केवल तिवारी
'क्या करें इस आइसोलेशन का। नाम इतना बड़ा है और हमारा घर छोटा', अरुण जी अपने मित्र सौमित्र से फोन पर बात करते हुए झल्लाए जा रहे थे। सौमित्र जी भी चिचिया गये, 'अरे जाओ काहे का बड़ा नाम। बेड़ा गर्क कर रखा है।' वह अपनी बात जारी रखते हुए बोले, 'बेवकूफी की तो हद हो रखी है। कोई बता रहा था कि बच्चों के नाम भी कोरोना पर ही पड़ रहा है। किसी बच्ची का नाम कोराना सिंह, किसी का नाम लॉकडाउन कुमार कोई सेनेटाइजर शर्मा हैं तो अब कोई ओमीक्रॉन रखने लगा है। सब पगला गए हैं और उन्हीं पागलों की जमात में तुम भी शामिल हो।' अरुण जी सौमित्र जी की पूरी कहानी के बीच में दसियों पर हेलो... हेलो... हेलो बोले जा रहे थे, लेकिन जो मजाल वह अपनी बात पूरी करने से पहले रुकते। जब अपनी बात पूरी कर ली तो बोले, 'काहे बीच में हेलो-हेलो चिल्ला रहे थे, सुनाई नहीं पड़ रहा था क्या?' अरुण जी ने शांत होकर कहा, 'दोस्त हम काहे पगलाये हैं, ये बताओ। हम तो बस आइसोलेशन का नाम ही तो बड़ा बता रहे हैं।' 'तो काहे का बड़ा है यह नाम, यही तो हम आपसे पूछ रहे हैं?' सौमित्र जी के तेवर जस के तस थे। दोनों के बीच फोन पर ही वाद-विवाद चल रहा था। अब तो अनलिमिटेड कॉल ऑप्शन सभी ने ले रखा है। इसलिए घंटों बात चल भी जाये तो क्या फर्क पड़ता है। वैसे अनलिमिटेड कॉल ऑप्शन से कुछ होता नहीं, कई लोगों की बातें तो अब जो कम हो गयी हैं। अपनी-अपनी व्यस्तता। किसी की किसी से बनती नहीं। कोई खुद को व्यस्त दिखाना चाहता है। किसी को सोशल मीडिया में एक्टिव रहने में मजा आता है... वगैरह-वगैरह कई कारण हैं फोन पर बात होने या न होने की। खैर आज तो अरुण जी और सौमित्र जी की बातें खूब हो रही थीं। मुद्दा, वही आजकल का हॉट टॉपिक। अरुण जी फिर बोले, 'अरे मैं कह रहा हूं कि आइसोलेशन सुनने में इतना बड़ा लगता है, लेकिन....', उनकी बात पूरी होने से पहले ही सौमित्र जी भड़क गए, 'फिर तुम बड़ा कहोगे। ऐसे तो लॉकडाउन भी बहुत बड़ा नाम है, स्पेलिंग मिला लो' फिर बीच में वह हंस पड़े, बोले, 'ओफहो तुम स्पेलिंग नहीं जानते होगे।' अरुण जी बोले, 'गनीमत है आप हंसे तो, वैसे हंसने की बात नहीं। यहां जान आफत में आई है और तुम हो कि मेरी बात का मतलब ही नहीं समझ रहे हो।' 'क्या बात है, बोलो', सौमित्र जी आदेशात्मक लहजे में बोले। 'अरे क्या बताएं, पत्नी को कोरोना जैसे लक्षण हैं, डॉक्टर कहते हैं कि आइसोलेट कर दो', 'ऐं क्या... सौमित्र फोन की तरफ देखकर ऐसे चौंके जैसे उनके फोन से ही कोरोना झांक रहा हो।' फिर तुरंत संयत होकर बोले, 'अरे तुरंते कर दो भैया आइसोलेट, लेट किए तो तुम लेट जाओगे।' अरुण जी फिर बोले, 'वही तो आपको समझाना चाह रहा हूं। कुल एक कमरे का मकान है, उसमें कहां बीबी को रखें, कहां खुद जायें।' सौमित्र बोले, 'अभी उसी कमरे में हो, तुमसे बोले थे कि दूसरा घर ले लो।' अरुण जी इस बात पर सिर्फ हंस दिये। फिर सौमित्र जी हंसते हुए बोले, 'एक कमरे का मकान है ना मजे में रहो, जब तुम्हें भी ऐसी ही दिक्कत हो जाये तो दोनों साथ-साथ आइसोलेशन में रहना।' फोन पर दोनों हंसने लगे, लेकिन समस्या गंभीर है। जिस व्यक्ति के पास एक ही कमरे का घर हो तो वह क्या करेगा। किसी एक के बीमार होने पर दूसरे का भी बीमार होना तय है। हालात ऐसे हैं। लोगों की नौकरियों पर बन आई है। बड़ा घर कैसे लें। हे ईश्वर इस महामारी का अब अंत ही कर दो।
2 comments:
सही बात।
good article
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