मोहम्मद अम्मार
क्या जिंदगी है। चलते चलते सांस उखड़ जाती है। चलते चलते सांस निकल जाती है। यह बना लूं, वो बना लूं, यह कर लूं वो कर लूं। घर में करोड़ों लगा दिए। खुद रहा नहीं। बच्चे बड़े हुए तो बने बनाए को बेचकर चले गए। मेरा मानना है कि हर इंसान बस इतना सोचकर जिंदगी जी ले कि बस कभी भी बुलावा आ सकता है मरना है। चिता पर लेटना है और कब्र में जाना है। तो 95 फीसद फसाद अपने आप समाप्त हो जाएं। हिंदू मुस्लिम, जात बिरादरी, मुकदमा बाजी, जमीन कब्जे। बस इंसान की जिंदगी इनके इर्द गिर्द घूम रही है। अंत में हासिल वसूल कुछ नहीं। खामखा की नफरतें और लड़ाइयां हैं। बड़े से बड़े सुरमा आज राख में उड़ गए या मिट्टी में तब्दील हो गए।
अंत में बस एक खबर आती है कि फलां इंसान नहीं रहा। ऐसे ऐसे यह हो गया और मौत हो गई। बस इंसान जीता ऐसे है जैसे इसे कभी मरना ही नहीं। और मर ऐसे जाता है जैसे कभी जिया ही नहीं। मोहब्बतें बांटते चलिए, नफरतें पहले ही बहुत हैं। सौ बातों की एक बात यह है कि हर दिन गुजरने के साथ आप अपनी मौत के करीब हो रहे हैं। हम सब अपने जिंदगी के सफर में ट्रेन में बैठे हैं। और अपनी मंजिल की तरफ बहुत तेज़ी से बढ़ते जा रहे हैं। जिन लोगों की मौत की खबर आ रही है। समझ लें कि उनका स्टेशन आ गया। कुछ देर या दिनों बाद हमारा भी स्टेशन आ जायेगा, फिर किस बात की लड़ाइयां। सोचिए....
दो दिन पहले इस मैसेज पर दी थी बधाई
6 महीने पहले दैनिक जागरण हेड ऑफिस ज्वॉइन किया था। अप्रैल में पूरे उत्तर प्रदेश के टॉप 10 ऑथर की लिस्ट निकली है। मोहम्मद अम्मार खान का नाम ऊपर आया है। जरूरी नहीं हमेशा ऊपर रहे। कभी नीचे भी आएगा। लेकिन देखकर खुशी तो होती ही है। बारहवीं क्लास में था तो अंग्रेजी के सर कहते थे जिंदगी में मुंगफुली भी बेचो तो ऐसे बेचना की तुम्हारे ठेले की मुंगफूली सबसे अच्छी हो। इस कामयाबी में आप सभी की हिस्सेदारी ही। आप सभी के प्यार के लिए दिल से शुक्रिया। इसे पढ़ने के लिए भी शुक्रिया।😊*
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लेखक के बारे में : वरिष्ठ पत्रकार हैं। कुछ समय चंडीगढ़ में दैनिक ट्रिब्यून में भी अपनी सेवाएं दीं। फिलहाल दैनिक जागरण में हैं। केटी की कांव-कांव के प्रोपराइटर से दैनिक ट्रिब्यून में ही मुलाकात हुई। उस वक्त से यदा-कदा सोशल मीडिया मंचों या अन्य माध्यमों से मुलाकात या बातचीत हो जाती है। उन्होंने Whatsapp पर पहले अपनी एक उपलब्धि की जानकारी भेजी (फोटो साझा कर रहा हूं) फिर अगली सुबह उक्त मैसेज। अच्छा लगा तो उनकी परमिशन पर इसे हू ब हू यहां प्रकाशित कर रहा हूं। अम्मार आप खूब तरक्की करो। यही दुआ है। - केवल तिवारी
1 comment:
अच्छी सोच
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