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Sunday, October 25, 2020

इरादे नेक हों तो सपने भी साकार होते हैं... शुभम ने कर दिखाया

इरादे नेक हों तो सपने भी साकार होते हैं, अगर सच्ची लगन हो तो रास्ते आसां होते हैं।

शुभम

यह बात सच कर दिखाई है चंडीगढ़ के रायपुर खुर्द निवासी शुभम घणघस ने। शुभम का चयन राष्ट्रीय मिलिट्री कॉलेज, देहरादून में हो गया है। यूं तो दाखिले की प्रक्रिया इसी साल मार्च में पूरी हो जानी थी, लेकिन कोरोना महामारी के कारण लगे लॉकडाउन के चलते इसमें कुछ विलंब हुआ। अंतत: शुभम के लिए मिलिट्री कॉलेज से बुलावा आ ही गया।

शुभम के पिता रणबीर सिंह ने बताया कि बच्चे को लेकर देहरादून जाना है, जहां कुछ औपचारिकताओं के बाद पढ़ाई का सिलसिला चल निकलेगा।

अब बात कुछ शुभम की तैयारी के बारे में। मैं शुभम के पिता रणबीर सिंह को तभी से जानता हूं जब से मैं चंडीगढ़ आया हूं। इनकी किराना की दुकान है। रणबीर किरयाणा स्टोर। शुरू-शुरू में एक-दो बार गया, इनका व्यवहार बहुत अच्छा लगा। धीरे-धीरे उनके पास जाना ‘अपनी दुकान में जाना’ जैसा लगने लगा। मेरा भले ही आना-जाना कम रहता हो, लेकिन मेरे परिवार का इसी दुकान से हर सामान लेने का सिलसिला चलता है। पैसे कम हो जायें तो कोई लिखिल हिसाब-किताब नहीं। बाद में दे दिया जाता है। और तो और कभी एमरजेंसी पड़ने पर पैसे भी मांग लेते हैं। चलता रहता है विश्वास का यह रिश्ता।

अपने माता-पिता के साथ शुभम।


खैर... कोई तीन साल पहले शुभम के पिता से एक स्कूल में मुलाकात हुई जहां वह और मैं अपने-अपने बेटे को आरआईएमसी में दाखले के लिए किसी प्रशिक्षण स्कूल की परीक्षा कराने ले गये थे। मैंने बताया मेरे बेटे का बहुत मन नहीं है, बस परीक्षा दिलाने ले आया हूं। रणबीर सिंह ने बताया कि उनके बेटे की पूरी इच्छा है। मैं समझ गया जब बेटे की इच्छा है तो निश्चित तौर पर उसका प्रवेश होगा। यह बात मैंने तब भी कही थी। क्योंकि मैं जानता था-

कौन कहता है कि ख्वाब सच्चे नहीं होते, मंजिलें उन्हें नहीं मिलती जिनके इरादे पक्के नहीं होते।

इस मुलाकात के बाद शुभम को अक्सर देखता कि वह दुकान पर मां-बाप का पूरा हाथ बंटाता है। शुभम की मम्मी से भी अक्सर उसकी तैयारी को लेकर बात होती रहती। कभी-कभी मेरे मन में आता कि दुकान में बैठकर पढ़ाई करने से कहीं इस बच्चे की राह में कुछ अड़चन न आ जाये। हालांकि वह तल्लीनता से पढ़ता। सबसे अच्छी बात मैंने उसमें देखी कि वह मां-बाप की डांट सुनता, लेकिन कभी पलटकर जवाब नहीं देता था। रायपुर खुर्द में पिछले सात सालों से बच्चों को ऑब्जर्व कर रहा हूं। एक से एक बिगड़ैल बच्चे भी देखे हैं, लेकिन ‘होनहार वीरवान के होत चिकने पात’ जैसी कहावत पर शुभम को हमेशा लक्ष्य की ओर बढ़ते देखा। आज उसने कामयाबी की सीढ़ी पर पहला कदम रखा है। हमारी दुआ है कि यह बच्चा खूब तरक्की करे। अपने माता-पिता का नाम रोशन करे। शुभम की इस कामयाबी पर उसकी दीदी, उसके माता-पिता, ताऊजी, ताईजी, चाचा-चाची समेत पूरे परिवार को बधाई। इस मौके पर यही कहूंगा-

चलते रहना तुम हर बारगी, मत घबराना जिंदगी में परेशानी से, मेहनत से सींचना कोशिशों को, कामयाबी तुम्हारे पास आएगी।

2 comments:

kewal tiwari केवल तिवारी said...

तरक्की के पथ पर शुभकामनाएं।

Unknown said...

Congrats champion