indiantopbligs.com

top hindi blogs

Tuesday, March 16, 2021

भंवरे की गुंजन और बचपन की यादें...

केवल तिवारी

भंवरे की गुंजन है मेरा दिल, कब से संभाले रखा है दिल, तेरे लिए, तेरे लिए... इस धरती पर मेरे अवतरण से पहले बनी फिल्म कल आज और कल का यह गीत बहुत पहले से सुनता आया हूं। हसरत जयपुरी साहब के बोल और शंकर-जयकिशन का संगीत। आज अनायास ही फिर मुंह से फूट पड़ा। असल में घर के अंदर कहीं से एक भौंरा आ गया। छोटा सा। श्रीमती जी ने कहा, इसे बाहर कर दो। फिर आजकल ततैया भी खूब आ रही हैं। शायद यह मौसम उनकी ब्रीडिंग के लिए बहुत मुफीद होता है। भंवरे को बाहर करने उसके पास गया तो भ्रामरी योग में निकलने वाली आवाज सी आयी। धीरे-धीरे लगा अरे यह आवाज तो सुनी-सुनाई सी है। आज की नहीं, बहुत पहले की। शायद मैं तीसरी या चौथी में पढ़ता होऊंगा। या हो सकता है मैं चार-पांच साल का रहा होऊंगा। कालखंड सटीक याद नहीं है, हां गांव का नजारा था, यह अच्छी तरह याद है। गौर से सोचा तो याद आ ही गया वह दौर। गांव का। माता जी खेत में गयी होती थीं। दीदी या तो स्कूल या उन्हीं के साथ खेत में। मैं घर में अकेला होता था। बाहर के कमरे यानी चाख में ऐसा ही भौंरा या बड़ी मक्खी घूमती थी और उसकी भ्रमरगान मुझे उदासी से भर देता था। कभी खिड़की पर आकर बाहर को देखने लगता या फिर बाहर आ जाता। बाहर भी सन्नाटा सा पसरा दिखता। दिन में आराम करने का रिवाज होता था। कुछ लोग या तो घर में होते ही नहीं, होते तो आराम कर रहे होते। फिर हमारे जैसे बच्चों को कौन तवज्जो दे। खैर आज यह भौंरा आया, पत्नी ने बाहर करने को कहा तो मैं बचपन की बातें बताने लग गया। फिर मुझे लगा, पहले मुझे गीत गा लेना चाहिए था, 'भंवरे की गुंजन है मेरा दिल, कब से संभाले रखा है दिल तेरे लिए, तेरे लिए...' लेकिन क्या करें, यादों के पिटारे को सिर पर लादे फिरता हूं। याद आ गया वह मंजर। चलो इसी बहाने कुछ लिखने का मन हो गया और एक छोटा सा पीस यहां लिख डाला। 
और अंकल जी का कहना, खुश रहो तो वजन बढ़ेगा
बातों-बातों में एक रात पहले की बात याद आ गयी। अपने मित्रों के साथ कहीं गया था। वहां एक अंकल जी मिले। सरदार जी। बुजुर्ग, लेकिन सेहतमंद। वहीं हॉल के बाहर रखी वजन तोलने की मशीन थी। मैंने मित्र से कहा, 'यार मेरा वजन लगातार कम हो रहा है। हालांकि डॉक्टर ने ऐसे संकेत दिए हैं, लेकिन जब से जाड़ों के कपड़े उतर गये हैं कुछ ज्यादा ही दुबला दिखने लगा हूं।' मित्र ने कहा, वजन कुछ मेरा भी कम हुआ है। हम लोग बात ही कर ही रहे थे सरदार अंकल आ गये। मैंने और मित्र ने पूछा, 'अंकल वजन बढ़ाने के लिए क्या करें?' वे तुरंत बोले, 'खुश रहा करो, अच्छी गल किया करो, ऐहते दूजा कोई गल नहीं, वजन आपे बढ़ जावेगा।' मैं बोला, 'अंकल तुसी सच्ची गल कित्ता।' फिर हम सभी हंस पड़े, थोड़ा मेरी पंजाबी बोलने पर हंसना और थोड़ा अंकल की सही बात पर सहमति जताना। फिर मैंने और मित्रों ने कहा कि वास्तव में बात छोटी सी है, लेकिन असरदार। खुश रहना चाहिए। अच्छी बातें करनी चाहिए। शेष सब चलता रहता है। चलिए बातों बातों में कुछ बातें हो गयीं, बाकी फिर कभी---

No comments: