indiantopbligs.com

top hindi blogs

Saturday, March 31, 2018

समुद्र चले संग-संग

समुद्र चले संग-संग


यात्रा-वृत्तांत/महाबलीपुरम

dsc_0191-2 (1) copyकेवल तिवारी
इस सफर पर समुद्र की बात होती है। इस सफर पर समुद्र का ही साथ होता है। कोई इसे मंदिरों का शहर कहता है और कोई रिसाेर्ट्स का। कहे कोई कुछ भी, लेकिन यह जगह है बहुत अनूठी। जब आप यहां के सफर पर होते हैं तो लगता है समुद्र आपके संग-संग चल रहा है। उत्तर भारत से गए हों तो थोड़ी सी भाषा की दिक्कत पेश आएगी, लेकिन यहां के नजारों में आप इतने खो जाएंगे कि ऐसी दिक्कतें हावी नहीं होतीं। यह सफर है चेन्नई से महाबलीपुरम का।
दक्षिण भारत के कुछ इलाकों को देखने की ललक बचपन से रही। मौका लगा इस बार की सर्दियों में। मैंने और हमारे एक मित्र ने सपरिवार चलने का कार्यक्रम बनाया। कार्यक्रम काफी लंबा-चौड़ा बना। समय कम था। फिर भी तय हुआ कि पहले चेन्नई तो चलते ही हैं। मैं अपने परिवार के साथ चंडीगढ़ से दिल्ली तक जन शताब्दी से गया। वहां से रात में हम दो परिवार तमिलनाडु एक्सप्रेस से चेन्नई तक गये। दूसरे दिन सुबह सवा सात बजे ट्रेन के पहुंचने का समय था। लेकिन ट्रेन करीब 8 घंटे लेट हो गयी। ट्रेन जब दिल्ली से चली तो आगरा पहुंचते-पहुंचते कोहरे की ऐसी चपेट में आई कि बस लेट होती ही चली गयी।
10-truly-incredible-submerged-ruins-to-explore-7 copy‘चेन्नई एक्सप्रेस’ जैसा अनुभव
गाड़ी में भोपाल से एक महिला एवं उनका सात साल का बेटा हमारी ही सीट के साथ बैठे। बैठते ही थोड़ी सी बात हुई, जिसका जवाब महिला ने यूं दिया, ‘वी आर कमिंग फ्रॉम भोपाल, एक्चुअली वी आर फ्रॉम चेन्नई।’ बच्चा उनका एकदम चुप था। हम लोग समझ गए, ये हिन्दी नहीं जानते। हम लोग अपनी बातों में मशगूल हो गये। बीच-बीच में हम उस बच्चे (नाम इथेन) से अंग्रेजी में कहते रहते कि हमारे बच्चों के साथ खेल लो। इस बीच मेरी पत्नी की तबीयत थोड़ी बिगड़ गयी। हम लोग आपस में बात कर ही रहे थे कि वह महिला बोलीं, ‘मेरे पास दवा है। इन्हें सादे पानी के साथ दे दो। इन्हें अभी खाना खिलाने की जबरदस्ती न करें। ठीक होने पर वह खुद ही खाना मांग लेंगी।’ महिला को धाराप्रवाह हिन्दी बोलते देखकर हम दंग रह गये। उसके बाद तो पता चला कि जो बच्चा चुपचाप बैठा है, वह चार भाषाएं जानता है। हिन्दी, इंग्लिश, तेलगु और मलयाली। इस बीच पास बैठी एक आंटी से भी बातचीत शुरू हो गयी। जल्दी ही वह बच्चों की सीनियर गार्जन बन गयीं। बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी तो ट्रेन में इतने लोगों से दोस्ती हुई है कि कई लोग उनकी बेटी और बेटे की शादी तक में घर आये हैं। चेन्नई स्टेशन पर उतरते वक्त हम सबने मिलकर एक-दूसरे का सामान उतारा। इथेन तो रोने लगा कि मेरे घर चलो। उससे झूठ बोलना पड़ा, ‘हम लोग शाम तक पहुंच जाएंगे।’ बाद में महिला ने अपना फोन नंबर दिया और कहा कि अगर चेन्नई में कोई दिक्कत हो तो आप लोग फोन करना। आंटी भी अपना पता दे गयीं।
ptorepotperमरीना बीच पर अम्मा-अम्मा
