केवल तिवारी
आज बात एक ऐसे शख्स की जो निर्मल हैं और नरेंद्र हैं। संयोग देखिए कि जिस वक्त मैं यह ब्लॉग लिख रहा हूं, उस वक्त युवा दिवस की खबरों और लेखों की चर्चा हो रही है। युवा दिवस यानी स्वामी विवेकानंद जी और उनकी शिक्षाओं को समर्पित। स्वामी विवेकानंद यानी नरेंद्र। सीधे जुड़ गयी बात। विवेकानंद जी की शिक्षा के सागर में से कुछ बूंदें भी सहेज पाए तो यही बहुत बड़ी उपलब्धि होती है। निर्मल जी यही तो बताते हैं कि लक्ष्य साधे रखिए। ऊर्जावान बने रहिए। किसी का बुरा करने की सोचिए भी मत। बाकी कुछ नहीं कर पाएं तो इतना ही बहुत है। आज उनकी बात इसलिए कि पिछले दिनों उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने वरिष्ठ पत्रकार, साहित्कार एवं फीचर संपादक नरेंद्र निर्मल को सम्मानित करने का ऐलान किया है।
सम्मान सूची संबंधी एक खबर मैंने तैयार की थी, जिसका विवरण इसी ब्लॉग में आगे जाकर मिल जाएगा। अभी निर्मल जी की बात। मेरे लिए बड़े भाई जैसे और पथ प्रदर्शक जैसे। बच्चों को लेकर कोई बात करनी हो या फिर दफ्तर की कार्यशैली पर। चूंकि हमारा पेशा समान है। कई तरह की बातें होती हैं। कई बारीकियों को समझना होता है और कई बातों को इग्नोर करना होता है। निर्मल जी से जब भी बात होती है वह 'चुपचाप' कुछ कह देते हैं। असल में कई बार उन्होंने इस शब्द का इस्तेमाल किया है। मुझसे कहते हैं कि चुपचाप अपना काम करते रहना चाहिए। विभिन्न अखबारों में फीचर के कलेवर और फ्लेवर बदलते रहने वाले नरेंद्र निर्मल भाई साहब सलाह पर भी गौर करते हैं, अपना तर्क भी रहते हैं। परिवार के प्रति समर्पित व्यक्ति का काम के प्रति भी उतना ही समर्पण। हिंदी संस्थान से सम्मानित होने की सूचना को उनके जानकार और वरिष्ठ पत्रकार संजय जी ने फेसबुक पर साझा किया तो कमेंट्स की बौछार लग गयी। उन्होंने कुछ खास कमेंट्स का जिक्र करते हुए कहा कि इन महानुभावों से बहुत कुछ सीखा है। एक स्क्रीन शॉट यहां साझा करूंगा।
असल में निर्मल जी ने जिनसे सीखा या जिनसे प्रेरित हुए, उनका निस्संकोच जिक्र करते हैं। साथ ही बहुत बेबाकी से कहते हैं कि अब भी सीखने में लगा हूं। उनके आइडियाज दिल को छूने वाले होते हैं। जो काम उन्हें चुपचाप करना होता है, करते हैं। जिसको लेकर चर्चा करनी होती है, करते हैं। यानी सहज रहते हैं। जैसे स्वयं हैं, वैसे ही संस्कार बच्चों में हैं। इनका भाग्य अच्छा था कि इन्हें पत्नी भी उतनी ही अच्छी मिलीं। सुधा भाभी ने घर के अभिभावक की तरह हमें समय-समय पर अच्छी सलाह दी हैं। बच्चों को खिलाया है, समझाया है। एक बार फिर निर्मल परिवार को इस सम्मान की हार्दिक बधाई। उनके साथ ही उन सभी सम्मानित साहित्यकारों को दिल की गहराई से बधाई। सभी अपने-अपने क्षेत्र के महारथी हैं। अब नीचे साझा कर रहा हूं, वह खबर जो इन सबके सम्मानित होने की सूचना पर मैंने बनाई थी।
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वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र निर्मल को सम्मानित करेगा उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान
वरिष्ठ पत्रकार नरेंद्र निर्मल को उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान सम्मानित करेगा। निर्मल के साथ ही नौ अन्य साहित्यकारों को भी सम्मानित किया जाएगा। इस संबंध में जारी बयान के मुताबिक नरेंद्र निर्मल को लल्ली प्रसाद पांडेय बाल साहित्य पत्रकारिता सम्मान के लिए चयनित किया गया है। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने बाल साहित्य संवर्धन योजना के तहत राज्य के नौ साहित्यकारों को बाल साहित्य सम्मान 2023 देने की घोषणा की है। संस्थान की निदेशक डॉ. अमिता दुबे ने बताया कि प्रत्येक साहित्यकार को 51 हजार की धनराशि, अंगवस्त्र और प्रशस्ति-पत्र से सम्मानित किया जाएगा। इनके सम्मान का निर्णय पिछले दिनों समिति की बैठक में लिया गया। जिन अन्य साहित्यकारों को सम्मान के लिए चुना गया है उनका विवरण इस प्रकार है- लखनऊ की डॉ. करुणा पांडेय को सुभद्रा कुमारी चौहान महिला बाल साहित्य सम्मान, सहारनपुर के डॉ. आरपी सारस्वत को सोहनलाल द्विवेदी बाल कविता सम्मान, शाहजहांपुर के डॉ. मोहम्मद अरशद खान को अमृत लाल नागर बाल कथा सम्मान, अलीगढ़ के दिलीप शर्मा को शिक्षार्थी बाल चित्रकला सम्मान, गौतमबुद्ध नगर के बलराम अग्रवाल को डॉ. रामकुमार वर्मा बाल नाटक सम्मान, मथुरा के देवी प्रसाद गौड़ को कृष्ण विनायक फड़के बाल साहित्य समीक्षा सम्मान, लखनऊ के डॉ. दीपक कोहली को जगपति चतुर्वेदी बाल विज्ञान लेखन सम्मान, प्रतापगढ़ के अनिल कुमार ‘निलय’को उमाकांत मालवीय युवा बाल साहित्य सम्मान। बता दें कि उत्तर प्रदेश के नोएडा निवासी नरेंद्र निर्मल पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र प्रतिष्ठित नाम है। पिछले 4 दशक से वह विभिन्न प्रतिष्ठित समाचार पत्रों के फीचर विभाग में वरिष्ठ पदों पर कार्यरत रहे। उन्होंने बाल साहित्य को नया कलेवर और फ्लेवर दिया है।