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Friday, November 21, 2025

माध्यम बदले हैं, लेखन और पाठन कम नहीं हुआ : डॉ. सुमिता मिश्रा, तीन दिवसीय चंडीगढ़ लिट फेस्ट 21 नवंबर से

केवल तिवारी

पढ़ने के माध्यम भले ही बदले हों, लेकिन साहित्यानुराग कम नहीं हुआ। हां यह भी एक तथ्य है कि लेखन का स्वरूप भी बदला है। यह बात कही डॉ. सुमिता मिश्रा, आईएएस, चेयरपर्सन, चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी (सीएलएस) और फेस्टिवल डायरेक्टर, सीएलएफ लिटराटी ने। इस वर्ष यानी 2025 के चंडीगढ़ लिटफेस्ट के संबंध में डॉ. सुमिता ने शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से जानकारी दी। इस मौके पर उनके साथ मौजूद मनमोहन सिंह आदि ने भी माना कि बच्चे हों या बड़े रीडिंग हैबिट बनी रहनी चाहिए। साहित्य और कला से संबंधित अनेक सवालात इस दौरान किए गए। सुखद है कि ऐसे साहित्योत्सव हो रहे हैं। चंडीगढ़ भी इसका गवाह बन रहा है। दिल्ली में अनेक पुस्तक मेलों में जाने का मौका मिलता था, कवरेज भी खूब किया। इस बार इस कार्यक्रम में जाने का मन बना। कार्यक्रम तो आगामी 21 से 23 नवंबर के बीच है, फिलहाल कट एंड रेजर यानी प्री इवेंट की इस कवरेज से संबंधित मीडिया विज्ञप्ति को हू-ब-हू नीचे दे रहा हूं। अपने अखबार दैनिक ट्रिब्यून के लिए खबर बन चुकी है।



लिटरेचर फेस्ट के सीएलएफ लिटराटी 2025 का आयोजन 21 नवंबर से शहर में

एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़, अभिनेत्री -कवि संध्या मृदुल, पुलिस अधिकारी व लेखक अमित लोढ़ा सहित अन्य के अलग अलग सेशन आयोजित होंगे

डॉ.सुमिता मिश्रा, आईएएस, चेयरपर्सन, चंडीगढ़ लिटरेरी सोसाइटी (सीएलएस) और फेस्टिवल डायरेक्टर, सीएलएफ लिटराटी 2025 (चंडीगढ़ लिटफेस्ट) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में 21 से 23 नवंबर तक आयोजित होने वाले आगामी सीएलएफ लिटराटी 2025 (चंडीगढ़ लिटफेस्ट) की घोषणा की। डॉ. मिश्रा ने बताया कि यह लिटरेचर फेस्टिवल सीएलएस द्वारा आयोजित किया जा रहा है और 21 नवंबर को उत्सव की शुरुआत के उपलक्ष में एक सांस्कृतिक संध्या का आयोजन किया जाएगा। उन्होंने बताया कि लिटफेस्ट के दौरान साहित्यिक चर्चाएं 22-23 नवंबर को लेक क्लब में शांत सुखना लेक की पृष्ठभूमि में होंगी।

डॉ. सुमिता मिश्रा ने कहा कि इस वर्ष साहित्य, विचारों और कल्पना के उत्सव का थीम 'वर्ल्डस विदइन वर्ड्स' है। दो दिनों तक चलने वाले इंटरैक्टिव सेशंस में 27 लेखक, कवि, एड फिल्म निर्माता और कलाकार भाग लेंगे। इस उत्सव में पंद्रह (15) विचारोत्तेजक सत्र, चार (4) पुस्तक विमोचन और एक क्रिएटिव राइटिंग वर्कशॉप होगी।

डॉ. मिश्रा ने आगे कहा कि हमने पूरे भारत और ऑस्ट्रेलिया के लेखकों की एक दिलचस्प सूची तैयार की है, जो समकालीन विमर्श को आकार देने वाले मुद्दों पर जाने-माने वार्ताकारों के साथ चर्चा करते नज़र आएंगे।

इस वर्ष के उत्सव में सबसे प्रतीक्षित नामों में से एक एड फिल्म निर्माता और एड गुरु प्रह्लाद कक्कड़ हैं, जो प्रतिष्ठित विज्ञापन कैम्पेंस के लिए जाने जाते हैं। इस शानदार कार्यक्रम में साहित्य और कला जगत के अन्य जाने-माने नामों के साथ प्रशंसित अभिनेत्री और कवियत्री संध्या मृदुल भी शामिल होंगी।

