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Sunday, April 6, 2025

यही है जीवन सार

केवल तिवारी



वैसे तो सूखी टहनी हूं, काम के नाम पर पेड़ हूं फलदार
जेहन से उखाड़कर पत्थर पर रोपा था, राहें थीं कांटेदार
संघर्ष ही जीवन है, इस शिक्षा को सुना नहीं, मैंने था देखा
चलते रहो अपने पथ पर, बनेगी जरूर कोई भाग्य रेखा
मां, भाई-बहनों से सीखा, चलते रहने का सबक
जीवन पथ पर चलते रहेंगे, सांसें हैं जब तक
पतझड़ और वसंत बहार, ये तो हैं जिंदगी के यार
सफलता की राह में, कभी इधर तो कभी उस पार।
जीवन का है सार यही, अपनों के साथ रहो सही
गलत-वलत सब भ्रम है, जीवन का मतलब श्रम है।
हम रुकेंगे, पर वक्त नहीं थमेगा
ये जीवन तो चलता रहेगा।
अपनेपन को रखो बरकरार
बातें यूं ही होती रहेंगी दो-चार।
मन में अचानक आए कुछ उदगार
लिखते-लिखते निचुड़ ही गया सार
स्वास्थ्य आपका पहला मित्र, दूजा परिवार
अकेलेपन को क्यों ओढ़ते हो, मिलकर चले संसार।

Friday, April 4, 2025

याद हैं न मनोज कुमार यानी भारत कुमार की फिल्मों के वे सदाबहार गीत... हर कोई कह रहा है, मैं न भूलूंगा, मैं ना भूलूंगी...

केवल तिवारी

मशहूर अभिनेता मनोज कुमार नहीं रहे। उन्हें भारत कुमार भी कहा जाता था। उनकी फिल्में तो लाजवाब थी हीं, फिल्मांकन गीत भी एक से बढ़कर एक। कौन नहीं जानता उन गीतों को।
फोटो साभार: सोशल मीडिया 

 आज एक बार फिर उन गीतों की याद आ गयी है। बताया गया कि यूट्यूब पर भी उनके गीतों को खूब सर्च किया गया। बात परेशानी के समय की हो या खुशी या फिर देशभक्ति की, मनोज कुमार की फिल्मों के गीतों ने सबको मोहा ही है। तब भी और आज भी। एक गीत के बोल थे, 'लग जा गले।' यह 1964 में आई फिल्म 'वो कौन थी?' इसी तरह उनकी एक फिल्म का गीत, 'चांद सी महबूबा होगी मेरी' भी खूब चर्चा में रहा। बाद में इस गाने की तो कई पैरोडी भी बनी। यह गीत वर्ष 1965 में तैयार फिल्म 'हिमालय की गोद में' का था। इसे हिमालय की लुभावनी पृष्ठभूमि में फिल्माया गया था। जोश भर देने वाला गीत 'ओ मेरा रंग दे बसंती चोला' तो आज भी खूब बजता है। वर्ष 1965 की फिल्म 'शहीद' के इस गीत को मुकेश ने गाया था। महेंद्र कपूर, लता मंगेशकर और राजेंद्र मेहता ने भी इस गीत को अपनी आवाज दी है। अब जिस गीत की हम चर्चा कर रहे हैं, वह तो जैसे मनोज कुमार नाम का पर्याय ही बन गया था। गीत के बोल हैं, 'मेरे देश की धरती सोना उगले।' वर्ष 1967 की फिल्म उपकार का यह गीत हर भारतीय की जुबां पर चढ़ गया। अब बात करें रोमांटिक मनोज कुमार की। उनकी फिल्म पत्थर के सनम का सदाबहार गीत, 'तौबा ये मतवाली चाल' लाजवाब था। एक अन्य गीत के बोल हैं, 'पत्थर के सनम।' भारत कुमार के तौर पर उनकी फिल्म का एक और मशहूर गीत है, 'है प्रीत जहां की रीत सदा' वर्ष 1970 में रिलीज फिल्म 'पूरब और पश्चिम' का यह गीत दिल को छू लेने वाला है, जिसके बोल प्रेम धवन ने लिखे हैं। महेंद्र कपूर ने इसे भावपूर्ण ढंग से गाया है। अब एक अन्य गीत को भी सदा और सदा बहार कहा जा सकता है। इसके बोल हैं, 'एक प्यार का नगमा है।' वर्ष 1972 में रिलीज फिल्म 'शोर' में मनोज समुद्र किनारे वायलिन बजाते हुए नजर आ रहे हैं। एक अन्य गीत के बोल तो आज भी मौजूं है, 'महंगाई मार गई।' वर्ष 1974 में रिलीज फिल्म 'रोटी कपड़ा और मकान' के इस गीत को लता मंगेशकर और मुकेश ने गाया है, जो आम आदमी के सामने आने वाली कठिनाइयों पर प्रकाश डालने के लिए लोकप्रिय हुआ। कुल 10 लोकप्रिय गीतों की अंतिम कड़ी का मशहूर गीत है, 'मैं ना भूलूंगा।' सच में आज मनोज कुमार के लिए हर कोई यही कह रहा होगा। सादर नमन