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Thursday, February 9, 2023

छोटी सी मुलाकात में सार्थक बात

 केवल तिवारी 

पढ़ाई के साथ-साथ अन्य करिकुलम एक्टिविटी दरअसल बच्चों को मशीन बनाना नहीं, यह तो आज के समय में बहुत जरूरी है ताकि बच्चा आगे चलकर बहुमुखी प्रतिभा का धनी बने। अजीब स्थिति यह है कि आज सबकुछ कंप्यूटर हो गया है। अब बहुत जल्दी दौर फाइनांस का आएगा। चिंताजनक बात तो आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) को लेकर है। इस तरह के विचार पिछले दिनों लिंग्याज यूनवर्सिटी, फरीदाबाद के कुलपति एमपी गुप्ता जी ने अनौपचारिक मुलाकात में रखे। गुप्ता साहब से घर-परिवार से लेकर और भी कई बातें हुईं।  

M P Gupta ji

दरअसल एमपी गुप्ता जी का जिक्र कई बार हमारे पड़ोस में रहने वाले राजीव जी कर चुके थे। राजीव जी अपने समय के अव्वल इंजीनियरिंग के बाद विभिन्न विभागों में रहते हुए इस वक्त एक स्कूल के सह संचालक हैं। इसके साथ ही वह हमारे काउंसलर हैं। बच्चों को लेकर उनसे चर्चा होती रहती है और बड़े बेटे के बारे में उनका अनुमान सटीक बैठा। रविवार, 5 फरवरी 2023 को आखिरकार गुप्ताजी के मनसा देवी कांप्लेक्स स्थित आवास पर जाने का कार्यक्रम बन ही गया। हम लोग करीब साढ़े दस बजे गुप्ता जी के घर पहुंच गए। वह आंगन में बैठकर धूप का आनंद ले रहे थे। मेरे मन में थोड़ी हिचक थी कि आखिर मैं बातें क्या करूंगा। वह तो अपने समय के टॉप इंजीनियर रहे हैं। कई संस्थानों के प्रमुख रहे हैं। राजीव जी भी उनके ही फील्ड के हैं। लेकिन जब बात घर-परिवार से शुरू हुई और उनकी पोती के पुस्तक प्रेम से जुड़ते हुए आधुनिक शिक्षा प्रणाली तक पहुंची तो आनंद आया। मैंने जब पूछा कि सर बच्चों पर एक्स्ट्रा करिकुलम का जो बोझ है, वह बच्चों को मशीन सरीखा नहीं बना रहा, वह बेबाकी से बोले, ‘बिल्कुल नहीं। इससे तो उनका चहुंमुखी विस्तार हो रहा है।’ फिर उन्होंने मेरे ही फील्ड यानी पत्रकारिता की चर्चा की। उन्होंने कहा देखिए जैसे कोई संपादक हैं, उनकी नियुक्ति का बड़ा आधार यह भी होगा कि वह वित्तीय जानकारी रखते हों, विज्ञापन से संबंधित जानकारी रखते हों। खबरों और लेखों से संबंधित उनकी विशेषज्ञता तो सबसे महत्वपूर्ण है ही। इसी तरह आज बच्चे बीटेक के बाद एमबीए भी कर रहे हैं। इसका भी यही आधार है कि अपने फील्ड के साथ-साथ वे प्रबंधन के भी गुर जानें। इस दौरान अन्य बातें भी होती रहीं। चाय-बिस्किट का दौर भी चला। 

राजीव जी का सौजन्य। गुप्ता साहब के साथ तस्वीर का मोह मैं भी नहीं छोड़ पाया।

बातों-बातों में उन्होंने कहा कि इस वक्त सबकुछ सिमटकर कंप्यूटर पर आ गया है। साथ ही यह भी कि पहले इंजीनियरिंग, डॉक्टरी पेशा ही प्रमुख था, बाद में इसमें सीए भी जुड़ा। आज तो विस्तार बहुत है। लेकिन जल्दी ही सारा जोर फाइनांस पर होगा। आने वाला समय कंप्यूटर के साथ-साथ वित्तीय प्रबंधन का है।  

अब शिक्षा व्यवस्था नैरो से ब्रॉड 

अपनी बात कि पहले इंजीनियरिंग, डॉक्टरी प्रमुख पेशेवर कोर्स थे। इसके बाद सीए इसमें जुड़ा को आगे बढ़ाते हुए गुप्ताजी ने कहा पहले उच्च शिक्षा तक पहुंचते-पहुंचते शिक्षण क्रम बहुत संकरा हो जाता था। आज संकरे ब्रॉड हो रहा है। आप जैसे-जैसे शिक्षण में रुचि दिखाते हैं आपको विस्तार पथ दिखता रहता है।  

संपादक जी से फोन पर बात 

हम लोग यानी मैं राजीव जी और गुप्ता जी बातें कर ही रहे थे, दैनिक ट्रिब्यून का जिक्र हुआ। एमपी गुप्ता साहब ने कहा कि आपके यहां एक संपादक हुआ करते थे, उन्होंने एक बार मेरे साथ मंच साझा किया था। उस वक्त गुप्ता जी हरियाणा टेक्निकल एजुकेशन के डाइरेक्टर थे। जब बात और समय को याद किया गया तो मैंने गर्व से कहा कि वही व्यक्ति पुन: संपादक बनकर दैनिक ट्रिब्यून में आए हैं। साथ ही यह भी बताया कि उन्होंने अखबार में नयी जान फूंकी है। उन्होंने बात करने की इच्छा जताई। मैंने दैनिक ट्रिब्यून के संपादक नरेश कौशल जी को फोन लगाया। फिर दोनों ने कुछ देर बातें की और पुरानी यादों को शेयर किया।  

धन्यवाद राजीव जी 



मुलाकात बेशक छोटी सी रही हो, लेकिन रही बहुत सार्थक। इस सार्थकता के लिए राजीव जी आपका धन्यवाद। यूं तो आपको बहुत सारे धन्यवाद हैं। आगे भी जारी रहेंगे। इस खास मुलाकात के लिए विशेष धन्यवाद। जारी रहे सफर। 

1 comment:

Anonymous said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।