21 नवंबर की शाम रानी लक्ष्मी बाई भवन, सेक्टर 38 में प्रसिद्ध कलाकार भुवन शर्मा द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक प्रस्तुति 'साज़ औ आवाज़' से लिटरेचर फेस्टिवल का शुभारंभ होगा।

साहित्यिक आदान-प्रदान शनिवार, 22 नवंबर को डॉ. सुमिता मिश्रा के स्वागत भाषण के साथ शुरू होगा, जिसके बाद राष्ट्रीय साहित्य अकादमी के प्रेसीडेंट माधव कौशिक उद्घाटन भाषण देंगे। इसके बाद निम्नलिखित संवादात्मक सत्र आयोजित किए जाएंगे:

'द पावर ऑफ़ अ स्टोरी: एडवरटाइजिंग इनसाइट्स' में प्रह्लाद कक्कड़ लेखिका अराधिका शर्मा के साथ बातचीत करेंगे; 'इंडियन डेमोक्रेसी: इवॉल्विंग पॉलिटी एंड पब्लिक डिस्कोर्स' में पूर्व सांसद शाहिद सिद्दीकी, जो अपने संस्मरण 'आई, विटनेस: इंडिया फ्रॉम नेहरू टू नरेंद्र मोदी' के लिए जाने जाते हैं; राशीद किदवई, जिन्हें '24 अकबर रोड' और 'द हाउस ऑफ सिंधियाज' जैसी किताबों के लिए जाना जाता है, और पुरस्कार विजेता पत्रकार नीरजा चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार रमेश विनायक के साथ बातचीत करेंगे; 'बांग्लादेश: द स्टोरी ऑफ एन अनफिनिश्ड रेवोल्यूशन' में, प्रशंसित लेखक दीप हलदर, जिन्हें 'ब्लड आइलैंड, बंगाल' और 'बीइंग हिंदू इन बांग्लादेश' पुस्तकों के लिए जाना जाता है; और लेखक और रिसर्चर रामी देसाई, वरिष्ठ पत्रकार कार्तिकेय शर्मा के साथ आमने-सामने के अंदाज में बातचीत करेंगे।

उत्सव के दूसरे दिन दो पुस्तकों का विमोचन होगा, महक ग्रोवर की 'द साइलेंट ब्रेव' और मंजू जैदका की 'द लीजेंड ऑफ सांझी-गिरी'।

इसके बाद एक सेशन 'शब्द की सुगंध: हिंदी साहित्य का नया दौर' होगा जिसमें माधव कौशिक, कवि और जीवनी लेखक चंद्र त्रिखा और मोटिवेशनल स्पीकर और लेखक चंद्रशेखर वर्मा वरिष्ठ पत्रकार शायदा बानो के साथ बातचीत करेंगे। 'दिल दे कागज़ उत्ते: नवी लहर दे कलमकार' में, सेवानिवृत्त मनमोहन सिंह (आईपीएस) और एक प्रशंसित और पुरस्कार विजेता कवि और लेखक-शायर बब्बू तीर लेखिका रावी पंधेर के साथ बातचीत करेंगे। 'चंडीगढ़: द सिटी दैट इज़, एंड दैट वाज़ नॉट' में आर्किटेक्चर इतिहासकार रजनीश वत्स इतिहासकार और लेखक राजीव लोचन के साथ बातचीत करते हुए दिखाई देंगे; डॉ सुमिता मिश्रा प्रसिद्ध कवि पत्रकार मनराज ग्रेवाल के साथ 'शी राइट्स, शी लीड्स: स्टेटक्राफ्ट एंड स्टैंज़ा' में बातचीत करते हुए दिखाई देंगे;और 'अनटेमड साइलेंस: द मेनी लाइव्स ऑफ़ संध्या मृदुल' में, संध्या मृदुल लेखिका और कवि सोनिया चौहान के साथ बातचीत करेंगी।

22 नवंबर की शाम को, सीएलएस 'नृत्य प्रांगण', भवन डांसिंग कोर्टयार्ड के सहयोग से भारतीय विद्या भवन, सेक्टर 27 में डॉ सुचेता भिड़े-चापेकर के शिष्यों द्वारा भरतनाट्यम प्रस्तुति 'स्वरित मुद्राएं' प्रस्तुत करेगा।

