केवल तिवारी
दैनिक ट्रिब्यून की हमारी समाचार संपादक मीनाक्षी जी ने कुछ दिन पहले तीन-चार दिन के ड्यूटी चार्ट पर नजर डालने को कहा। मैंने 30 नवंबर तक के ड्यूटी चार्ट देखे। एक दिसंबर के चार्ट में एक साथी कम लगा। मैं बार-बार गिनूं, लेकिन समझ नहीं आया कि एक व्यक्ति कम कौन हो रहा है। फिर एक-एक नाम को देखा। अचानक ध्यान आया, ओह राजीव जी एक दिसंबर से दैनिक ट्रिब्यून के न्यूजरूम का हिस्सा नहीं रहेंगे। मन भावुक हुआ। फिर मन को ही समझाया कि यह तो कार्यालयी या यूं कहें नौकरीपेशा का एक सिस्टम है। अथवा जैसा कि, प्रेस क्लब में आयोजित कार्यक्रम में संपादक नरेश कौशल जी ने कहा कि जब व्यक्ति परिपक्व होता है, अनुभवी होता है उसी समय एसे रिटायर होना पड़ता है, राजीव जी एनर्जेटिक हैं, हंसमुख हैं, काम को बहुत अच्छी तरह निष्पादित करते हैं।
खैर जब ड्यूटी चार्ट वाली बात आ गयी और देखते-देखते 30 नवंबर भी आ गया तो प्रेस क्लब में राजीव जी को लेकर सब अनुभवों को साझा करने लगे। शायद ही कोई होगा जिसने राजीव जी के हंसमुख व्यक्तित्व और हाजिर जवाब व्यवहार की प्रशंसा न की हो। साथ आयीं भाभी जी ने भी राजीव जी को बेहतरीन पति बताया जो हर वक्त साथ खड़े होते हैं। यह बात तो जग जाहिर है कि जो व्यक्ति घर से अच्छा है वह हर जगह अच्छा होगा ही। प्रेस क्लब से लौटने के बाद भी हम राजीव जी की ही बातें करते रहे। शाम को राजीव जी ऑफिस पहुंचे। कुछ देर मीनाक्षी मैडम के साथ बातचीत के बाद वह सभी से मिलने गये और फिर हम सभी लोग उन्हें गेट तक छोड़ने गये। इससे पहले राजीव जी ने मैं पल दो पल का शायर हूं गीत की दो पंक्तियां सुनाईं जिसमें मशरूफ जमाना... शब्द हैं। इस गीत को मैंने अगले दिन फिर ध्यान से सुना और इस बार इसका कुछ और ही मतलब समझ आया। विदाई कार्यक्रम में मैं तो दो ही पंक्ति गुनगुना पाया जिसके बोल थे, हर मुलाकात का अंजाम जुदाई क्यों है, अब तो हर वक्त यही बात सताती है हमें।' राजीव जी भले ही ऑफिस से सेवानिवृत्त हुए हैं, लेकिन संबंधों से नहीं। उनसे मिलना-जुलना बना रहेगा। बातें होती रहेंगी। छोटी सी ये दुनिया पहचाने रास्ते...। राजीव जी स्वस्थ रहें और प्रसन्न रहें। कुछ फोटो साझा कर रहा हूं।
2 comments:
भावुक विवरण। साधुवाद
behtareen
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