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Friday, August 23, 2019

मेरे जेहन में हंसी दीदी

हंसी दीदी के बारे में कुछ यादें साझा करने से पहले गालिब साहब के एक शेर की दो पंक्तियां लिख रहा हूं जिसके बोल हैं-न था कुछ तो ख़ुदा था, कुछ न होता तो ख़ुदा होता
डुबोया मुझको होने ने, न होता मैं तो क्या होता! ऐसा क्यों लिखा, यह आगे संदर्भ में आ जाएगा। अब शुरू करता हूं श्रद्धांजलि स्वरूप अपनी बातें-
हंसी दीदी। अब स्वर्गीय हंसी दीदी। कुछ दिन पहले तक हम उन्हें अपने ताईजी-ताऊजी की अंतिम जीवित संतान के तौर पर जानते थे, चर्चा करते थे। दीदी के निधन की खबर आई तो ऑफिस में चर्चा की। लोगों ने सांत्वना दी साथ ही कई की नजरों में मुझे सवाल तैरते नजर आए। कुछ घनिष्ठ मित्रों ने पूछ लिया, ताऊजी की बेटी इतनी बुजुर्ग थी। मेरा सवाल था ज्यादा बुजुर्ग तो नहीं थी, हां शायद 70 के आसपास की होंगी। लोगों को फिर भी बात समझ में नहीं आयी। तब मैंने अपनी निजी बातें जिन्हें शेयर करने का मन नहीं करता, बता दीं। मैंने कहा कि मैं जब इस दुनिया में आया तो मेरे पिताजी की उम्र 65 वर्ष थी। बाकी क्या कहें, जब दुनिया में आते हैं तो समय तय होता है। खैर... अब बात हंंसी दीदी की
हंसी दीदी से आमने-सामने मुलाकात की याद मुझे तब से है जब मैं दसवीं की परीक्षा देकर गांव गया था। जाहिर है उम्र का इतना अंतर है कि मेरे पैदा होने से पहले उनकी शादी हो गयी होगी। फिर वह कभी-कबार आती भी होंगी तो मुझे याद नहीं। उसके बाद पांचवी पास करने के बाद मैं लखनऊ आ गया। खैर वर्ष 1987 में वह भी उसी दिन पहुंचीं। हम लोग डाबर घट्टी में मिले। उसने सिर पर हाथ फेरा। अन्य लोगों से बातचीत हुई। मुझसे ज्यादा नहीं हुई। गांव में जाने के बाद अगले दिन दीदी ने कहा, 'केवल के पैर बिल्कुल चाचा जैसे हैं।' पहली बार मैंने अपनी तुलना अपने पिताजी से होते हुए सुनी। उसके बाद तो दीदी से लगातार मिलना हुआ। मेरी शादी में तो वह खूब नाचीं। अभी भी वही चेहरा याद आता है। माथे तक घूंघट। फिर मिलने का यह सिलसिला चलता रहा। कभी पारिवारिक समारोहों में, कभी गांव में। मेरी हालिया मुलाकात मेरे भानजे मनोज की शादी में हुई। मैं हंसी दीदी को संस्कारों की प्रतिमूर्ति कहता था। वह हम लोगों से कहती अपने जीजाजी से कुछ कहो। उसका तात्पर्य चुहलबाजी से होता। जीजाजी भी खूब मजाक करते। हंसी दीदी का मुस्कुराता चेहरा याद आ रहा है। उसे नमन। श्रद्धांजलि। दीदी के निधन के बाद मेरी अभी जीजाजी से मुलाकात नहीं हुई है, लेकिन जब मिलूंगा तो न जाने कैसे एक-दूसरे से हम रिएक्ट करेंगे।