केवल तिवारी
अपनों का आना, खुशियों को मनाना
कुछ बातें बनाना, कुछ सुनना-सुनाना।
नयी पीढ़ी को संस्कार भी हैं सिखाना
'भव्य' कार्यक्रम में जनेऊ धारण करना।
आगंतुक बने बदलते मौसम के गवाह
सबको भायी चंडीगढ़ की हरियाली राह।
दो-तीन दिन फुर्र हुए, और भी रहीं चाह
अब यादों को समेटे कह रहे हैं वाह-वाह।
उक्त पंक्तियां अभी अनायास निकल गयीं, जब एक पारिवारिक, सांस्कारिक समारोह के संबंध में अपने इस ब्लॉग की रूपरेखा बना रहा था। असल में गत नौ अप्रैल को बालक भव्य जोशी का जनेऊ संस्कार हुआ। भव्य जी के पिता भास्कर जोशी और मेरी पत्नी भावना जुड़वां भाई बहन हैं। इसलिए इस कार्यक्रम की कड़ी ऐसी ही हुड़ती हुई मिलेंगी। इसमें एक और रोचक है कि भव्य और मेरा बेटा धवल लगभग समान उम्र के हैं और अभी एक ही स्कूल और एक ही क्लास में पढ़ते हैं। पहले कार्यक्रम जनवरी में तय था। लगभग तैयारी भी हो गयी थी, हरिद्वार जाने की योजना थी। फिर कहते हैं न कि होई हैं वही जो राम रचि राखा। साथ ही यह भी कि 'ईश्वरं यत करोति शोभनम करोति।' वही हुआ। सब ठीक हुआ, मेरा उपस्थित रहना इसलिए मुश्किल लग रहा था कि मेरा लखनऊ जाने का कार्यक्रम बन चुका था। फिर कुछ ऐसी परिस्थितियां बनीं कि लखनऊ जाना टला और इस कार्यक्रम का गवाह बना। हल्द्वानी से आए साढू भाई सुरेश पांडेजी उनकी माता जी, उनकी पत्नी, बड़ी भाभीजी, उनकी बेटी, शेखरा दा उनकी पत्नी उनके सुपुत्र। गुड़िया दीदी, उनका बेटा और बेटी। (स्पष्ट है कि सभी आगंतुक ससुराल पक्ष की कड़ियों से जुड़ी कड़ी हैं)। साथ में भास्कर और प्रीति के पड़ोसी।
हंसी-मजाक और कुछ सैर सपाटा
कार्यक्रम की शुरुआत से ही हंसी-मजाक चलती रही। पांडेजी और मैं 'सेंट्रल सब्जेक्ट' रहे। फूफा की श्रेणी के हम दोनों ने भी इसे खूब एंजॉय किया। अपने पास कोई खास काम नहीं था, इसलिए बातों में ही ज्यादा मशगूल रहा। हालांकि कभी-कबार मन में कुछ-कुछ चलता रहा, लेकिन इस कुछ-कुछ को हावी नहीं होने दिया। खूब बातें कीं। लोगों के विचार भी जानने को मिले। कुछ कहानियों और कविताओं के सब्जेक्ट भी मिल गये। भव्य चूंकि बहुत हंसमुख, चंचल है तो उसने भी सबका मन लगाकर रखा। धवल और भव्य भले नेचर में थोड़ा अलग हों, लेकिन दोनों में एक बात कॉमन है कि दोनों मेहमानों के आने पर खुश होते हैं और चाहते हैं कि सब एकसाथ कुछ समय रहें। कोशिश भी की गयी कि बच्चे ग्रुप में कुछ समय साथ रहें। ऐसे में नेहा के नेतृत्व में मृत्युंजय, ईशू, श्रद्धा के साथ इन दोनों बच्चों ने अच्छा समय व्यतीत किया। कुछ समय इसमें सिद्धांत जोशी उर्फ सिद्धू की भी भागीदारी रही। बच्चों के लिहाज से इसे 'Quality time expend' कहा जा सकता है। इसी दौरान घूमने का कार्यकम बना। लगभी सभी लोग रॉक गार्डन, रोज गार्डन, सुखना लेक और शाम को प्रेस क्लब गये। विस्तार से लिखने के बजाय इस ब्लॉग के अंत में उसकी कुछ फोटो साझा करूंगा। बातों-बातों में उनकी बातें भी हुईं जो समारोह में नहीं पहुंच पाए।
मनोज पंडित जी द्वारा मेरे घर भी पाठ
जनेऊ संस्कार समारोह को संपन्न कराने के लिए हल्द्वानी से मनोज पंडित जी पहुंचे थे। वह पांडेजी की माताजी, शेखरदा, लवली भाभी और सिद्धू के साथ मुख्य समारोह की पहली शाम पहुंच गए थे। जनेऊ के अगले दिन हम लोग पंचकूला स्थित माता मनसा देवी मंदिर गए। पंडित जी ने रास्ते में मुझसे कहा कि एक छोटा सा पाठ कर देते हैं। अपने बड़े बेटे कुक्कू के निमित्त में ऐसा चाहता भी था। अचानक बने इस कार्यक्रम को संक्षिप्त लेकिन दिल को खुश करने वाला कह सकते हैं। पूर्णमासी, शनिवार की सुबह घर में हुए इस कार्यक्रम से बहुत तसल्ली मिली। ईश्वर से प्रार्थना है कि सबको स्वस्थ रखें। शनिवार को मेरे घर में पूजा के बाद भास्कर के यहां सुंदरकांड पाठ का आयोजन हुआ। समवेत स्वर में सुंदरकांड पाठ से दिन बन गया। प्रीति की बहन गुड़िया दीदी और लवली भाभी द्वारा बजाये गए ढोल की थाप पर सभी ने एक साथ पाठ से जो भक्तिमय माहौल बनाया वह अविस्मरणीय है।
और फिर लग जाना अपने काम में
आखिरकार मनुष्य तो कर्म के अधीन है। कर्म करते रहेंगे तो अगले ऐसे ही किसी यादगार कार्यक्रम के तैयार होंगे। कर्म प्रधान होने के नाते शनिवार शाम होते-होते आगंतुकों के जाने की शुरुआत हो गयी। रविवार सुबह तक एक बड़ी अपने गंतव्य तक पहुंच गयी। हम सब लोग भी अपने-अपने काम में लग गए। लेकिन इस बीच फोटो, वीडियो का आदान-प्रदान जारी हैं। उन्हें देखते-देखते कुछ बातें भी साझा की जा रही हैं। बातें होती रहेंगी। कार्यक्रम सच में यादगार रहा। भव्य को हम सबकी ओर से ढेर सारा प्यार, आशीर्वाद, शुभकामनाएं। भास्कर-प्रीति ऊर्फ राजू-पिंकी को बहुत-बहुत बधाई।
3 comments:
शीला दीदी का कमेंट
Sari photo bahut acchi I Hai Keval bahut badhiya lekh likha hai yadgar teri dadhi to थोड़ी-थोड़ी Apne Sadhu Bhai Se milane lag Gai Hai ab👍👍🥰😍
दो लोगों ने WhatsApp पर ही thumsup कर दिया
बेहतरीन चित्रण
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