चेन्नई पहुंचकर मैंने अपनी भांजी के पति अनुज को फोन किया। वहां पहुंचकर कुछ देर आराम किया और शाम को हम लोग मरीना बीच के लिए निकल गये। यह मानकर चले थे कि बीच पर थोड़ी देर समुद्र के नजारे देखकर वापस आ जाएंगे। वहां पहुंचे तो देखा माजरा ही अलग था। पुलिस ने बेरीकेड लगाकर कई गेट बनाए थे। हर गेट पर लाइन। हमने एक-दो लोगों से पूछा कि बीच के लिए कहां से एंट्री है, कोई कुछ बता नहीं पा रहा था। फिर एक पुलिसकर्मी से पूछा तो पता लगा सारी लाइन अम्मा की समाधि पर जाने के लिए लगी है। हम लोग भी लाइन में लग गये। वहां देखकर दंग रह गये कि पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता के निधन को एक माह से ऊपर हो गया, फिर भी लग रहा था कि जैसे कल की ही बात है। अंदर पहुंचे तो पहले वहां के पूर्व सीएम अन्नादुरई की समाधि, फिर एमजी रामचंद्रन की, उसके बाद जयललिता की। पास में ही ‘अम्मा भजन’ चल रहा था। लोग फूल लेकर आए थे। कोई समाधि से लिपट-लिपट कर रो रहा था। कोई अम्मा-अम्मा कहकर मूर्छित सा हुआ जा रहा था। पुलिस वाले बड़ी मुश्किल से स्थिति को संभाल रहे थे। समाधि से बाहर निकलते ही कोई पोंगल (खिचड़ी) बांट रहा था कोई पानी और कोई अम्मा की तस्वीर।
lgkldfkgldfइडली, सांभर और चटनी
चेन्नई एक रात रुककर अगले दिन महाबलीपुरम जाने का कार्यक्रम था। अनुज की मकान मालकिन आईं। बुजुर्ग महिला। हम लोगों से अंग्रेजी में ही बात हुई। उन्होंने कहा, ‘अनुज इज लाइक माइ सन।’ तुरंत अनुज ने भी जवाब दिया, ‘एंड शी इज माई अम्मा।’ उसके बाद वह इडली, सांभर और इमली की चटनी लेकर आ गयीं। सबकुछ बहुत ही स्वादिष्ट। मैंने उनसे कहा बहुत सॉफ्ट इडली है। अम्मा ने बताया कि वह रोटी इतनी साॅफ्ट नहीं बना सकतीं। उसके बाद उन्होंने हमें कुछ रूट प्लान समझाया। नाश्ता कर हम लोग महाबलीपुरम के लिए रवाना हो गये।
Shore temple Mahabalipuram copyपौंडि वाली बस से महाबलीपुरम 
कैब से हम लोग जिस बस स्टॉप पर उतरे, वहां से बसों का कुछ आइडिया नहीं आ पाया। इसी बीच हमसे कई टैक्सी वाले आकर पूछते कि कहां जाना है। वे लोग समझ गए थे कि हम स्थानीय नहीं हैं, इसलिए दो-तीन शब्दों में पूछ लेते। कभी कहते ‘पौंडि और महाबलीपुरम। सेम रेट, एज बस।’ तभी एक सज्जन हमारे पास आए। उन्होंने हमसे पूछा-कहां जाना है। फिर वह वहीं खड़े हो गए। थोड़ी देर बाद एक बस आयी पोंडिचेरी परिवहन की। उन सज्जन ने हमें उसमें बिठा दिया। इस बीच उन्होंने बताया कि वे पोंडिचेरी परिवहन के ही अफसर हैं। यहां बसों की चेकिंग करते हैं। हमने उनका शुक्रिया किया और चल पड़े। वहां पोंडिचेरी को हर कोई पोंडि-पोंडि ही कह रहा था। महाबलीपुरम पोंडिचेरी और चेन्नई के बीच में ही है।
समुद्र किनारे मंदिर ही मंदिर 
महाबलीपुरम तक पहुंचने में हमें करीब डेढ़ घंटा लगा। पूरे सफर पर समुद्र दिखा। बस-ट्रेन के सफर से नदी और खेत तो खूब दिखे थे, लेकिन समुद्र का विहंगम नजारा पहली बार देखा। साथ में नारियल और केले के खेत ही खेत। वहां पहुंचे तो पता चला कि इस शहर का प्राचीन नाम मामल्लापुरम है। भव्य मंदिरों, स्थापत्य और सागर-तटों के लिए बहुत प्रसिद्ध। सातवीं शताब्दी में यह शहर पल्लव राजाओं की राजधानी था।
-42510_64926 copyरथों वाला मंदिर 
यहां का रथ मंदिर बहुत प्रसिद्ध है। इसमें आठ रथ हैं, जिनमें से पांच को महाभारत के पात्र पांच पाण्डवों और एक द्रौपदी के नाम पर नाम दिया गया है। इन पांच रथों को धर्मराज रथ, भीम रथ, अर्जुन रथ, द्रौपदी रथ, नकुल और सहदेव रथ के नाम से जाना जाता है। इनका निर्माण बौद्ध विहास शैली तथा चैत्यों के अनुसार किया गया है। तीन मंजिल वाले धर्मराज रथ का आकार सबसे बड़ा है। द्रौपदी का रथ सबसे छोटा है और यह एक मंजिला है और इसमें फूस जैसी छत है। अर्जुन और द्रौपदी के रथ क्रमश: शिव और दुर्गा को समर्पित हैं। पास में ही एक ही पत्थर से बने हुए मंदिर भी हैं।