तीसरे दिन - रविवार, 23 नवंबर को उत्सव के अंतिम दिन, सोनिका सेठी और देवयानी सिंह द्वारा 'क्रिएटिव राइटिंग वर्कशॉप' के साथ फेस्टिवल की शुरुआत होगी; 'स्प्रिचुअल कोर्ड्स: स्टोरीज ऑफ चेंज एंड चॉयस' में शालिनी मोदी जिन्होंने 'रासा इन डिवाइन रिलेशनशिप्स एंड इम्मॉर्टैलिटी: ए बून ऑर ए कर्स' पुस्तक लिखी है और कृष्णपद दास कृष्ण - अक्षय पात्र फाउंडेशन के एक आध्यात्मिक गुरु, अन्नूरानी शर्मा, एक बाइलैंग्वुअल कवि, लेखक और भक्ति गायक के साथ बातचीत करेंगे। 'रूट्स एंड रेसिपीज़: ए वेलनेस कन्वर्सेशन' में भारत की प्रमुख न्यूट्रीनिशस्ट और पब्लिक हेल्थ एडवोकेट रुजुता दिवेकर शामिल होंगी। वहीं, 'बिहार डायरीज़ एंड ग्राउंड ज़ीरो: रियल हीरोज़, रियल स्टोरीज़' में आईपीएस अधिकारी अमित लोढ़ा शामिल होंगे, जिनकी बेस्टसेलिंग कृति 'बिहार डायरीज़, लाइफ इन द यूनिफ़ॉर्म, एंड पुलिस अफेयर्स' को एक लोकप्रिय ओटीटी सीरीज़ में बनाया गया था , अमित लोढ़ा के साथ पूर्व राष्ट्रीय हॉकी खिलाड़ी वीना रमन भी होंगी और दोनों आईपीएस अधिकारी और लेखक अर्श वर्मा के साथ बातचीत करेंगे ।


इन सेशंस के बाद दो पुस्तकों - सोनिया वशिष्ठ ओबेरॉय की 'लाइफ, लव एंड अस' और रावी पंधेर की 'इकोज़ ऑफ़ द सोल' का विमोचन होगा।

पुस्तक विमोचन के बाद, कई और सेशन होंगे, जिनमें 'इंडिया थ्रू मेमोरी एंड ट्रैवल' जिसमें ऑस्ट्रेलियाई लेखक सीन डॉयल कवि सुनैना जैन के साथ बातचीत करेंगे; 'टेलिंग टेल्स, टचिंग लाइव्स' में पुरस्कार विजेता लेखिका शोभा थरूर और एक अन्य पुरस्कार विजेता लेखिका मोना वर्मा सोनिका सेठी के साथ बातचीत करेंगी। राईवर्स पब्लिशिंग ग्रुप के संस्थापक-निदेशक और सूफी कॉलमनिस्ट अफ्फान यस्वी और एक सूफी संगीतकार, जिन्हें 'प्रिंस ऑफ कव्वाली' के नाम से जाना जाता है - ध्रुव सांगारी - कवि, अनुवादक और रिसर्चर डॉ. विशाखा गोयल के साथ बातचीत करेंगे। 'सीधा संवाद' में हिंदी लेखक बलराम और प्रसिद्ध कवि, कहानीकार और नाटककार विजय कपूर के बीच चर्चा होगी। 'फ्रॉम कृष्णा टू चाणक्य: रिटेलिंग भारत विद ए ट्विस्ट' में इंग्लिश फिक्शन लेखक अश्विन सांघी 'सुनीता विलियम्स: एस्ट्रोनॉट एक्स्ट्राऑर्डिनेयर' की लेखिका आराधना शर्मा के साथ बातचीत करेंगे।

महोत्सव का समापन सीएलएफ लिटराटी अवॉर्ड समारोह के साथ होगा जिसमें डॉ. सुमिता मिश्रा और टीम लिटराटी द्वारा अंग्रेजी और हिंदी दोनों की फिक्शन और नॉन-फिक्शन कैटेगरीज में विजेताओं को सीएलएफ लिटराटी अवॉर्ड्स प्रदान किए जाएंगे।


सीएलएफ लिटरेचर अवॉर्ड्स के लिए चयनित पुस्तकें:

इंग्लिश नॉन-फिक्शन में

देवदत्त पटनायक द्वारा ‘अहिम्सा: 100 रिफलेक्शंस ऑन द हड़प्पन सिविलाइजेशन’ (हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया); गोपालकृष्ण गांधी द्वारा ‘द अनडाइंग लाइट: ए पर्सनल हिस्ट्री ऑफ इंडिपेंडेंट इंडिया’ (एलेफ बुक कंपनी); नजमा हेपतुल्ला द्वारा ‘इन परस्यूट ऑफ डेमोक्रेसी: बियॉन्ड पार्टी लाइन्स’ (रूपा पब्लिकेशंस इंडिया); रस्किन बॉन्ड द्वारा ‘अनदर डे इन लंडौर: लुकिंग आउट फ्रॉम माई विंडो’ (हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया) और शशि थरूर द्वारा ‘ए वंडरलैंड ऑफ वर्ड: अराउंड द वर्ड इन 101 एसेज’ (एलेफ बुक कंपनी)।


