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Thursday, August 6, 2020

ये सफर बहुत है कठिन मगर... मोनू पांडे की संवेदनाओं का जिक्र

अखबार में मिली कवरेज
अखबार में मिली कवरेज
केवल तिवारी

कहीं नहीं कोई सूरज धुआं धुआं है फ़ज़ा 
ख़ुद अपने आप से बाहर निकल सको तो चलो 

मशहूर शायर निदा फाजली का यह शेर मौजूं है उस शख्स के लिए जिसने कोरोना काल में इंसानियत दिखाई। हो सकता है किसी को यह बड़ी बात न लगे, हो सकता है इसे कोई यूं ही समझे, लेकिन जो दौर चल रहा है और जिस दौर में बेहद 'संवेदनशून्य' लोगों की खबरें भी आ रही हैं, उसी दौर में यह काम मुझे तो बेहद प्रभावित कर गया। बात कर रहा हूं काठगोदाम के ब्यूरा निवासी नवीन पांडे की। उन्हें उनके निक नेम मोनू पांडे के नाम से भी जाना जाता है। पहले इलाके के प्रधान भी रह चुके हैं। अभी उनकी पत्नी पार्षद हैं। मेरी भी उनसे आत्मीयता तब से है जब ब्यूरा में अपने ससुराल आना-जाना हुआ। कई मौकों पर बात करते हैं। मजाक करते हैं। फिलहाल उस बात का जिक्र कर रहा हूं, जिसका पता मुझे कल चला। उनके इलाके में एक व्यक्ति की हार्ट अटैक से मौत हो गयी। उम्र ज्यादा नहीं थी। यही कोई 45-50 के बीच। बाद में पता चला उन्हें कोरोना भी हुआ था। तीन बच्चियां हैं। बताया जाता है कि इस बीच उस व्यक्ति की पत्नी ने पति के चले जाने के गम में अपनी बच्चियों के साथ कुछ जहरीला निगल लिया। हालत बिगड़ गयी। अस्पताल कौन ले जाये। सामान्य समय में लोग आगे नहीं आते, इस वक्त तो पता चल चुका था कि पति को कोरोना हुआ था। मोनू पांडे यानी नवीन पांडेय को इसका पता चला तो तुरंत चल दिये। अपनों ने थोड़ा टोका। जाहिर हिचकिचाहट सभी को होती है, लेकिन अपने मिजाज से मिलनसार और लोगों के साथ खड़े रहने वाले मोनू ने अपनी जिम्मेदारी निभाई और इस पीड़ित परिवार को अस्पताल पहुंचाया। अब खबर है कि जहरीला पदार्थ निगलने वालों की हालत स्थिर है। मोनू ने सुरक्षा की दृष्टि से खुद को क्वारंटीन कर लिया। उनके इस कृत्य पर निदा फाजली साहब का ही एक शेर याद आ रहा है-
घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूं कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हंसाया जाए।
वाकई ऐसे काम ही तो हैं जिससे व्यक्ति थोड़ा डिफरेंट बनता है। मोनू पांडे जी शिवभक्त हैं। हर साल अमरनाथ यात्रा पर जाते हैं। इस बार कोरोना महामारी के कारण अमरनाथ यात्रा स्थगित हो गयी थी। उनके द्वारा किए जा रहे उक्त नेक काम भी अमरनाथ यात्रा सरीखे हैं। ऐसे शख्स को साधुवाद।  

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