हम आप कहीं घूमने जाते हैं या कभी हमें कोई खास लोकेशन दिखती है तो वहां या
तो सेल्फी लेने लगते हैं या फोटो खिंचवाने लगते हैं। फोटो खिंचवाने का यह
कार्यक्रम किया तो इसलिए जाता है कि यादों को सहेज कर रखा जा सके, लेकिन इस
संबंध में एक नयी रिपोर्ट चौंकाने वाली आयी है। वैज्ञानिकों का कहना है कि
किसी पल को यादगार बनाने की खातिर तस्वीरें लेना नुकसानदेह हो सकता है।
उनका कहना है कि तस्वीरें लेने से उस पल से जुड़ी लोगों की यादें क्षीण हो
जाती हैं। अध्ययनकर्ताओं का कहना है, ‘लोगों का मानना है कि तस्वीरें लेने
से उन्हें किसी चीज को बेहतर तरीके से याद रखने में मदद मिलती है, लेकिन
होता ठीक इसके उलट है।’ कई प्रयोगों के तहत शोधकर्ताओं ने लोगों को एक
आभासी संग्रहालय की सैर कराई जहां उन्होंने कंप्यूटर स्क्रीनों पर
पेंटिंगें देखी। उस वक्त उन्हें पता था कि उन्होंने जो चीजें देखी हैं उस
बारे में उनकी परीक्षा ली जाएगी। शोधकर्ताओं ने तीन स्थितियों के बाद तुलना
की कि किन प्रतिभागियों को पेंटिंग से जुड़ी चीजें कितना याद है। तीन
स्थितियों में एक तो यह थी जब उन्होंने सिर्फ तस्वीरें देखीं, दूसरी स्थिति
थी कि जब उन्होंने पेंटिंग देखी और कैमरा फोन से उनकी तस्वीरें ली। तीसरी
स्थिति यह थी कि जब उन्होंने स्नैपचैट का इस्तेमाल कर तस्वीरें ली।
तस्वीरें लेने वालों का प्रदर्शन लगातार खराब होता गया। लेकिन जिन्होंने
तस्वीरें नहीं ली थी उन्हें चीजें बेहतर याद रहीं। वैसे भी सेल्फी लेने के
मामले में कई बार हम लोग हादसों की खबरें सुनते हैं। कई जगह तो ऐसे भी हैं
जहां सेल्फी लेने पर रोक लगा दी है। इसलिए अगर कोई खास लोकेशन पर जा रहे
हों तो भले फोटो खिंचवाइये, सेल्फी लीजिये, लेकिन उन नजारों को जी भरकर
निहारिये भी क्योंकि निहारने से उनकी यादें आपके दिल में जितना रहेंगी,
उतना फोटो खींचने से नहीं।
साभार : दैनिक ट्रिब्यून
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