इंग्लिश फिक्शन में


अमिताभ बागची द्वारा ‘अननोन सिटी: ए नॉवेल’ (हार्परकॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया); अनीता देसाई द्वारा ‘रोसारिता पैन’ (मैकमिलन इंडिया); एनी जैदी द्वारा ‘द कमबैक: ए नॉवेल’ (एलेफ बुक कंपनी); 'द अयोध्या एलायंस: भारत कलेक्शन 8' अश्विन सांघी (हार्पर कॉलिन्स पब्लिशर्स इंडिया) द्वारा और 'व्हिसल्स ऑफ द सिफूंग: टेल्स फ्रॉम द बोडो हार्टलैंड' रश्मि नारज़ारी (ओम बुक्स इंटरनेशनल) द्वारा।


हिंदी फिक्शन/नॉन-फिक्शन में


बलराम (राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा 'शुभ दिन'; गीताश्री (राजकमल प्रकाशन प्राइवेट लिमिटेड) द्वारा 'कामनाओं की मुंडेर पर' और कैफ़ी हाशमी (लोकभारती प्रकाशन) द्वारा 'शीया बटर'।

Saturday, November 15, 2025

हिम्मत से जीने वाली भाभी जी, मौत से भी बेखौफ नजरें मिलाईं

केवल तिवारी

जिंदगी तो बेवफा है एक दिन ठुकराएगी, मौत महबूबा है अपने साथ लेके जायेगी। फिल्म मुकद्दर का सिकंदर के इस गीत के बोल बरबस तब याद आए जब गांव से मदन ने सूचना दी कि खिलगजार भाभीजी नहीं रही। उस परिवार की बुजुर्गतम महिला। हमारे परिवार की भी। लंबा-चौड़ा परिवार है हमारा। भाभी जी मुकद्दर का सिकंदर थीं या नहीं, इस पर सबकी अपनी राय हो सकती है, लेकिन शायद इसमें दो मत नहीं होंगे कि वह बहुत हिम्मती थीं। इतनी हिम्मती कि चौथी अवस्था में भी बड़े आराम से कहतीं, 'सब इंतजाम हो जाएगा।' कुछ साल पहले की बात है, मैंने उनसे कहा, 'बोजी (भाभीजी) हम लोग घर आएंगे, लेकिन...' पूरा सवाल सुने बिना ही वह समझ गयीं कि गांव में इंतजाम की बात पूछी जा रही है। हमारा मूल घर जीर्ण-शीर्ण हो चुका है। अचानक किसी के घर इतने लोग कैसे पहुंच सकते हैं? भाभीजी ने बीच में ही रोककर कहा, सब इंतजाम हो जाएगा, बस हफ्तेभर पहले बता देना। सच में उनके इंतजामात का असली आनंद आता जब वह भागवत करातीं। स्नेह से सबको बुलातीं। दीदीयों को भी नहीं भूलतीं। सबको निमंत्रण देना, गांव पहुंचने पर बहुत खुश होना और आशीर्वाद का पिटारा खोल देना, यही सोच थी उनकी। उनसे बेहद लगाव था। बहुत पुरानी बात याद करूं तो वह है प्रेमा दीदी की शादी का। कन्यादान जोड़े में ही हो सकता है। माता-पिता का जोड़ा तो पहले ही टूटा हुआ था, याद भी नहीं कि पिताजी कब चले गये। निकट परिवार में सब नौकरी-पेशा वाले, दूर-दराज निवासी। भाई साहब की शादी हुई नहीं थी, ऐसे में यही भाभी ने आंचल फैलाया और आशीर्वाद दिया। बाद तक भी कहती रहीं, 'प्रेमा ललि तो मेरि चेली जस छन।' यानी प्रेमा (ललि मतलब ननद) तो मेरी बेटी जैसी हैं। उसके बाद मेरा कुछ वर्षों का प्रारंभिक जीवन