कुछ समय पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) ने सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी के ट्रेनी आईपीएस (IPS) अधिकारियों को संबोधित किया। अन्य बातों के अलावा उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात कही कि पुलिस को अपनी छवि सुधारने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) में भी पुलिसकर्मी ही होते हैं। वे लोग जब अपने काम से लौटते हैं तो उनका फूल मालाओं से सम्मान होता है। वे जी-जान लगाकर लोगों को बचाते हैं, लेकिन क्या कारण है कि यही पुलिसकर्मी जब पुलिस में (ट्रैफिक या कानून व्यवस्था) में कार्यरत होते हैं तो इनकी छवि कुछ और होती है। लोगों के मन में विश्वास क्यों नहीं जगता। बात सही है। इस बात को सुनकर मुझे कुछ वाकये याद आ रहे हैं। प्रधानमंत्री के भाषण की विस्तृत विवरण से उन्हें साझा करना चाहता हूं-
करीब डेढ़ दशक पुरानी बात होगी। गाजियाबाद के वसुंधरा में तब मैं रहता था। वहां आसपास के इलाकों में चेन स्नैचिंग (chain snatching) यानी झपटमारी की वारदातें बहुत बढ़ गयी थीं। हम खबरें सुनते थे, खबरें बनाते थे और कभी-कबार आसपास हुई वारदात की चर्चा लोगों से सुनते थे। एकबार एक जानकार के साथ ऐसा हो गया। हम लोग थाने पहुंचे। पुलिस पहले तो फरियादी को ही डांटने लगी कि क्यों सोना पहनकर चलते हो, जानते हो इतनी वारदातें हो रही हैं। फिर जब एफआईआर दर्ज कराने की हम लोगों ने कोशिश की तो पुलिस अधिकारी तैयार नहीं हुए। काफी बहस-मुबाहिशों के बाद यह तय हुआ कि अभी पीड़ित सिर्फ एक शिकायत दे दे, एक हफ्ते बाद तक अगर कहीं सुराग नहीं लगा तो फिर एफआईआर दर्ज कर लेंगे। शुरू में सोचा पुलिस की मजबूरी होगी। आंकड़े अच्छे दिखाने होते हैं, लेकिन साथ ही यह विचार भी आया कि कोई जाने या न जाने झपटमारों को पता तो होगा ही कि पीड़ित की औकात तो एफआईआर दर्ज कराने की भी नहीं। ऐसा ही मामला एक मित्र के बाइक चोरी होने पर हुआ। पुलिस ने पचास सवाल पीड़ित से ही पूछ लिये। एफआईआर के लिए दस चक्कर लगवाये। आखिरकार एक पहचान निकालकर पुलिस पर प्रेशर डलवाकर एफआईआर करवाई गयी।
हाल ही में चंडीगढ़ से दिल्ली जाना हुआ। नियंत्रित गति, ट्रैफिक रूल को मानते हुए मैं जा रहा था। एक जगह दिल्ली में और दूसरी जगह ग्रेटर नोएडा के पास मुझे ट्रैफिक पुलिस वालों ने रोका। दोनों जगह कहा गया कि बस कागज दिखा दो। मैं समझ गया, चंडीगढ़ नंबर की गाड़ी देखकर मुझे रोका गया है। मैं उतरा और विनम्रता से पूछा कि बताइये कौन से कागज देखने हैं। दिल्ली में तो पता नहीं क्या हुआ। साथ खड़े दूसरे ट्रैफिक पुलकसकर्मी ने इशारा करते हुए कहा, जाओ। फिर ग्रेटर नोएडा। यहां पुलिस वाले ने पहले कागज मांगे फिर कहा मैं खुद ही चेक कर लेता हूं। उन्होंने गाड़ी का नंबर अपने मोबाइल में किसी एप पर डाला और पूछा कि केवल तिवारी के नाम है गाड़ी। मैंने कहा जी मैं ही हूं केवल तिवारी। कुछ देर रुकने के बाद वह सज्जन बोले जी इसमें दिखा रहा है कि पॉल्यूशन (Pollution under control certificate) सर्टिफिकेट नहीं है। मैंने कहा, सरजी गौर से देखिये, ये सीएजनी गाड़ी है और अभी सालभर भी नहीं हुआ है। ऐसी गाड़ियों में पीयूसी सालभर बाद ही बनता है। उन्होंने मेरी ओर देखा और बिना कुछ कहे दूसरी तरफ को चल दिये। मैं भी कुछ बड़बड़ाता हुआ आ गया।
