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Monday, November 28, 2022

सपने में अपनापन देखेंगे

 केवल तिवारी



जीवन के विविध रंग देख लिए। लेकिन सचमुच समझ में बहुत कुछ नहीं आया। बहुत कुछ क्या, पर्याप्त भी नहीं आया। कभी किसी का इगो, कभी अहं ब्रह्मास्मि का भाव और कभी कुछ। अगर खुद के संदर्भ में कुछ कहूं तो पारिवारिक मसलों पर सरेंडर करने में ही सुख है। तमाम झंझावात देखे, कितने अज़ीज़ चले गए। एक बारगी मन में आया कि लेखन ही बंद कर दूं, लेकिन फिर खुद को समझाया। अगले पल का पता नहीं। आज कुछ काव्यात्मक अभिव्यक्ति मन से फूट पड़ीं। मन करे तो पढ़िएगा। आत्मिक आवाज आत्मा तक पहुंच ही जाएगी।


नींद आ जाए भरपूर कि आज सपने देखेंगे।

सपने में अब अपनों का अपनापन देखेंगे।।

मीठी-मीठी बातों का पैगाम कहेंगे।

सब सलामत रहें, ये दुआ कऱेंगे।।

जो बिछड़ गए उनसे कुछ दिल की कहेंगे।

वो बातों का सिलसिला हम टूटने न देंगे।।

नींद आ जाए भरपूर कि...

वो वादे, वो इरादे वो नजारे देखेंगे।

जो कह न सके जागते हुए, सपनों में कहेंगे।

खुली आंखों में रह गई थी जो कसक,

बंद आंखों में उसे भी रोशन करेंगे।।

ये क्यों, वो क्यों इधर उधर की न कहेंगे।

सीधे सीधे बस अपने दिल की ही कहेंगे।।

नींद आ जाए भरपूर कि आज सपने देखेंगे...

3 comments:

Anonymous said...

Bahut badhiya

Anonymous said...

बहुत भावपूर्ण

Anonymous said...

बहुत भावपूर्ण रचना नमन