गांव में चला। बहुत ज्यादा चीजें समझ नहीं आती थीं। बाद में लखनऊ आ गया। एक बार 12वीं कक्षा में पढ़ाई के दौरान गांव गया। ईजा (माताजी) ने मिठाई की पुड़िया खिलगजार आदि जगह देने के लिए कहा। वह बोलीं, इसी बहाने तू सबसे मिल भी आएगा। तब भाभी जी ने कहा था, केवल तुमने इतना बोलना कहां से सीख लिया। असल में, मैं बहुत अंतर्मुखी टाइप व्यक्ति था। फिर मैंने उनकी बात पर गौर किया तो लगा सचमुच मैं बोलने और लिखने वाला बहुत हो गया हूं। खुद ही जवाब ढूंढ़ लिया, अब ट्यूशन पढ़ाना शुरू कर दिया है, इसलिए शायद बहुत बलार (बोलने वाला) हो गया हूं। शाहजहांपुर में ट्यूशन पढ़ाता था तो बच्चों से ज्यादा उनके मां-बाप को सिखाना पड़ता था। पढ़ाई के अलावा भी बच्चों के प्रति उनके अनेक आग्रह और दुराग्रह रहते थे। खैर... बाद में भाभीजी से साल-दो साल में मिलना होता रहता था। इस दौरान माताजी चल बसीं। वह अक्सर कहतीं, तुम्हारी ईजा तो भगवान का रूप थीं। महात्मा थीं। मैं मुस्कुरा देता। मां के प्रति मेरा अगाध स्नेह रहा है, जैसा कि हर बच्चे का अपनी मां के प्रति रहता ही है। मुझे उनकी बातें याद रहतीं। बातों ही बातों में भले ही हम पुरानी चीजों को याद करते, लेकिन उनका संदेश भविष्य के प्रति ज्यादा होता। बीती ताहि बिसार दे... का भाव लिए हुए। वह भागवत करातीं तो कभी बिपिन के साथ तो कभी अकेले जाना हुआ। बिपिन भी अब दुनिया में नहीं रहा। पिछली बार मैं जा नहीं पाया था। इस बार भाभी जी खुद ही चली गयीं। बिना किसी को कोई कष्ट दिये और बिना खुद कोई शारीरिक कष्ट झेले। मानसिक रूप से वह कैसे मजबूत रहती थीं, वहीं जानें। गांवों में पुराने संस्कार ऐसे ही थे कि हम ज्यादातर बड़े लोगों का नाम ही नहीं जानते थे। कोई चाची, कोई ताई और कोई भाभी। कभी किसी के नाम का पता ही नहीं चला। प्रसंगवश एक किस्सा याद आ रहा है। मैं एमए में जब पढ़ रहा था तो गांव गया। ईजा भी उन दिनों गांव में थी। मैंने कहा, ईजा मैंने माकोट (ननिहाल) नहीं देखा है। चलते हैं। वहां गये तो शाम के वक्त एक पूजा में बैठे थे। तभी एक बुजुर्ग सज्जन ने ईजा का नाम लिया और पूछा, तू कब आई। ईजा के नाम का संबोधन और बहन की तरह आत्मीय भाव से ऐसा पुकारा जाना मुझे बेहद भावुक कर गया। तभी ईजा ने मुझसे कहा, बेटा ये मामा हैं, पैर छुओ। पहली बार किसी के मुंह से मैंने मां का नाम सुना। गांव में तो अक्सर किसी के मुंह से उनके लिए अम्मा, ताई, चाची या भाभी जैसे ही संबोधन सुने थे। अब मुझे इन भाभी का भी नाम का पता ही नहीं। मैंने किसी से पूछा भी नहीं। खिलगजार की बोजी को सादर नमन। पुण्यात्मा का यदा-कदा स्मरण होता ही रहेगा। ऊं वासुदेवाय नम:

