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Wednesday, March 29, 2023

भाजपा, बसपा, और सपा तो फिर आपा क्यों नहीं

 केवल तिवारी

पिछले दिनों एक यात्रा के दौरान एक सज्जन ने राजनीतिक बहस छेड़ दी। हालांकि राजनीति पर बहस मुझे ज्यादा सुहाती नहीं, सिवा किसी खबर के संबंध में चर्चा के। लेकिन वह व्यक्ति कई लोगों से मुखातिब था, उनमें से मैं भी एक था। रोचक यह था कि उसकी चर्चा किसी की जीत हार को लेकर नहीं थी या पक्ष-विपक्ष पर भी नहीं। उसकी चर्चा थी आम आदमी पार्टी (आप) के नाम को लेकर। वह बोले, 'आप अखबार वाले (इशारा मेरी ओर था) जब भारतीय जनता पार्टी को भाजपा, बहुजन समाज पार्टी को बसपा और समाजवादी पार्टी को सपा लिखते हैं तो आम आदमी पार्टी को आप क्यों लिखते हैं, आपा क्यों नहीं।' मुझे उसकी बात में कुछ दम तो लगा, फिर मैंने कहा कि कई वरिष्ठ नेता भाजपा को भी कभी-कभी भाजप कह देते हैं। वह इस तर्क को नहीं माने, बोले कहने और लिखने की बात हो रही है। तभी कुछ लोग आम आदमी पार्टी को आप ही रहने देने के पक्ष में दिखे। बोले, 'अब जब आप नाम ही चलन में आ गया है तो उस पर बहस की कोई गुंजाइश नहीं रहनी चाहिए।' बहस इस कदर बढ़ी कि लोग शहरों, सड़कों के नामकरण की बातों पर बोलने लगे। कुछ का कहना था कि क्या जरूरत है नाम बदलने की, कुछ बोले- अगर कोई सड़क, शहर या रेलवे स्टेशन विदेशी आक्रमणकारियों के नाम पर है तो उसमें बदलाव में हर्ज ही क्या? बहस बढ़ते-बढ़ते जोर-जोर से चिल्लाने तक में भी बढ़ गयी। तभी मैं बोला, मुद्दा भटक गया है। राजनीतिक दल के नाम पर आइये। इसी दौरान मेरे उतरने का वक्त आ गया। उतरते-उतरते एक सज्जन मुस्कुराते हुए बोले, अब आप क्या लिखेंगे। मैं बोला आप बहस पूरी कर लो, फिर देखते हैं। वैसे आप लोग क्या कहते हैं। भाजपा, बसपा, सपा की तरह आपा या आप?

1 comment:

Anonymous said...

बात तो पते की है