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Saturday, March 31, 2018

बदलाव का संदेश है ईस्टर

बदलाव का संदेश है ईस्टर


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केवल तिवारी
जीने का संदेश। नवजीवन का वातावरण। खुशियां बांटने का मौसम। सबको समान समझने की सीख। ज्ञान फैलाने की जरूरत। उजाले की तरह, जिसे समेटा नहीं जा सकता। यही तो हैं ईस्टर पर्व की शिक्षाएं। ईसा मसीह जी उठे थे। जी उठना यानी प्रकृति का एक खूबसूरत संदेश। नव कोपलें। नव पुष्प। ठीक वैसे ही जैसे कहा गया है, ‘सतरंगी परिधान पहनकर नंदित हुई धरा है। किसके अभिनंदन में आज यह आंगन हरा-भरा है।’ प्रभु का अभिनंदन है। विश्वास है। विश्वास जो स्वस्थ रहने का हो। विश्वास नयापन लाने का हो। विश्वास दुखों से उबरने का हो। बुराई से दूर रहने का हो। अच्छाई के काम को तो खत्म किया ही नहीं जा सकता। ईसा मसीह को सूली पर लटकाने, फिर उनके जी उठने और 40 दिनों तक लोगों को प्यार का संदेश बांटने का यही तो मतलब है। असल में ईस्टर का पर्व जीवन के बदलाव का प्रतीक है। जीवन है तो उजाला है। उजाला समेटा नहीं जा सकता। उसे तो फैलाना है। जितना संभव हो। यही कारण है कि ईस्टर पर सजी हुई मोमबत्तियां अपने घरों में जलाना तथा मित्रों में इन्हें बांटना एक प्रचलित परंपरा है। इसका मतलब है हम रोशन हों, आपको भी रोशनी मिले। रोशनी नव उत्पाद की। रोशनी ज्ञान की।
ईसाई धर्म की कुछ मान्यताओं के अनुसार ईस्टर शब्द की उत्पत्ति ईस्त्र शब्द से हुई है। कहा जाता है कि ईस्त्र वसंत और उर्वरता की एक देवी थी। वसंत का मतलब पूरी प्रकृति में नयापन। कहा यह भी जाता है कि ईस्त्र देवी की प्रशंसा में पूरे अप्रैल माह में उत्सव होते थे। यूरोप के ईस्टर उत्सवों में आज भी उस उत्सव परंपरा की झलक मिल जाती है। संभवत: ईस्टर महापर्व का नाम कुदरत के इस नयेपन के कारण भी पड़ा। कुदरत में नयापन लाने के लिए सूरज की रोशनी भी तो जरूरी है। ईस्टर संडे को होता है। रविवार को। सूरज का दिन। ईसा मसीह के जी उठने की याद में दुनियाभर में ईसाई समुदाय के लोग ईस्टर संडे मनाते हैं। कहा जाता है कि ईसा मसीह के चमत्कारों से डरकर रोमन गवर्नर ने उन्हें यरूशलम के पहाड़ पर सूली पर चढ़ा दिया था। मौत के बाद उन्हें कब्र में दफनाया गया। तीन दिन बाद कुछ महिलाएं उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचीं। जब वह मकबरे के पास पहुंचीं तो समाधि का पत्थर खिसका था। समाधि खाली थी। समाधि के अंदर दो देवदूत दिखे, उन्होंने ईसा मसीह के जिंदा होने का शुभ समाचार दिया। यानी ऐसा वाकया जो बना अगाध श्रद्धा, अटूट विश्वास और प्रेम का प्रतीक।
सुबह का इंतजार यानी परिवर्तन की दरकार
12903608CD _EASTER1ईस्टर के मौके पर रातभर लोग कई कार्यक्रमों में भाग लेते हैं। प्रार्थनाएं की जाती हैं। बधाइयां दी जाती हैं। बेहतरीन सुबह की। नयेपन की। मान्यता है कि ईसा मसीह ने जी उठने के बाद 40 दिन हजारों लोगों को दर्शन दिए। प्यार का पैगाम दिया। वह आये ही प्यार और सत्य बांटने के लिए। ईसा मसीह का संदेश था परमेश्वर ने हम सबको मिलकर रहने का संदेश दिया है। ईस्टर संडे को ईसाई समुदाय के लोग गिरजाघरों में इकट्ठा होते हैं। ईसा मसीह के जी उठने की खुशी में प्रभु भोज में भाग लेते हैं। एक-दूसरे को प्रभु ईशु के नाम पर शुभकामनाएं देते हैं। हैप्पी ईस्टर।
खुशी बांटने के अलग-अलग तरीके
प्रभु यीशू का संदेश था प्रेम का। खुशी का। खुशियों को बांटने की जब बात आयी तो समय-समय पर उसके तौर-तरीकों में परिवर्तन होता चला गया। वैसे तो ईस्टर के दिन खाने काे बहुत कुछ बनता है, लेकिन इन सब में ईस्टर एग की अपनी खास जगह है। यह अंडे के आकार में बना चाॅकलेट होता है जो अंदर से खोखला होता है। माना जाता है कि यह ईसा मसीह के मकबरे का सूचक है। आज बदलते समय में ईस्टर एग एक बड़े कारोबार में तब्दील हो गया है। इसकी प्रतियोगिताएं भी होने लगी हैं। किसका ईस्टर एग कितना बड़ा। क्रिससम के मौके पर जिस तरह बच्चे सेंटा का इंतजार करते हैं, उसी तरह ईस्टर के दिन ईस्टर बनी का इंतजार करते हैं। यह बनी लोगों के घर जाकर ईस्टर एग या अन्य गिफ्ट पहुंचाता है। कहा जाता है कि इस रस्म की शुरुआत जर्मनी से हुई थी।  नोट : यह लेख दैनिक ट्रिब्यून में छपा है आप http://dainiktribuneonline.com/2018/03/%E0%A4%AC%E0%A4%A6%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B5-%E0%A4%95%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A5%87%E0%A4%B6-%E0%A4%B9%E0%A5%88-%E0%A4%88%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%9F%E0%A4%B0/ पर क्लिक कर सकते हैं।

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