Tuesday, November 11, 2025

चंडीगढ़, द ट्रिब्यून स्कूल और मैं

खबर एवं क्लिप्स: साभार दैनिक ट्रिब्यून 

केवल तिवारी
आज इस ब्लॉग को लिखने का मुख्य कारण चंडीगढ़ के सेक्टर 29 स्थित द ट्रिब्यून स्कूल में चले दो दिवसीय मॉडल युनाइटेड नेशंस यानी एमयूएन की कवरेज है। शनिवार 8 नवंबर और रविवार 9 नवंबर तक दो दिन तक कार्यक्रम चला। मेरी मूल कवरेज शनिवार की रही। जिसकी मूल खबर और अखबार में प्रकाशित खबर की कटिंग को साझा करूंगा। इसी बहाने अपने कुछ अनुभव इस तरह से हैं-
चंडीगढ़ को अपनी कर्मभूमि बनाए हुए लगभग डेढ़ दशक होने वाला है। इतने ही समय से द ट्रिब्यून स्कूल से नाता जुड़ा है। कभी बतौर पत्रकार कार्यक्रमों की कवरेज के नाते और कभी बच्चों के अभिभावक के तौर पर पीटीएम में जाने के नाते। पहले यह ट्रिब्यून मॉडल स्कूल था, फिर बना द ट्रिब्यून स्कूल। उस वक्त ट्रिब्यून समाचार पत्र समूह के दैनिक ट्रिब्यून से जुड़ा। कुछ समय इस शहर में अकेला रहा फिर वसुंधरा, गाजियाबाद से बच्चों को भी यहीं शिफ्ट करने की तैयारी हुई। तमाम लोगों से बातचीत और खुद स्कूलों में जाकर कुछ दिन होमवर्क किया। फाइनली यही तय किया कि ट्रिब्यून स्कूल में ही बच्चों को पढ़ाया जाये, अगर एडमिशन मिल जाये तो। विकल्प के तौर पर और स्कूलों के लिए भी तैयारी रखी थी, क्योंकि बच्चों को साथ ही लाना था। ट्रिब्यून स्कूल में बात की तो पता चला कि फॉर्म भरना होगा। बड़े बेटे को कक्षा 6 और छोटे को एलकेजी में दाखिला दिलाना था। हालांकि मैंने एक गलती कर दी कि छोटे का नर्सरी के लिए फॉर्म भर दिया। तीन महीने बाद अनुरोध और एक छोटे से टेस्ट के बाद उसे एलकेजी में दाखिला मिल गया। खैर... स्कूल में बताया गया कि बड़े बेटे की पहले लिखित परीक्षा होगी, फिर इंटरव्यू। छोटे का सिर्फ बातचीत आधारित टेस्ट। मैं तय तिथि के अनुसार एक हफ्ते के लिए बच्चों को लेकर आया। टेस्ट दिलवाया। दोनों का एडमिशन हो गया। बड़े बेटे कार्तिक ने यहां दसवीं तक पढ़ाई की और छोटा धवल अभी दसवीं में है। बड़ा अभी जॉब में लग गया है, छोटे की तमन्नाएं उड़ान भर रही हैं। धवल को साथ मिला है उसके मामा के बेटे भव्य जोशी का। भव्य के पिता भास्कर का दो साल पहले चंडीगढ़ ट्रांसफर हो गया। उन्होंने भी द ट्रिब्यून स्कूल में उसके लिए कोशिश की और एडमिशन मिल गया। 8 और 9 नवंबर, 2025 को हुए कार्यक्रम में लंबे अरसे बाद फिर एक बार कवरेज के लिए गया, हालांकि स्कूल की खबरें यदा-कदा करता रहता हूं। यह कार्यक्रम खास था। ऐसा यह दूसरा आयोजन है। इसमें मुख्य अतिथि रहे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अमन चौधरी। इस मौके पर द ट्रिब्यून ट्रस्ट के ट्रस्टी एवं पूर्व राज्यपाल गुरबचन जगत, महाप्रबंधक अमित शर्मा, प्रिंसिपल रानी पोद्दार, शिक्षकगण एवं विभिन्न विद्यार्थी मौजूद रहे।
इस दो दिवसीय आयोजन की कवरेज की पूरी स्टोरी और दैनिक ट्रिब्यून की क्लिप यहां साझा कर रहा हूं 



