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Sunday, September 15, 2024

बदलने पड़ेंगे महीनों के नाम, भादो हरे न सावन सूखे

 


केवल तिवारी 

सावन से संबंधित अनेक गीत हैं। मुहावरे हैं। सावन शब्द मन में आते ही रिमझिम फुहार, हरियाली और भी कई बातें मसलन, नाचे मन मोरा...। सावन की ये मस्ती आदि चीजें मन में उमड़ती-घुमड़ती हैं। सावन बीत गया, भादो भी बीत ही गया, लेकिन कुदरती नजारा ऐसा है, मानो सावन शुरू हो रहा हो। ये देखकर मन में आता है कि क्या हिंदी महीनों के नाम बदल दें। हास्य विनोद। ऐसा कर दें तो फसल को हो रहे नुकसान का क्या? मैं नाम बदलने को कह रहा हूं लेकिन अनेक लोग होंगे जिन्हें शायद नाम ही पता न हों। चलिए पहले इनके नाम जान लें।

चैत्र 

वैशाख 

ज्येष्ठ 

सावन 

भादो 

कुआर (उत्तराखंड में इसे असोज भी कहते हैं)

कार्तिक 

अगहन (कहीं मंगशीर या मार्गशीष भी कहते हैं।)

पौष

माघ

फाल्गुन 

यूं तो सतही तौर पर 12 महीनों में दो ऋतुएं यानी सर्दी और गर्मी होती हैं, लेकिन भारतीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो कुल 12 महीनों में 6 ऋतुएं होती हैं। हमारी माता जी ने इनको याद करने का एक फार्मूला बताया था, चैत्र - वैशाख ग्रीष्म ऋतु... सावन भादो बरखा ऋतु आदि। मौसम चक्र इस कदर बरस रहा है कि फसल कटने के सीजन में बारिश हो रही है।

अब मौसम के नये मिजाज में सावन को भादो और भादो को सावन कर दें तो कैसा रहे। मौसम चक्र बदल रहा है, समय बदल रहा है। फसल चक्र को भी बदलने की बात हो रही है। बदलाव तो अवश्यंभावी है। होकर रहेगा। अब दिन, वार और महीनों के नाम तो नहीं ही बदलेंगे।

फिल्मी जगत में हिट रहा है सावन

भले कितने बदलाव आए हों, लेकिन भारतीय फिल्म जगत में सावन हमेशा हिट रहा है। कुछ गीत तो आपको भी पता होंगे। मसलन 

सावन का महीना पवन करे सोर 

आया सावन झूम के 

सावन के झूले पड़े 

कुछ कहता है ये सावन 

अब के सजन सावन में 

लगी आज सावन की फिर वो झड़ी है 

रिमझिम गिरे सावन 

सावन को आने दो 

हाय हाय ये मजबूरी 

मैं प्यासा तू सावन   वगैरह वगैरह 

सावन पर अनेक मुहावरे और लोकोक्तियां भी हैं। आप जानते ही हैं। जैसे सावन के अंधे को हरा... सावन हरे न भादो सूखे आदि।

3 comments:

Anonymous said...

masoom Mausam chal bhool gaya h.

Anonymous said...

व्यंग्य, जानकारी का संगम

Anonymous said...

Kya baat