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Friday, April 28, 2023

दुबई यात्रा : बातें-वातें और कल्पनाओं के पंख

 केवल तिवारी 


दुबई की एक शाम, भांजों के नाम।


यहां लोगों में ट्रैफिक सेंस गजब का। पैदल चलने वाला कोई व्यक्ति सड़क पार कर रहा हो तो बड़ी-बड़ी गाड़ियां भी रुक जाती हैं। शाम का नजारा एकदम अलग ही होता है। भारत और पाकिस्तान के लोग बहुतायत में हैं। भाषा और भोजन जैसी दिक्कत नहीं आती। और भी बहुत कुछ है, जानने, समझने और आनंद लेने के लिए। ये बातों मैं अपनी स्मरण शक्ति के आधार पर कर रहा हूं। दुबई के बारे में सबसे पहले भानजे सौरभ ने किया था। वह करीब चार सालों से वहां जॉब कर रहा है। उसके बाद दीदी-जीजाजी वहां गये। उन्होंने कई बातें बताईं। जीजाजी द्वारा कहे गए लूलू मॉल के बारे में बच्चे बहुत आनंद लेते हैं। उनको पहले यह नाम अजीब लगता था, लेकिन जब से इसी मॉल की एक शाखा लखनऊ में खुल गई है, तब से उन्हें विश्वास हो गया है कि हां यह बहुत प्रसिद्ध मॉल है। खैर आते हैं दुबई पर। यह ब्लॉग आज इसलिए कि पिछले दिनों दो भांजे गौरव और कुणाल भी दुबई से लौटे हैं। ये दोनों अपने बड़े भाई यानी सौरभ के निमंत्रण पर वहां गये। वहां जाकर भी मुझसे व्हाट्सएप के जरिये बातचीत होती रही। वीडियो कॉल जैसी भी आजकल सुविधाएं हो चुकी हैं। दोनों ने जो बातें की उससे अंदाजा लगा कि दुबई महंगा तो है, लेकिन अनुशासित है। अनुशासन बहुत जरूरी है। खासतौर पर ट्रैफिक सेंस तो बहुत जरूरी। हमारे देश के कुछ राज्यों को छोड़ दें तो ज्यादातर जगह ट्रैफिक का बेड़ा गर्क है। कुछ इलाकों में तो इसी घटिया ट्रैफिक सेंस की वजह से जाम लगता है और एक्सीडेंट होते हैं। वैसे यात्रा वृतांत में दीदी ने बताया था कि वहां चोरियां भी नहीं होती। घर के बाहर भी अगर कोई डिलीवरी बॉय सामान रख जाये तो उसे कोई नहीं लेता। सख्त कानून का असर है शायद यह। भानजों ने बताया कि मौसम भी वहां सामान्य रहता है। 





सचमुच दुबई एक प्रकार से इमारतों की नगरी है। रेतीला इलाका है, लेकिन वहां लोगों ने मेहनत और इच्छाशक्ति के जरिये इतनी हरियाली कर दी है कि आज वह औरों के लिए मिसाल बन गयी है। यात्रा करती रहनी चाहिए और यात्रा वृतांत भी लिखते-सुनाते रहने चाहिए। आज दुबई की बस इतनी सी बात। विस्तार से फिर कभी। बस यहां पर एक मशूहर शेर याद आ रहा है 

सैर कर दुनिया की ग़ाफ़िल ज़िंदगानी फिर कहाँ, ज़िंदगी गर कुछ रही तो ये जवानी फिर कहाँ। 

अपने सफर के साथ ऑन लाइन माध्यम से मुझे हमसफर बनाने के लिए भानजों, दीदी और जीजाजी का दिल से धन्यवाद

1 comment:

Anonymous said...

बेहतरीन रचना