indiantopbligs.com

top hindi blogs

Wednesday, April 5, 2023

धवल की नयी किताबें और ईजा की याद

 केवल तिवारी 

स्कूली सफर, किताबों की दुनिया, सपनों का 

धवल संसार 

भावना का उमड़-घुमड़, थोड़ी चपलता, ढेर सारा प्यार। 

क्लास बदली, डगर बढ़े, सपनों का ऊंचा हुआ आकाश 

कुछ यादें आईं, कुछ बातें बनाईं जीवन पथ का सारांश।   

नयी किताबों में मशगूल धवल

नयी किताबों संग कक्षा आठ में धवल

अपनी मम्मी के साथ जिल्द चढ़ाने में व्यस्त


हर साल मार्च के अंत में बच्चों की नयी किताबें आती हैं। नोट बुक्स खरीदे जाते हैं। इस बार भी मार्च आया। इस बार ऐसा मार्च धवल का ही रहा। कार्तिक तो हॉस्टल में है और पिछले दो सालों से उसकी पढ़ाई की डगर अलग है, कॉपी किताबों का वह खुद ही खेवनहार है (@IIT ROPAR)। खैर पहले धवल का रिजल्ट आया फिर किताबें। हर बार की तरह इस बार भी मुझे ईजा की याद आई। यूं तो मेरे जीवन में भी ऐसे अवसर कम से कम 12 बार तो आए ही होंगे। यानी पहली से 12वीं कक्षा तक, लेकिन मुझे याद आता है चौथी क्लास का ही वह मंजर जब ईजा करीब 10 किलोमीटर पहाड़ी चढ़ाई पार कर किसी के घर गयीं। उनसे सेकेंड हैंड किताबें देने की अनुनय विनय की। यह भी कहा कि आधी कीमत दे देंगे, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। ईजा को खाली हाथ देखकर मैं उदास हो गया। हमारी मां बहुत गंभीर थी। भावनाओं का उमड़-घुमड़ उसके मन में खूब था, लेकिन बाहर से सख्त लगती थी। शायद हालात ने ऐसा बना दिया होगा। रोते हुए मैंने उसे बहुत कम देखा। कभी-कभी देखा भी तो चुपचाप सिसकते हुए। खैर मेरी हालत देखकर उसने ढांढस बंधाया और अगले दिन फिर उसी व्यक्ति के घर गयी। इस बार वह व्यक्ति पसीज गए और उन्होंने किताबें दे दी। मुझे शौक था कि जैसे ही किताब आएगी मैं वह कविता पढूंगा जिसके शब्द थे, ‘उठो लाल अब आंखें खोलो, पानी लाई हूं मुंह धो लो।’ बच्चों को यह किस्सा कई बार सुना चुका हूं, लेकिन मेरे मन में इस किस्से की याद है। 

किस्से अपने-अपने 

जब मैं यह बात बच्चों को बताता हूं तो पत्नी भावना भी कहती है कि उनके लिए कंट्रोल से थोक में कॉपियां आती थीं। वे लोग भी जिल्द चढ़ाने में एक उत्सव जैसे माहौल को जीते थे। धवल ने इस बार भी कुछ सवाल अपनी मां से पूछे। एक दिन बातों बातों में बच्चों ने पूछ ही लिया कि बचपन की बातें बताओ, इसकी चर्चा अगले किसी ब्लॉग में फिलहाल कुछ शेर ओ शायरी के जरिये इन्हीं भावनाओं की बातें पेश हैं- 

मां के संबंध में :  

आप के बा'द हर घड़ी हम ने, आप के साथ ही गुज़ारी है  

 

सब की यादों को लेकर-  

यादों की बौछारों से जब पलकें भीगने लगती हैं, सोंधी सोंधी लगती है तब माज़ी की रुस्वाई भी। 

इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल में, वीरानी होती है तो हैरानी होती है।  

1 comment:

Anonymous said...

माता जी को नमन