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Thursday, November 26, 2020

अब कटारा जी की सूचना... बिछड़े सभी बारी-बारी

 केवल तिवारी

यह क्या हो रहा है? हर कुछ दिन बाद ऐसी सूचना। अभी दिनेश तिवारी जी के जाने की चर्चाएं ही चल रही थीं कि आज दोपहर पता चला राजीव कटारा जी नहीं रहे। हिंदुस्तान में जब मैं था वह स्पोर्ट्स एडिटर थे। मैंने जब 2008 में हिंदुस्तान छोड़ा और उनसे मिलने गया तो खुद सीट से उठकर उन्होंने मुझे गले लगा लिया। कुछ बातें हुईं और मुस्कुराते हुए वह मेरे साथ लोकल रिपोर्टिंग केबिन तक आये। उसके दो साल बाद उनसे फिर मिलने गया तो उन्होंने गर्मजोशीर से गले लगाया और मेरे साथ चलकर कई नये लोगों से मुलाकात कराई। उसके बाद उनसे फेसबुक पर ही बात होती। कभी-कबार व्हाट्सएप पर वह कुछ भेजते। 


उनके लेखन का कायल रहा हूं। फेसबुक पर वह त्योहारों पर छोटे-छोटे पीस लिखते जो कम शब्दों में बहुत कुछ सिखा जाते। कादंबिनी सरीखी पत्रिका के संपादक रहे कटारा जी से पिछले कुछ समय से बात करने का मन कर रहा था। खासतौर पर तब कादंबिनी के बंद होने की खबर आयी, लेकिन हिम्मत नहीं कर पाया। फिर सोचा कुछ दिन बाद बाद करूंगा। अभी पिछले दिनों अपने संपादक जी से उनके बारे में चर्चा हुई। तय हुआ कि कटारा जी से कुछ लिखवाया जाये। नये साल पर उनसे कुछ लिखने का आग्रह करेंगे। लेकिन वह मौका ही नहीं आया। कटारा जी चले गये। उनका वह मुस्कुराता चेहरा हमेशा याद रहेगा। हमेशा कुर्ते में ही रहने का उनका अंदाज भी निराला था। कटारा जी अभी समय तो नहीं हुआ था, लेकिन आप आखिर चले ही गये। हमेशा याद आएंगे। 

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