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Friday, September 10, 2010

जिस्म बिकता इनका, पेट भरता उनका

एक बार जिज्ञासावश रिपोर्टिंग के लिए कुछमित्रों संग दिल्ली के जीबी रोड इलाके में चला गया। इस इलाके के बारे में बताने की शायद जरूरी नहीं। हां एक बात यह बताना जरूरी है कि वहां मोटर पार्ट्स, जनरेटर आदि का कारोबार भी होता है। मूलत: जीबी रोड किसलिए जाना जाना जाता है, यह सभी जानते हैं। मैं वहां कोठों की स्थिति का जायजा लेने गया था, मैंने जो देखा उस पर खबरनुमा एक रिपोर्ट

उन गलियों में कोई जाता भी होगा तो चोरी-छिपे। वहां के बारे में किसी के जेहन में कोई बात आती भी होगी तो नकारात्मक। सड़कों पर घूम रहे वहां के सौदागर भी कहते हैं तो सिर्फ एक शब्द एंजॉय। लेकिन वहां छिपे दर्द, वहां की तकलीफों को या तो कोई समझ नहीं पाता या समझने की जहमत नहीं उठाना चाहता। कुछ संस्थाएं समझने या कुछ करने की कोशिश कर रही हैं तो उनके प्रयास पर सवालिया निशान लग रहे हैं। हम बात कर रहे हैं जीबी रोड यानी स्वामी श्रद्धानंद मार्ग की। यहां बने मकानों के निचले तले पर तमाम दुकानें हैं, जहां ऑटो पार्ट्स से लेकर बड़े-बड़े जनरेटर भी मिलते हैं। उनके ऊपर बने हैं कोठे। यहां पेट भरने के लिए सेक्स वर्कर्स ग्राहकों के लिए अपने जिस्म को परोसने को तैयार बैठी हैं।
समस्या यह नहीं है कि यहां जिस्म का धंधा होता है। समस्या इसके बाद शुरू होती है। जिस्म के धंधे पर कई धंधे होते हैं। कोई इनकी भलाई के नाम पर अपने संगठन रूपी दुकान को चमका रहा है तो कुछ नौजवान बिना इनकी सहमति के सड़कों पर राहगीरों या व्यावसायिक सिलसिले में वहां आए लोगों को जाल में फांसने में लिप्त हैं। किसी नए व्यक्ति को देखते ही दो-चार लोग उसे घेर लेते हैं। उनकी शब्दावली पर गौर कीजिए-'सर एंजॉय करेंगे", 'हर तरह का माल है", 'कम उम्र की", देशी-विदेशी..... वगैरह-वगैरह। ग्राहक इनके झांसे में आ गया तो ठीक नहीं तो उसके साथ जोर जबरदस्ती। यहां विभिन्न् कोठों पर सेक्स वर्कर्स ने इन दलालों से किसी तरह की नाइत्तेफाकी जताई। यहां के विभिन्न् कोठों पर रह रहीं सलमा, पुष्पा, रजिया जैसी तमाम महिलाओं ने उल्टे यह शिकायत की कि इन जैसे लोगों से धंधा चौपट हो रहा है।

कभी किसी कोठे की हूर थी, आज वहीं भिखारिन बनीं
सेक्स वर्कर्स के जीवन में चालीसवां साल आते-आते जैसे तूफान आने लगता है। शरीर ढल रहा है, ग्राहकों ने आंखें तरेरनी शुरू कर दी हैं। स्वयंसेवी संगठन कुछ करते तो हैं, लेकिन इतना नहीं कि दो जून की रोटी मिल जाए। थोड़ा बहुत पढ़ी-लिखी हैं तो बच्चों को पढ़ा सकती हैं, सिलाई-बिनाई आती है तो भी शायद काम चल जाए, लेकिन इनमें से कुछ नहीं है और कोठा मालिक या मालकिन भी नहीं चाहती तो कोई चारा नहीं बचता। विभिन्न् कोठों की सीढ़ियों से जब हम लोग गुजरे तो वहां कई महिलाएं भीख मां रही थीं। उम्र पचास या उससे अधिक होगी। जानकारी ली गई तो बताया गया 10-20 साल पहले इनकी जगह भी कोठों पर थीं। इन जैसी कई महिलाएं हैं। कुछ काम-धंधे में लग गई। किसी को कोठे पर ही चौका-बर्तन का काम मिल गया, लेकिन कुछ अब भीख मांगने को मजबूर हैं।

एक पहलू यह भी...
विभिन्न् कोठों पर एक अलग पहलू भी देखने को मिला। सर्वधर्म समभाव के लिए दिखावे के तौर पर भले बड़े-बड़े लोग हो-हल्ला करते हों, लेकिन यहां धार्मिक एकता का जीता-जागता नमूना दिखा। अनेक कोठों पर सेक्स वर्कर्स अलग-अलग धर्म से हैं और उसी पद्धति से वे पूजा भी करती हैं। दीवारों पर भगवानों की मूर्तियां लगी हैं, अगरबत्ती जल रही है तो वहीं मुसलिम धर्म के अनुयायियों ने अपने धर्म के हिसाब से कैलेंडर टांगे हैं। नमाज अदा की जाती है, आरती भी होती है।

पहचान पत्र बने
पतिता उद्धार समिति का कहना है कि इन लोगों के लिए सबसे बड़ा संकट पहचान का है। बैंक में खाता खोलकर अगर दो पैसा बचाना भी चाहें तो हर जगह पहचान पत्र की जरूरत होती है। हालांकि समिति के प्रयासों से पिछले दिनों कुछ महिलाओं के पहचानपत्र बने भी, लेकिन यहां भी कई किस्म की राजनीति हुई। समिति के अध्यक्ष खैराती लाल भोला का कहना है कि महिलाओं का पहचानपत्र बन जाए तो उनकी कई दिक्कतें दूर हो जाएंगी। यहां की महिलाएं ज्यादातर दक्षिण भारत की हैं। कभी इनके मूल पते की जांच नहीं हो पाती और कुछ मामलों में राजनीति आड़े आ जाती है।

समस्याएं और भी बहुत हैं
पतिता उद्धार समिति के दिल्ली इकाई का कार्यालय संभाल रहे इकबाल का कहना है कि पहचानपत्र बन जाए तो इनकी कई समस्याएं स्वत: दूर हो जाएंगी। उन्होंने भी दलालों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि इनकी वजह से कई बार महिलाएं चोटिल हो चुकी हैं। मीना, आशा, रचना, आदि महिलाओं के सिर, हाथ और पैर में चोट दिखाते हुए इकबाल ने बताया कि यह सब दलालों की गुंडागर्दी का नतीजा है।

4 comments:

Anonymous said...

gambeer samasya hai...

vandana said...

sir ye to kuch hi pahlu hain in aurato ki aur bhi kai gambheer samasyae hain jinke jikr se hi koi bhi hil sakta h garibi, bukmari,bimari to inki virasate h jise ye janm se mirtu tak laade rahti hain.

सोतड़ू said...

सर वेश्यावृत्ति को लीगल कर दिया जाए तो भी कई समस्याओं का समाधान नहीं हो जाएगा क्या ?

kewal tiwari केवल तिवारी said...

mein leagle karne ka pakshdhar hoon