केवल तिवारी
चूंकि यह कोई औपचारिक लेखन नहीं है, इसलिए इसे अपने अंदाज में ही लिखूंगा। इस अनौपचारिक ब्लॉग लेखन में बात वरिष्ठ पत्रकार, लेखक हेमंत पाल की। उनके साथ कुछ 'फ्लैशबैक नाता' है। एक तो यह कि वह मध्य प्रदेश के प्रतिष्ठित दैनिक नईदुनिया में लंबे समय तक रहे, मैं भी उसी अखबार के दिल्ली केंद्र में कुछ समय रहा। उनके लेखन को मैंने पहले भी पढ़ा है। अब वह हमारे अखबार दैनिक ट्रिब्यून के नियमित लेखक हैं। एक साल पहले उनसे इंदौर में मुलाकात हुई। वरिष्ठ पत्रकार, साहित्यकार नरेंद्र निर्मल की बिटिया की शादी समारोह में। मुलाकात का जरिया बने हमारे अखबार के सहायक संपादक अरुण नैथानी जी।
अब बात हेमंत पाल जी के फ्लैशबैक की। थोड़ी देरी हुई उनकी इस रचना के बारे में लिखने में। फिल्मी दुनिया पर आधारित उनकी इस किताब को नयी दिल्ली स्थित भारत मंडपम से फरवरी में विश्व पुस्तक मेले के दौरान ही खरीद लिया था, लेकिन बीच में दो किताबें मुझे अपने कार्यालय से मिली थीं, समीक्षा के लिए। उनकी समीक्षा कर दी फिर कुछ पारिवारिक व्यस्तताओं में रहा। इस बीच, समय मिलते ही पूरी किताब पढ़ डाली। किताब के बारे में लिखने से पहले बता दूं कि हेमंत जी अक्सर हमारे अखबार के मनोरंजन मैग्जीन के लिए लिखते हैं। अन्य कई जगह भी उनका लेखन चलता है। वह जितना अच्छा लिखते हैं, उतने ही बेहतर मिलनसार व्यक्ति हैं। पहली औपचारिक मुलाकात में ही छा जाने वाले। अब बात पुस्तक 'फ्लैशबैक' की।
पुस्तक का पूरा नाम है फ़्लैश बैक (फिल्मी कथानकों के इतिहास का लेखा-जोखा) कवर पेज आकर्षक है। रील जैसी छवि में तीन पोस्टर हैं। कुल 24 अध्यायों वाली इस किताब में लीक से हटकर फिल्मी जानकारी है। कह सकते हैं कि गागर में सागर भर दिया है। फिल्में चल पड़ने कि कोई सेट फार्मूला नहीं है। खूब लंबी फिल्में बनीं, दो-दो इंटरवल वाली। छोटी भी बनीं। कथानकों को लेकर भी विविध प्रयोग हुए। गीतों से भरपूर फिल्में भी बनीं। सच्ची घटनाओं पर भी फिल्म बने, विषयों पर भी विविधता दिखी। बात चाहे होली के रंगों की हो, भूत-प्रेत की कहानियां हों, सस्पेंस की हो या कुछ और... हेमंत जी ने आम जानकारी से हटकर सामग्री पेश करने की सफल कोशिश की है। कुल 24 अध्यायों वाली यह किताब पठनीय और संग्रहणीय है। प्रकाशक का नाम है, न्यू वर्ल्ड पब्लिकेशन, नयी दिल्ली। मुद्रक, सूरज प्रिंटर्स और लेआउट नितिन पंजाबी (बीएस ग्राफिक्स, इंदौर) फिल्मी दुनिया पर इस बेहतरीन किताब के लिए हेमंत जी को हार्दिक बधाई।