द ट्रिब्यून स्कूल में दो दिवसीय द ट्रिब्यून एमयूएन  
बेहतरीन मंच पर उत्साही बच्चों का वैश्विक हुनर
खुद से शुरुआत करें नेक कार्यों की : जस्टिस अमन चौधरी
बच्चे कल के नेता, सबको शुभकामनाएं : गुरबचन जगत
केवल तिवारी/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 8 नवंबर
विभिन्न देशों के 'प्रतिनिधि' एक मंच पर। संयुक्त राष्ट्र का नजारा। चर्चाएं अपने देश के संसद में भी। पक्ष-विपक्ष में बहस-मुबाहिसें। माहौल उत्साह का। कुछ सीखने का। जानकारी जुटाने को हर कोई आतुर क्योंकि ये राजनयिक, ये नेता और ये प्रतिनिधि सभी बच्चे हैं। जी हां, शनिवार को सेक्टर 29 स्थित 'द ट्रिब्यून स्कूल' प्रांगण का नजारा जोश और उत्साह से भरपूर था। मौका था दो दिवसीय 'ट्रिब्यून मॉडल युनाइटेड नेशंस (एमयूएन)' के सीजन-दो का। इस कार्यक्रम के पहले दिन ट्राईसिटी के विभिन्न स्कूलों के 250 विद्यार्थियों ने पंजीकरण करायाचितकारा विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित और ग्रिड एडवरटाइजिंग द्वारा संचालित इस दो दिवसीय द ट्रिब्यून एमयूएन के उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि रहे पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के जस्टिस अमन चौधरी। कार्यक्रम में नागालैंड, मणिपुर के पूर्व राज्यपाल एवं द ट्रिब्यून के ट्रस्टी गुरबचन जगत, ट्रिब्यून ट्रस्ट के महाप्रबंधक अमित शर्मा आदि मौजूद रहे। इस तरह के आयोजन की सराहना करते हुए अपने संबाेधन में मुख्य अतिथि जस्टिस चौधरी ने कहा, 'विचारों में असहमति हो सकती है, लेकिन दूसरों को सुनना भी बहुत बड़ी कला है।' कार्यक्रम में शिरकत कर रहे बच्चों को सौभाग्यशाली बताते हुए जस्टिस चौधरी ने कहा कि अपनी तुलना किसी दूसरे से मत कीजिए, हर कोई 'यूनीक' है। प्रतियोगी भाव रखिए, लेकिन ईर्ष्या नहीं। साथ ही उन्होंने किसी भी नेक कार्य की शुरुआत खुद से करने पर जोर दिया। अपने संबोधन में पूर्व राज्यपाल एवं द ट्रिब्यून के ट्रस्टी गुरबचन जगत ने युवा प्रतिभागियों को संयुक्त राष्ट्र के मॉडल से परिचित कराया और इसके इतिहास और अंतर्दृष्टि को साझा किया, ताकि युवा स्कूली विद्यार्थियों को संयुक्त राष्ट्र की अवधारणा समझने में मदद मिल सके। बच्चों से मुखातिब होते हुए उन्होंने कहा, 'आप सभी कल के नेता हैं। मैं सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देता हूं।' इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलन से हुई। स्कूल के संगीत विभाग ने सुंदर प्रस्तुति दी। प्रिंसिपल रानी पोद्दार ने अतिथियों का स्वागत करते हुए बच्चों को शुभकमानाएं दी। उद्घाटन समारोह के बाद बच्चों ने अलग-अलग सत्रों में अपने जोशीले अंदाज से अपनी बात रखीं। रविवार को कार्यक्रम का समापन होगा और विजयी टीमों को पुरस्कृत किया जाएगा। उद्घाटन दिवस पर, छात्रों ने संयुक्त राष्ट्र महासभा (यूएनजीए) में भाग लिया, जिसमें सतत विकास के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और शासन के नियमन पर चर्चा की गई। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) ने इज़राइल-गाजा संघर्ष के क्षेत्रीय प्रभावों की रोकथाम और मध्य पूर्व में स्थिरता पर चर्चा की। और, मानवाधिकार परिषद (एचआरसी) ने संघर्ष क्षेत्रों में यातना, मनमानी हिरासत और न्यायेतर हत्याओं पर बहस की। अंतर्राष्ट्रीय प्रेस, पत्रकारिता और फ़ोटोग्राफ़ी समितियों से जुड़े कार्यक्रमों के अलावा, ये कार्यक्रम रविवार को भी जारी रहेंगे।
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प्रोजेक्ट उड़ानभूमिकार्यक्रम का एक और मुख्य आकर्षण रहा- प्रोजेक्ट उड़ानभूमि। यह आनवी मधु चितकारा द्वारा स्थापित एक छात्र-नेतृत्व वाला गैर-सरकारी संगठन है जो पर्यावरण जागरूकता को समर्पित है। एनजीओ की टीम ने द ट्रिब्यून एमयूएन में एक स्टॉल लगाया। यहां टीम ने अपनी भावुक पहल 'एक पेड़ समर्पित करें' का प्रदर्शन किया। स्टॉल का नेतृत्व संस्थापक आनवी ने किया।
यहां पेस्ट कर रहा हूं उस खबर की क्लिप जो हमारे अखबार में प्रकाशित हुई। जय हो