शोर टेंपल 
यह भी एक खूबसूरत मंदिर है। बताया गया कि यह पल्लव कला का आखिरी साक्ष्य है और इसे बंगाल की खाड़ी के शोर के रूप में जाना जाता है। भगवान विष्णु को समर्पित इस मंदिर में शिवलिंग भी है और देवी की मूर्ति भी। इस मंदिर का निर्माण काले ग्रेनाइट से हुआ है।
तट मंदिर 
यह भी एक खूबसूरत जगह है। बताया गया कि इसका निर्माण पल्लव राजा राज सिंह के कार्यकाल में सातवीं शताब्दी के दौरान किया गया था। सुंदर बहुभुजी गुम्बद वाले इस मंदिर में भगवान विष्णु और शिव की पूजा होती है। ये सुंदर मंदिर समुद्र से उठकर आने वाली हवा के झोंकों से परिपूर्ण है और इन्हें यूनेस्को द्वारा विश्व विरासत घोषित किया गया है।
लोकल ट्रेन का सुहाना सफर 
तमाम जगहों से घूमकर जब हम वापस चेन्नई पहुंचे तो वहां से हमने फ्लाइट लेनी थी दिल्ली तक की। कुछ मित्रों को फोन किया। उन्होंने बताया कि अगर सामान ज्यादा नहीं है तो चेन्नई सेंट्रल रेलवे स्टेशन के सामने ही लोकल ट्रेन का स्टेशन है। वहां से एयरपोर्ट के लिए सीधी ट्रेन है। पहले अजीब लगा कि कैसे सबके साथ ट्रेन से जाएं। टैक्सी-बस के सफर से बच्चे ऊब चुके थे। मन तो किया कि लोकल ट्रेन से ही चला जाये। लेकिन पैदल करीब आधा किलोमीटर चलना था और सामान भी हम लोगों के पास ठीक-ठाक था। एक-दो टैक्सी वालों से पूछा तो किसी ने 1500 रुपये बताया तो किसी ने हजार। समय कितना लगेगा, पूछने पर हर कोई कहता कि ट्रैफिक पर निर्भर है। फिर हमने तय किया कि अभी हमारे पास दो-तीन घंटे हैं। चलते हैं लोकल ट्रेन से। हमने आठ टिकट लिये, मात्र 40 रुपये में। उस स्टेशन का नाम था चेन्नई पार्क स्टेशन। वहां से त्रिशूलम स्टेशन के लिए टिकट लिया। लोकल ट्रेन में डिजिटल डिसप्ले चल रहा था। वह हिन्दी, अंग्रेजी और तमिल भाषा में आने वाले स्टेशन के बारे में बताता। हम लोग आराम से बैठ गये। बातों-बातों में इंजीनियरिंग के एक-दो छात्र मिल गये। वे लोग दिल्ली के ही रहने वाले थे। एक युवती मिली, जो दिल्ली विश्वविद्यालय में पढ़कर लौटी थी। उन लोगों से बातें होती रहीं। त्रिशूलम स्टेशन आते ही हम लोग उतर गये। ठीक सामने एयरपोर्ट था। थकान के बावजूद यह सफर रहा बड़ा रोचक। रास्ते में अनेक स्टेशन पड़े। जिनको पढ़ने में ही हम लोग कुछ वक्त लगा देते। जैसे कराईवेल्लूर वगैरह-वगैरह।
कैसे पहुंचें
महाबलीपुरम जाने के लिए पहले चेन्नई पहुंचना पड़ेगा। चेन्नई तक ट्रेन और हवाई सुविधा लगभग हर बड़ी जगह से उपलब्ध है। चेन्नई से बस और टैक्सियां भी आसानी से उपलब्ध हो जाएंगी। ठहरने के लिए यहां निजी होटलों के अलावा सरकारी गेस्ट हाउस और लॉज इत्यादि की सुविधा है। यहां घूमने का अच्छा वक्त नवंबर से मार्च तक है। अन्य महीनों में भी घूमा जा सकता है, हां, थोड़ी सी गर्मी ज्यादा लगेगी।

नोट : यह आलेख दैनिक ट्रिब्यून के यात्रा वृतांत कॉलम में छप चुका है। http://dainiktribuneonline.com/2017/02/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%A6%E0%A5%8D%E0%A4%B0-%E0%A4%9A%E0%A4%B2%E0%A5%87-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%97/

No comments: