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Monday, August 29, 2022

Twin टावर ध्वस्त ... एक संदेश एक सबक... जीवन दर्शन

केवल तिवारी

नोएडा स्थित बहु चर्चित ट्विन टावर को रविवार की दोपहर ध्वस्त कर दिया गया। कई वर्षों में तैयार करोड़ों के ट्विन टावर को ध्वस्त होने तें महज 10 सेकेंड का समय लगा। दो गगनचुंबी इमारतों के इस तरह से ध्वस्त होने के पीछे एक संदेश है, एक सबक है और जीवन दर्शन भी है। संदेश यही है कि भ्रष्टाचार की सुप्रीम सुनवाई अब भी है, इसलिए व्यवस्था से बहुत निराश होने की जरूरत नहीं है। 
इसी मलबे के ढेर पर खड़े थे टावर


लड़ाई थोड़ी लंबी हो सकती है, लेकिन परिणाम सामने आता ही है। ये इमारतें महज इसलिए नहीं गिराई गयीं कि ये खतरनाक थीं और इसमें रहना जोखिमभरा हो सकता है, बल्कि इसलिए भी गिराई गयीं कि दंभ किसी का नहीं चलेगा। तमाम नियम-कानूनों को ताक पर रखकर जिस तरह से बिल्डर ने यह समझ लिया था कि वह पैसों के बल पर सबकुछ खरीद सकता है, वह ऐसा कर नहीं पाया। सबक यही है कि देशभर में करोड़ों बिल्डर सिर्फ कमाई की ही न सोचें, उस भावना के बारे में भी संजीदगी से विचार करें जो उस व्यक्ति के मन में उमड़ती है जो सपनों का घर या आशियाना बनाने में अपने जीवनभर की कमाई को लगा देता है। इस टावर में भी लोगों ने बड़े अरमानों से पैसे लगाए होंगे, बेशक इसमें अनेक लोग ऐसे होंगे जिन्होंने सिर्फ इनवेस्टमेंट के उद्देश्य से पैसा लगाया होगा, लेकिन ज्यादातर के लिए सपनों का घर बन रहा होगा। दीगर है कि शीर्ष कोर्ट के आदेश के अनुसार उन्हें ब्याज समेत पैसा लौटाया जाएगा।
जीवन दर्शन इस अर्थ में है कि घर, परिवार, दोस्ती यारी सबके बनने में बहुत लंबा समय लगता है, लेकिन अगर उसे खत्म करने की बात हो तो कुछ ही पलों में यह खत्म हो जाता है। यह समाप्ति गलत फहमियों के कारण हो सकती है, विचारों और अहंकार के टकराव से हो सकती है। यदि ट्विन टावर की तरह ध्वस्त ही करना हो संबंधों को तब तो बिल्डर की तरह अड़ियल ही बने रहना ठीक, नहीं तो उदारता के साथ इतनी मजबूत इमारत बनाने की कोशिश करनी चाहिए कि परिस्थितिजन्य कोई भी डायनामाइट इसे उड़ा ही न सके। वैसे पार्ट ऑफ लाइफ यही है कि हवा के झोंकों के मानींद जीवन चलता रहता है।
सभी जानते हैं कि रविवार 28 अगस्त को नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक के ट्विन टावर को उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद धराशायी कर दिया गया। दिल्ली के ऐतिहासिक कुतुब मीनार (73 मीटर) से भी ऊंचे गगनचुंबी ट्विन टावर को खास तकनीक से गिराया गया। ट्विन टावर भारत में अब तक ध्वस्त किए गए सबसे ऊंचे ढांचे थे। राष्ट्रीय राजधानी से लगे नोएडा के सेक्टर 93ए में सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट हाउसिंग सोसाइटी के भीतर 2009 से 'एपेक्स' (32 मंजिल) और 'सियान' (29 मंजिल) टावर निर्माणाधीन थे। इमारतों को ध्वस्त करने के लिए 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल किया गया। ट्विन टावर में 40 मंजिलें और 21 दुकानों समेत 915 आवासीय अपार्टमेंट प्रस्तावित थे। यानी हजारों घर बसने थे और कई दुकानें भी। इन ढांचों को ध्वस्त किये जाने से पहले इनके पास स्थित दो सोसाइटी एमराल्ड कोर्ट और एटीएस विलेज के करीब 5,000 लोगों को वहां से हटा दिया गया। इसके अलावा, करीब 3,000 वाहनों तथा बिल्ली और कुत्तों समेत 150-200 पालतू जानवरों को भी हटाया गया। अनुमान के मुताबिक, ट्विन टावर को गिराने के बाद इससे उत्पन्न हुए 55 से 80 हजार टन मलबा हटाने में करीब तीन महीने का समय लगेगा। यहां भी एक संदेश है कि संबंधों को झटके से तोड़ा तो जा सकता है, लेकिन उसके बाद उपजी कड़वाहट को खत्म करने में कभी-कभी पूरा जीवन भी लग सकता है। इसलिए जीवन छोटा है, अपने हिस्से की उस जिम्मेदारी को पूरा कर लीजिए जिससे दूसरों को दुख न पहुंचे। हां आनंद ही नकारात्मकता मेें आता है तो कोई कुछ नहीं कर सकता।

5 comments:

Anonymous said...

Jordaar vishleshan

Anonymous said...

बहुत सुंदर

Anonymous said...

जानकारी भी, और सकारात्मक संदेश भी हैं जीवन दर्शन के साथ इस आलेख में ।बधाई तिवारी जी ।

Anonymous said...

Bahut shandar hai sir..

Anonymous said...

अवैध ट्विन टावर के ध्वंस की घटना के आलोक में, सत्य सनातन भारतीय संस्कृति की वैदिक परंपरा के आदर्श-- आत्मनः प्रतिकूलानि, परेषां न समाचरेत्।।
('अपनी आत्मा को जो दुःखदायी लगे, वैसा आचरण दूसरों के साथ मत करिए।’) को सीधी सरल और सपाट शैली में बताने के लिए तिवारी जी को साधुवाद! आपकी लेखन शैली घुमावदार उबाऊ और लंबी सड़कों की न होकर सीधी सरल पगडंडी की तरह है, जो लक्ष्य तक पहुंचाने में ज्यादा समय नहीं लेती।