दूसरे दिन की कवरेज 


प्रतिभा को मंच मिला तो सपनों के फलक पर लहराया परचम 
द ट्रिब्यून स्कूल में दो दिवसीय द ट्रिब्यून एमयूएन संपन्न 
केवल तिवारी/ट्रिन्यूचंडीगढ़, 9 नवंबर 
हर प्रतिभागी ने अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया। जिस देश का प्रतिनिधित्व मिला, वहां की बात को तर्कों के साथ रखा। इन राजनयिकों, नेताओं के बीच से 'सर्वश्रेष्ठ का चयन' करना एकबारगी निर्णायक मंडल के लिए भी मुश्किल हो गया। आखिरकार मंच पर अपनी प्रतिभा का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वालों को लगा मानो सपनों के फलक पर सच का परचम लहरा दिया। जो पुरस्कृत श्रेणी में नहीं आ सके, उन्हें भी बहुत कुछ सीखने को मिला। हम बात कर रहे हैं सेक्टर 29 स्थित द ट्रिब्यून स्कूल में आयोजित दो दिवसीय 'द ट्रिब्यून मॉडल युनाइटेड नेशंस (एमयूएन)' के समापन समारोह का। रविवार शाम कार्यक्रम में प्रतिभागी ट्राईसिटी के अनेक स्कूलों के बच्चों में सर्वोत्तम प्रस्तुति देने वालों को पुरस्कृत किया गया। पंजाब विश्वविद्यालय के विधि विभाग की अध्यक्ष डॉ. वंदना अरोड़ा, द ट्रिब्यून की प्रधान संपादक ज्योति मल्होत्रा; द ट्रिब्यून के महाप्रबंधक अमित शर्मा और द ट्रिब्यून स्कूल की प्रधानाचार्या रानी पोद्दार ने विजेताओं को पुरस्कृत किया। चितकारा विश्वविद्यालय द्वारा प्रायोजित और ग्रिड एडवरटाइजिंग द्वारा संचालित इस दो दिवसीय द ट्रिब्यून एमयूएन समारोह के समापन पर जिन विद्यार्थियों को विभिन्न श्रेणियों के तहत विजेता घोषित किया गया उनमें यूएनजीए के तहत कार्यकारी बोर्ड एक व दो के सहजप्रीत सिंह और तपन भारद्वाज शामिल रहे। इनके अलावा हंसराज पब्लिक स्कूल, पंचकूला के धैर्य गुप्ता, चितकारा इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर 25 की गुरबाई बोपाराय, सेंट ऐनी स्कूल, सेक्टर 32 के कैविश शर्मा, आशियाना पब्लिक स्कूल, सेक्टर 46 की कायरा अरोड़ा, सेंट स्टीफंस स्कूल, सेक्टर 45 के अक्षांश ठाकुर, द ट्रिब्यून स्कूल, सेक्टर 29 की मोनिशा, चितकारा इंटरनेशनल स्कूल के हरलिव कौड़ा, आशियाना पब्लिक स्कूल की शरण्या पाठक शामिल रहे। यूएनएचआरसी समिति में कार्यकारी सदस्य अरहंत महाजन (अध्यक्ष) और हेमंक्ष गुप्ता (उपाध्यक्ष) के अलावा रेयान इंटरनेशनल स्कूल, सेक्टर 49 के राघव शर्मा, ब्लॉसम्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पटियाला के सुखमन वासाती, यादवेंद्र पब्लिक स्कूल, मोहाली के ऐशनी सिंह, हंसराज पब्लिक स्कूल, पंचकूला के दक्षेश, सेंट कबीर, सेक्टर 26 के अयान गर्ग, द ट्रिब्यून स्कूल की मिष्टी मनचंदा, को चयनित किया गया। यूएनएससी (समिति 3) के कार्यकारी बोर्ड में अभिजय नागल शामिल रहे। इसमें हंसराज पब्लिक स्कूल, पंचकूला की आराध्या गुप्ता, के अलावा गुरु नानक पब्लिक स्कूल, सेक्टर 36 के वशवीर, अभिरूप पुरस्कृत हुए। इनके अलावा सेंट जोसेफ सीनियर सेकेंडरी स्कूल, सेक्टर 44 के जयवर्धन, बीवीसी के अर्नव पुरा, दिल्ली पब्लिक स्कूल, सेक्टर 40 के कबीर सिंह, द ट्रिब्यून स्कूल के ध्रुव गर्ग, सेंट जोसेफ स्कूल की तन्वी, समरबीर कंबोज की कार्यकारी समिति वाली एआईपीपीएम समिति (4) ने हंसराज पब्लिक स्कूल, पंचकूला के हिमाक्ष चौधरी (रिचर्ड वी) को सर्वश्रेष्ठ प्रतिनिधि चुना गया। इनके अलावा गुरुकुल ग्लोबल स्कूल के अर्नव गुप्ता, माउंट कार्मेल स्कूल के देवांश शर्मा, गुरु नानक पब्लिक स्कूल की फलक शेखू, गुरुकुल ग्लोबल स्कूल के नाभिज कौड़ा का विशेष उल्लेख किया गया। आयुष्मान मोंगा की कार्यकारी समिति (4) के तहत हंसराज पब्लिक स्कूल के परमवीर को सर्वश्रेष्ठ पत्रकार के लिए चयनित किया गया। इनके अलावा सेंट सोल्जर स्कूल, पंचकूला की निधानी, गुरु नानक पब्लिक स्कूल की मिथिलेश को सर्वश्रेष्ठ फोटो पत्रकार और ट्रिब्यून स्कूल की प्रेरणा को विशेष उल्लेख के तहत चयनित किया गया।