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Wednesday, June 15, 2022

सुनना सीखिए... ज्ञान की गंगा और कर्णधारों से मिलन का सार्थक प्रयास

 केवल तिवारी

मुझे विलंब हो गया। जिस प्रकरण का यहां जिक्र कर रहा हूं, उसके बाद तो हमारे धन संग्रह परिवार की एक बैठक और हो चुकी है। लेकिन खुद को समझाने जैसी कवायद कि चलो देर आयद, दुरुस्त आयद। बात है 8 मई, 2022 की। बेंगलुरू से विनोद पांडे जी ने पहले से कार्यक्रम बनाकर मेरी राय ली, मैंने धन संग्रह परिवार से और हो गया कार्यक्रम तय। कौन कैसे और कहां से में बात लंबी हो जाएगी... इसलिए आते हैं असल मुद्दे पर। बैठक हमने सबकी सहमति से सार्थक प्रयास के पुस्तकालय में की। यह इच्छा विनोद पांडे जी और मेरी थी। सामाजिक संगठन सार्थक प्रयास के अध्यक्ष उमेश पंत जी ने कहा कि जब बच्चों से मुलाकात का कार्यक्रम तय ही है तो क्यों न हम उनसे कुछ अनौपचारिक बातचीत भी कर लें। इत्तेफाक से उस दिन मदर्स डे था। सबने अपनी भावनाओं को अपने ढंग से व्यक्त किया। इस दौरान बच्चों की जिजीविशा को देखकर बहुत कुछ सीखने को मिला। प्रसंगवश बता दूं कि इस ब्लॉग को इतना विलंब हो गया कि इसी दौरान खबर आई कि सार्थक प्रयास का एक बच्चे रोहित की जॉब लग गयी है और जॉब लगने के बाद वह सबसे पहले सार्थक प्रयास के अपने जानकारों से मिलने आये। मेरी दुआ है कि ऐसे ही अनेक बच्चे आगे बढ़ें और पीछे से आ रहे बच्चों के लिए कुछ न कुछ योगदान करें। खैर... पिछली बात को आगे बढ़ाते हैं।

बच्चों के साथ बातचीत के दौरान पुनीत भट्ट जी और ममगाई जी का भावुक होना एकदम अलग अहसास कराने वाला था। एकदम अलग अंदाज में दिख रहे हमारे भाई भुवन चंद्र सती ने भी बेहतरीन तरीके से बच्चों का हौसला बढ़ाया। मेरे अग्रज हीराबल्लभ शर्मा जी ने बच्चों को बहुत सी प्रेरक बातें बताईं जिनमें से मुझे जिस बात ने सबसे अधिक प्रभावित किया, वह था सुनने की क्षमता को बढ़ाना। उन्होंने कहा कि आलोचना भी करें, निंदा भी करें लेकिन पहले सुनने की क्षमता को विकसित करें। सुनेंगे नहीं तो उसकी अच्छाई या बुराई का विश्लेषण कैसे करेंगे। इसके साथ ही उन्होंने मेहनत, लगन की महत्ता पर भी प्रकाश डाला। भास्कर जोशी, सिद्धांत सतवाल, चंदन दा, विनोद जी, उमेश पंत जी, पांडे जी, संजय वर्मा जी, रघुबर सिंह जी, प्रकाश पंत जी आदि ने बच्चों के साथ सार्थक बात की। साथ ही यह भी कहा कि बहुत कुछ इन बच्चों की बातों से भी सीखने को मिला है। मां पर कुछ भावुक टिप्पणियां हुईं और कुछ अन्य कवियों की बातें। थोड़ा विलंब होने पर हर बच्चे का नाम और रचना स्मृति पटल पर नहीं है, लेकिन यकीनन यह संवाद बहुत शानदार रहा। सार्थक प्रयास के बच्चों और पंत जी का विशेष आभार। अधिकतम लोग मौजूद रहे, इसलिए आनंद दोगुना हो गया। कुछ अन्य बातें हैं जिन्हें एक कहानी के रूप में आगामी ब्लॉग में साझा करूंगा। इस ब्लॉग के साथ उस दिन की कुछ फोटो साझा कर रहा हूं।








1 comment:

Anonymous said...

सार्थक पोस्ट