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Tuesday, June 28, 2022

रेलवे ई टिकट... और झांसे से बचिए

केवल तिवारी

हो सकता है कि आप लोगों को रेलवे के नियमों का पता हो। यह भी हो सकता है कि आप लोगों में से कई लोग मेरे जैसे अनाड़ी हों। जो भी हो झांसे से बचिएगा। अक्सर सुनता था कि यह सरकार कदम दर कदम कुछ ऐसा कर रही है कि आपको पता नहीं होता और आपकी जेब चुपचाप कट चुकी होती है, लेकिन कहते हैं न कि 'बात समझ में तब आई, जब खुद पर बीत गई।'
आईआरसीटीसी से आया जवाब


असल में 5 जून को भतीजे की शादी के लिए लखनऊ जाना था। महीनेभर पहले ईटिकट लिया। वेटिंग का। लोगों ने उम्मीद जताई कि शायद कनफर्म हो जाए। कुछ 'जुगाड़' की भी व्यवस्था की, लेकिन कुछ काम नहीं आया। कुछ लोगों ने तत्काल टिकट कराने की सलाह दी। ऐन मौके पर उसकी कोशिश की तो पता चला कि तत्काल में भी कई तत्काल हैं। प्रीमियम और पता नहीं क्या-क्या? खैर.... अपनी स्थिति तो वही है
जिस दिन से चला हूं मेरी मंजिल पे नज़र है
आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा।
चंडीगढ़ से लखनऊ की ट्रेन में तीन लोगों के लिए कराया गया रिजर्वेशन (वेटिंग) आखिरकार ऐन मौके पर आरएसी हो गया। (पीएनआर नंबर 2341282924) दो लोगों का आरएसी हुआ और तीसरा टिकट वेटिंग ही रहा। एक नंबर पर अटक गया। यानी वेटलिस्ट नंबर एक। मैंने हमेशा की तरह रेलवे पर भरोसा करते हुए जाने का फैसला किया और बेटे धवल जिसका टिकट कनफर्म नहीं हो पाया यानी वेटलिस्ट एक था, उसके लिए काउंटर टिकट ले लिया। किसी तरह एक ही सीट पर बैठकर पूरी रात गुजारी। रात में एक दो लोगों से बात हुई और इस बात पर मैंने आश्चर्य जताया कि आरएसी तो दो ही लोगों का है, लेकिन टीटीई ने बच्चे के टिकट के बारे में क्यों नहीं पूछा। एक - दो लोग हंसते हुए बोले, 'आपने टिकट लिया है ना इसलिए, अगर नहीं लिया होता तो जरूर पूछता।' मैंने भी उनकी बात में हामी भरी। खैर हम लोग पहुंच गये। गनीमत है कि 13 तारीख को वापसी का टिकट कनफर्म था। कुछ दिन इंतजार के बाद भी जब ईटिकट वेटलिस्ट का पैसा नहीं आया तो मैंने अपने मित्रों से बात की। उन्होंने भी कहा कि पैसा तो वापस आ जाना चाहिए था। मैंने फिर आईआरसीटीसी को एक मेल कर दिया। एक दिन बाद मेल का जवाब आया। उसका लब्बोलुआब यह था कि एक नये अधिनियम के तहत नियम बदल गए हैं। अगर टिकट में से किसी का भी आरएससी या कनफर्म हुआ है तो बाकी का पैसा तभी आएगा जब आप ट्रेन छूटने से तीन घंटे पहले उसे कैंसल कराएंगे और एक फॉर्म भरकर देंगे। नहीं तो कोई पैसा नहीं मिलेगा। अब यह नियम कब बन गया, कितनों को पता है, नहीं मालूम। मेरे संपर्क के तो ज्यादातर लोगों को इसका पता नहीं। मैं बेवकूफ था, काउंटर टिकट भी लिया, परेशानी भी झेली और रेलवे वालों ने भी बेवकूफ साबित किया। आप लोगों को भी ऐसी दुश्वारी न झेलनी पड़े, सावधान रहें। यह तो एक बानगी भर है, मामले न जाने कितने होंगे। बात छोटी सी है लेकिन कहनी जरूरी थी। क्योंकि
ख़ामोशी से मुसीबत और भी संगीन होती है,
तड़प ऐ दिल तड़पने से ज़रा तस्कीन होती है।

5 comments:

kewal tiwari केवल तिवारी said...

इस ब्लॉग पर अनेक मित्रों के फोन आए। लूट पर सतर्कता जरूरी

Anonymous said...

लूट

कविता रावत said...

ये बात तो हमें भी नहीं मालूम। नियम बनते हैं तो उन्‍हें सार्वजनिक कर स्‍पष्‍ट करना चाहिए रेल्‍वे को,

kewal tiwari केवल तिवारी said...

जी। कई नियम हैं, जिनकी जानकारी लोगों को नहीं है।

Anonymous said...

Be alert and be informed