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Wednesday, March 4, 2020

बारिश पर हावी रिटायरमेंट का जश्न

केवल तिवारी
29 फरवरी की वह शाम थी। यादगार शाम। और ज्यादा यादगार होती, लेकिन बारिश का खलल पड़ गया। बारिश भी ऐसी कि थमने का नाम न ले। कुछ देर रुके, फिर शुरू हो जाये। बारिश के बावजूद उत्साह में कमी नहीं थी। वसुंधरा के सेक्टर 4 बी स्थित शिवगंगा अपार्टमेंट के गेट पर कुछ महिलाएं खड़ी थीं, पुरुषों की चहलकदमी जारी थी, बच्चों का उत्साह नये रंग में था। इन सबके बीच ढोल बजे रहे थे। पैर थिरकने को बेताब थे। तभी पता चला कि शर्मा जी पहुंचने वाले हैं। शर्मा जी यानी हरीशचंद्र शर्मा। जीना नंबर 10 के ‘लोकल गार्जन।’ 
शर्मा जी और भाभी जी का स्वागत करते लोग।
भाभी जी और बेटा नितिन गए थे शर्मा जी को लिवाने। असल में एलआईसी में शानदार नौकरी करने के बाद शनिवार, 29 फरवरी 2020 को शर्मा जी रिटायर हो गये। वाकई यह दौर एक नये तरह का होता है। आप नौकरी संबंधी रुटीन काम से निवृत्त होते हैं और सामाजिक दायित्वों में जुट जाते हैं। यह अच्छी बात है कि शर्मा जी ने दोनों बेटियों रुचि और सोनाली का विवाह कर दिया है, बेटे नितिन की शादी की तैयारी कर रहे हैं। दोनों बेटियां अपने-अपने परिवार में खुश हैं। उस दिन दोनों बच्चियों से मुलाकात हुई। धीरज जी ने दामादजी से परिचय कराया, बहुत अच्छा लगा। बेटे नितिन का उत्साह भी देखते ही बनता था। मुझे याद आया ठीक एक साल पहले लखनऊ में अपने भाई साहब के रिटायरमेंट का। वह तारीख 31 दिसंबर की थी। खैर उस शाम शर्मा जी जब गेट पर पहुंचे तो हम सभी ने उनका वार्म वेलकम किया। बारिश को लेकर कुछ बातें हुईं। शर्मा जी ने मजाक किया, ‘तिवारी जी चंडीगढ़ से बारिश साथ लेकर आए हैं।’ वाकई पहली रात चंडीगढ़ में खूब बारिश हुई थी। मैं रात को ही चलने वाला था, लेकिन भारी बारिश को देखते हुए मैंने कार्यक्रम टाल दिया। मैं अगले दिन यानी 29 फरवरी की ही सुबह 8 बजे चंडीगढ़ से चला। शाम 5 बजे के करीब शर्मा जी के घर पहुंच गया।
कृष्णाजी की भागदौड़ और सलाह मशिवरा
इस पूरे प्रकरण में कृष्णा जी की भागदौड़ देखने लायक और सीखने लायक थी। वह पैंट को समेटे, चप्पल में इधर से उधर भाग रहे थे। कभी खाने की टेबल गली में शिफ्ट कराने में तो कभी डीजे के साउंड बॉक्स को धीरज जी की बालकनी में रखने में। बीच-बीच में वह हम लोगों से भी सलाह-मशविरा कर लेते। इसी दौरान शर्मा जी के आने की सूचना मिली। फोटोग्राफर का इंतजार किया जाने लगा। 10 मिनट इंतजार के बाद कृष्णा जी ने कहा कि अब इंतजार नहीं चलिये। उनका यह फैसला सही रहा, क्योंकि थोड़ी देर में ही फिर भारी बारिश हो गयी।
बच्चा पार्टी का दिया खूबसूरत गिफ्ट।
बच्चों ने दिया सबसे प्यारा गिफ्ट
चंडीगढ़ लौटने के बाद शर्मा जी का फोन आया, ‘ठीक से पहुंच गये।’ फिर उन्होंने शिकायत की कि जाते वक्त मिले क्यों नहीं, बच्चों के लिए मिठाई भेजनी थी। मैंने माफी मांगते हुए कहा, ‘आशीर्वाद बनाए रखिए।’ बातों-बातों में शर्मा जी ने कहा कि उन्हें बच्चों का गिफ्ट बहुत अच्छा लगा। फिर उसकी फोटो उन्होंने भेजी। वाकई बच्चों की मासूम भावनाएं होती ही बहुत अच्छी हैं। बच्चों ने खूबसूरत फोटो लगाकर अपने दिल की बातों को इसमें लिख छोड़ा है। शर्मा जी को नये जीवन पथ पर चलने की अग्रिम बधाई। वह स्वस्थ रहें, खूब घूमें, फिरें। जल्दी ही हम लोगों की मुलाकात होगी। मैंने उन्हें चंडीगढ़ आने का निमंत्रण दिया है, देखते हैं योजना कब पूरी होती है। पेश है एक शेर-
ऑफिस से विदा हुए तो क्या, हम सबको तो साथ ही आप पाओगे

है शुभकामना हमारी, जीवन में हर कदम आप खुशियां ही पाओगे।

3 comments:

Unknown said...

सुंदर चित्रण।

Unknown said...

भावुक

Unknown said...

धन्यवाद