदाने वाली। बात जो भी कही गई हो लगता है जैसे आम लोगों की अपनी किसी बात से मेल खाती हुई हो। यानी हमारे-आपके जीवन में या हमसे जुड़े लोगों के जीवन में जो होता हुआ दिखता-महसूसा जाता है। जिस तरह रचनाओं की सामान्य शैली है उसी तरह किसी भी पुस्तक में न तो भूमिका लिखी गयी है और न ही लेखक की ओर से कहे जाने वाले दो शब्द। जैसे कि कई किताबों में दो शब्द शीर्षक से चार-पांच पन्ने तक भरे होते हैं। ढाई लाख पति शीर्षक से उनकी रचना में कुल 21 व्यंग्य रचनाएं हैं। हर किसी रचना में या तो संदेश छिपा है या फिर ऐसा कि पाठक भावुक हो जाये।
उनकी दूसरी पुस्तक मैं डैमफूल पारिवारिक ताने-बाने और घर में होने वाली छोटी-छोटी बात कैसे बड़ी बन जाती है, जैसे मुद्दों पर ज्यादातर में बहुत ही सहज भाव से लिखा गया है। इस पुस्तक में कुछ 20 रचनाएं हैं। व्यंग्यकार लाज ठाकुर की तीसरी पुस्तक अटके मटके झटके में 17 रचनाएं हैं। इस पुस्तक में कुछ रचनाओं में शब्दों का दोहराव दिखता है। तीनों ही पुस्तक में शुरू से ही ररचनाएं शुरू हो जाती हैं। यानी कहीं भी कोई भूमिका नहीं है। हर पुस्तक के अंत में उनकी चार किताबों तीन तो उपर्युक्त और एक अन्य होली के लटके के कवर पेज को छापा गया है। कुल मिलाकर लेखक लाज ठाकुर की इन तीनों किताबों में व्यंग्य के माध्यम से लोगों को कई मसलों पर समझाया गया है कि कैसे जरा सी बात बड़ी बन जाती है और कैसे अंधविश्वास के चक्कर में पडक़र हम लोग अपना ही नुकसान करा उठते हैं।
पुस्तक 1. ढाई लाख पति 2. मैं डैमफूल 3. अटके मटके झटके
प्रकाशक : यूनिस्टार बुक्स प्रा.लि., सेक्टर 34 ए, चंडीगढ़, मूल्य क्रमश: 200, 250 और 200 रुपये
पृष्ठ संख्या क्रमश: 155, 175 और 160



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