Saturday, June 14, 2025
समय का साया
Sunday, June 8, 2025
गोपाल भोला जी के साथ भी निकला ऑफिशियल यादगार सफर
केवल तिवारी
भावुकता तो लाजिमी है इस मौके पर, पर सुकून भी है पूरा
परिवार जैसे संस्थान में खेली लंबी पारी, कुछ रहा नहीं अधूरा।
ये दो पंक्तियां पिछले दिनों तब अपने आप फूट गयीं जब भोला जी की रिटायरमेंट पार्टी के बाद कुछ लिखने के लिए बैठा। पूरा नाम है गोपाल कृष्ण भोला। ट्रिब्यून संस्थान में उन्होंने करीब चार दशक की पारी खेली और मेरे साथ उनका एसोसिएशन वर्ष 2013 से है। दैनिक ट्रिब्यून डिजाइनिंग एवं पेजीनेशन सेक्शन में इंचार्ज रहे भोला से अनेक मुद्दों पर बात होती। उनसे जो सीखने लायक सबसे अहम बात है, वह है कूल रहना। गोपाल जी कूल रहते हैं। विषम परिस्थितियों में भी और सामान्य परिस्थितियों में भी। जैसे कि सूर्य के लिए कहा गया है- उदेति सविता ताम्र, ताम्र एवास्तऐति च। सम्पत्तौ च विपत्तौ च महतामेकरूपता॥
शनिवार, 31 मई की शाम से ही सभी से आग्रह किया गया था कि एडिशन जल्दी करना है। भोला जी ने पूरे हिंदी न्यूजरूम और अन्य साथियों को आमंत्रित किया था। प्रेस क्लब में पार्टी थी। न्यूज रूम के साथी समय पर फारिग हो गये। लगभग सवा ग्यारह बजे तक सभी पहुंच चुके थे। वहां पार्टी चल रही थी। कहीं किस्सागोई। कहीं पुरानी बातें। कुछ भविष्य की प्लानिंग। हम लोग पहुंचे तो गोपाल जी की बदौलत अपने वरिष्ठ साथियों से मिलने का मौका मिला। राजीव शर्मा जी, अनूप गुप्ता जी, रामकृष्ण भाटिया जी जैसे अनेक लोगों से मुलाकात हुई।
दो बड़े बच्चों से मुलाकात अच्छी लगी
पार्टी के दौरान ही बातों-बातों में पेजीनेशन विभाग के साथी मदन झांझड़िया जी और अवनीश जी ने बताया कि उनके बेटे भी कार्यक्रम में पहुंचे हैं। उन्होंने दोनों को बुलाया। दोनों से मुलाकात और बातचीत बहुत अच्छी लगी। उनके बारे में जानने का मौका मिला। स्वास्थ्य के प्रति उनकी जागरूकता और भविष्य की तैयारी के सिलसिले में भी बात करते हुए अच्छा लगा। बड़े हो चुके बच्चों से परिपक्वता भरी बातें करना मुझे हमेशा से अच्छा लगता है। जबसे मेरा बेटा भी कॉलेज पासआउट हुआ है, यह अच्छा लगना कुछ बढ़ गया है।
जब भावुक हो गए गोपाल भोला जी...
गोपाल भोला जी ने सपने संजोये थे कि उनकी रिटायरमेंट पार्टी में उनके पिता की शिरकत होगी। उन्हें और हमारे जैसे अन्य मित्रों को यह अच्छा भी लगेगा, लेकिन दो माह पूर्व अंकल जी एक दुर्घटना में चोटिल हो गए। तब से उनका इलाज चल रहा है। पूरी शिद्दत से गोपाल भोला जी का परिवार उनकी सेवा सुश्रुसा में लगा है। रिटायरमेंट पार्टी में किसी ने हालचाल पूछ लिया। इसके साथ ही बातों-बातों में बेटे गौरव और बहू का भी जिक्र हुआ। वे दोनों न्यूजीलैंड से नहीं आ पाए। गोपाल जी के छोटा भाई भी दो माह पहले ही पिताजी का हाल लेने आए थे, इसलिए इतनी जल्दी उनका आना भी संभव नहीं हो पाया। मित्रों, रिश्तेदारों से भरी इस महफिल में भावनाओं का कुछ ज्वार-भाटा फूटा तो सभी भावुक हो गए।
उन दो पंक्तियों की मानिंद जिसके शब्द हैं-
शिकायत करने पहुंचे थे इबादत सी हो गई।
भूलने की ठानी थी पर तेरी आदत सी हो गई।
कार्यक्रम शानदार रहा। उससे दो-तीन पहले भी गोपाल भोला जी ने प्रेस क्लब में कुछ चुनींदा लोगों के साथ गेट टू गेदर किया। मैं उसमें शामिल नहीं हो पाया था। भोला जी को जीवन पथ पर खूब खुशियां मिलें। इन्हीं शुभकामनाओं के साथ। मिलते रहेंगे। कुछ फोटो और वीडियो साझा कर रहा हूं।