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Wednesday, June 3, 2020

कोरोना काल और तेजश्वर का सराहनीय अभियान

कोरोना महामारी का दौर। लॉकडाउन के कई चरण। कुछ की चिंता घर में कैसे टाइम पास कैसे करें। कुछ पकवान बनाकर सोशल साइट्स पर डाल रहे हैं। कुछ चैटिंग में व्यस्त हैं। कोई बच्चों के स्कूल से मिले ऑनलाइन होमवर्क में मदद कर रहा है। इन सबसे एक वर्ग ऐसा है जिसके सामने घना अंधेरा है। रोज कुआं खोदते थे और रोज पानी पीते थे। अब क्या करें। निरंतर चल रहे हैं। भूखे प्यासे। मदद के लिए हाथ उठे भी तो स्थिति वैसी ही। अकेले दिल्ली-एनसीआर में ही हजारों लोग रोज सड़कों पर दिखते। ऐसे में एक सराहनीय अभियान सामने आया। तेजेश्वर का। तेजेश्वर सिंह दुग्गल। चंडीगढ़ के सेक्टर 38 स्थित विवेक हाईस्कूल का 12वीं का छात्र। महामारी के दौर में सबसे मुश्किल में पड़े वर्ग का दर्द तेजेश्वर को समझ आया। दिखा। महसूसा गया। दैनिक वेतन भोगी, प्रवासी श्रमिक और आर्थिक रूप से गरीब लोग कहां जायें। अचानक वे आय के किसी भी स्रोत के बिना हैं, और वे अपने परिवारों को भोजन या बुनियादी स्वच्छता सुविधाएं प्रदान करने में सक्षम नहीं हैं। उन्हें वायरस से ज्यादा भुखमरी का डर है। तेजेश्वर को लगा, इस मोड़ पर, हमें, समाज के अधिक विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग को इस कठिन समय में उनका समर्थन करने की आवश्यकता है। लॉकडाउन ने उन पर एक अतिरिक्त बोझ डाल दिया था। तेजेश्वर ने एक अभियान चलाकर करीब 60 हजार रुपये संस्था अक्षय पात्र को सौंपे। ताकि कुछ लोगों को खाना मुहैया कराया जा सके।
लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की सेवा के संबंध में कैसे आइडिया आया पूछने पर, तेजेश्वर ने कहा, 'मैंने फ्यूल अ ड्रीम डॉट कॉम पर फंडिंग अभियान शुरू किया। मैंने अपने परिजनों और उनके दोस्तों को अभियान में योगदान देने के लिए कहा। इसके साथ ही अपने मित्रों और उनके परिजनों से भी योगदान के लिए सोशल मीडिया पर अपील की और फोन कॉल किए। मैंने उन्हें समझाया कि अभियान का उद्देश्य एनसीआर और यूपी भर में पका हुआ भोजन उपलब्ध कराना है जो संस्था अक्षय पात्र के जरिये किया जा रहा है। मैंने अपनी पॉकेट मनी और दोस्तों से मिली करीब 60 हजार राशि का योगदान किया।' तेजेश्वर के मुताबिक अब तक जुटाई गई धनराशि उन 2400 लोगों के चेहरे पर मुस्कुराहट लाएगी, जिन्हें भोजन मिलेगा। दान देने वालों को भी इससे सुकून मिलेगा। बेशक सरकार अब लॉकडाउन के पांचवे चरण को अनलॉक-1 की संज्ञा देने लगी है, लेकिन दिक्कतें अभी भी कम नहीं हुई हैं। तेजेश्वर के बारे में पिछले दिनों ट्रिब्यून स्कूल की प्रिंसिपल वंदना सक्सेना से हुई। कई बातों की तरह उन्होंने इसे भी मुझसे साझा किया। मुझे लगा वाकई यह अभियान तो सराहनीय है। आखिर उन्होंने गरीबों की मदद के लिए कदम उठाया है। वंदना जी से चर्चा के बाद मैंने तेजेश्वर के संबंध में कुछ पंक्तियां और उनके अभियान को कई लोगों से साझा किया है। वाकई ऐसे बच्चों से हमें प्रेरणा लेनी चाहिए। वेलडन तेजेश्वर, अब धीरे-धीरे कॅरिअर की दहलीज पर बढ़ोगे, परोपकार की इस भावना को बनाये रखना। कहा भी तो गया है-'अष्टादस पुराणेसु व्यासस्य वचनं द्वयम। परोपकाराया पुण्याय, पापाय परपीडनम।' अर्थात 18 पुराणों में व्यासजी ने दो ही बातें कहीं हैं एक तो परोपकार के समान कोई पुण्य नहीं और दूसरों को कष्ट देने जैसा कोई पाप नहीं। 

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