कुछ दिन पहले बेटे को उसके परीक्षा केंद्र छोड़ने जा रहा था। वह बगल में बैठा था और बातें चल रही थीं। बातों बातों में मेरा मास्क नाक से थोड़ा नीचे आ गया। कालोनी नंबर चार के पास एक पुलिस कर्मी दौड़कर आया और मुझे रुकने का इशारा किया। मैंने अपनी बेल्ट और बेटे की बेल्ट पर ध्यान दिया, सब ठीक था। मैंने गाड़ी साइड की और रोककर शीशा खोला। मैंने कहा जी बताइये। उनका सवाल ये मास्क कैसे पहना है। मैंने क्षमा मांगते हुए कहा, थोड़ा नीचे हो गया। उन्हें मुझ पर तरस आ गया या जो भी कारण हो, चेतावन देकर छोड़ दिया। बेटे ने सवाल किया, पापा आसपास तो इतने लोग बिना मास्क के घूम रहे हैं, उन्हें तो ये कुछ नहीं कह रहे। मैंने कहा, बेटे ये सवाल मेरे मन में भी था, लेकिन वह कह सकते थे कि हमारी ड्यूटी गाड़ियों में बैठे लोगों को देखने की है। खैर थोड़ा सा मुस्कुराकर हम चल दिये।
सहयोग भी किया है
पुलिस से परेशान होने के कई किस्से हैं, लेकिन सहयोग के भी किस्से हैं। अनेक बार ऐसा हुआ है जब पुलिस ने खूब सहयोग किया है। हिंदुस्तान अखबार में जब काम करता था तो रात को लौटते समय कई बार सड़कों पर दुर्घटनाएं देखीं। उस दौरान पुलिस को फोन किया, पुलिस कर्मियों ने कई बार साथ दिया और चोटिल को अस्पताल पहुंचाने में मदद की। ऐसे ही कई बार रास्ता बताने में भी मदद की है। पानी में भीगते पुलिसकर्मी को ट्रैफिक नियंत्रित करते देखा है। ऐसे पुलिसकर्मी सम्मानित भी हुए हैं, लेकिन ज्यादातर मामलों में पुलिस का असहयोगात्मक रवैया दुखी करता है।
अब बात पीएम के भाषण की
उस दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पीएम मोदी ने ट्रेनी अधिकारियों से कहा कि आप जैसे युवाओं पर बड़ी जिम्मेदारी है। महिला अफसरों की भूमिका भी अहम है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अफसरों की पढ़ाई देश सेवा में काम आती है। उन्होंने कहा कि आपको हमेशा ये याद रखना है कि आप एक भारत, श्रेष्ठ भारत के भी ध्वजवाहक हैं, इसलिए आपकी हर गतिविधि में राष्ट्र प्रथम, सदैव प्रथम की भावना झलकनी चाहिए। उन्होंने कहा कि आपकी सेवाएं देश के अलग-अलग जिलों और शहरों में होगी। आपको एक मंत्र हमेशा याद रखना होगा कि फील्ड में रहते हुए आप जो भी फैसले लें, उसमें देशहित और राष्ट्रीय परिपेक्ष्य होना चाहिए। इस मौके पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय भी मौजूद थे। मोदी ने कहा कि नए संकल्प के इरादे से आगे बढ़ना है। अपराध से निपटने के लिए नया प्रयोग जरूरी है। पीएम मोदी ने सत्याग्रह आंदोलन का जिक्र करते हुए कहा कि गांधीजी ने सत्याग्रह के दम पर अंग्रोजों की नींव हिलाई थी। इसके अलावा भी पीएम साहब ने बहुत बातें कीं, वे सभी ने सुनी होंगी।
1 comment:
पुलिस के कारनामों पर बढ़िया टिप्पणी की है आपने केवल जीी
हरेश जी की टिप्पणी
Post a Comment