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Wednesday, January 19, 2022

यास्मीन का सफर, चलता रहे अनवरत

 केवल तिवारी

ये यास्मीन हैं। ऑफिस में मेरे साथी सतनाम जी की बेटी। वैसे इस परिचय से तो मैं अभी हाल ही में रू-ब-रू हुआ हूं। कुछ महीने पहले सतनाम जी मेरे पास आये थे। बेटी के बारे में बताया कि वह पंजाबी अदाकारा है। मैंने खुशी और आश्चर्य दोनों जताया। फिर वो बोले कि बेटी आपको जानती है क्योंकि वह ट्रिब्यून मॉडल स्कूल में पढ़ी है। मुझे सुनकर अच्छा लगा। असल में इसी स्कूल से मेरा बड़ा बेटा कार्तिक भी पढ़कर निकला है और अब छोटा बेटा पढ़ रहा है। मैंने घर जाकर कार्तिक से पूछा। उसने कहा, 'हां पापा यास्मीन दीदी हमसे सीनियर थीं और स्कूल की हेड गर्ल रह चुकी हैं।' अपनी बात में उसने यह भी जोड़ा कि वह अब पंजाबी सिनेमा में जाना-पहचाना चेहरा बन रही हैं। बहुत खुशी हुई यह जानकर। मैं यास्मीन पर एक प्रोफाइल कॉलम लिखना चाहता था, लेकिन फिर तय किया कि कुछ दिन बाद इस काम को अंजाम दिया जाएगा। इसी दौरान कोविड महामारी के कारण अखबारों में पेज कम हो गए और खबरें सीमित होने लगी। फिलवक्त यास्मीन चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में अंतिम सेमेस्टर की छात्रा हैं।
वह समझदारी भरा जवाब


पिछले दिनों यास्मीन का फोन ही आ गया। टैगोर थियेटर में एक नाटक 'जब शहर हमारा सोता है'  के सिलसिले में। इसके मंचन में यास्मीन का किरदार अहम था। यास्मीन के आग्रह पर मैंने कहा, 'यास्मीन मैं आ नहीं सकता, लेकिन इसकी कवरेज करवा दूंगा। कोई इनविटेशन या मैटर तैयार करवाना तो मुझे भेज देना।' यास्मीन ने मेरी बात का बहुत ही समझदारी से जवाब दिया। वह बोलीं, 'नहीं, एक्चुअली मैं तो चाहती थी कि आप इसे देखें। अगर कोई और आना चाहे तो आप बता देना।' मुझे यास्मीन का जवाब बहुत अच्छा लगा। एक मैच्योर कलाकार की तरह। असल में शाम का समय हमारे लिए बहुत काम वाला होता है। अगर साप्ताहिक छुट्टी वाला दिन होता तो मैं अवश्य जाता। मैंने दो-चार थियेटर प्रेमियों को मैसेज फॉरवर्ड किया। मेरी दुआ है कि यास्मीन इतनी सफलता पाए कि एक दिन उसका इंटरव्यू लेने के लिए मुझे समय लेना पड़े।
... और वह मंचन


रविवार 16 जनवरी को 'जब शहर हमारा सोता है' का मंचन टैगोर थियेटर में हुआ तो वहां पहुंचे लोगों ने बताया कि बहुत ही बेहतरीन था नाटक। उन्होंने बताया कि यूं तो सभी ने लाजवाब अभिनय किया और निर्देशन में हर बारीकी और प्रकाश का ध्यान दिया गया था, तराना का अभिनय बहुत ही जीवंत था। खुशी हुई कि तराना की ही भूमिका यास्मीन निभा रही थी। यही नहीं, कोविड महामारी के दौरान उदासी के आलम में दर्शकों ने इस मंचन को ताजगी का बूस्टर डोज बताया। जीरो परफॉर्मिंग आर्ट्स और अवलोकन थिएटर मंच ने पीयूष मिश्रा द्वारा लिखित नाटक प्रस्तुत किया। इसमें तराना की भूमिका अदा की यास्मीन ने। करीब पौने दो घंटे चले इस मंचन के दौरान एक भी दर्शक ऐसा नहीं था जो अपनी जगह से हिला हो। मंचन था ही इतना लाजवाब। नाटक का निर्देशन थिएटर बिरादरी के एक प्रमुख व्यक्तित्व साहिल मंजू खन्ना ने किया था।
चक्रेश कुमार, डॉ मनीष जांगड़ा की उपस्थिति में प्रस्तुत इस नाटक को देखने अनेक लोग पहुंचे थे। कोविड मानकों को मानते हुए इस मंचन को देखने के बाद लोगों ने बताया कि कोविड महामारी जैसी उदासीनता के बीच इस मंचन ने एक अलग ताजगी और अनूभूति दी। यास्मीन के अलावा इसमें आभास (विकास ठाकुर), विलास (साहिल मंजू खन्ना), असलम (यदुनंदन), तब्बसुम (हिना बत्रा), निशि (तरन्नुम खान), त्यागी (दिव्यांश कुमार) जैसे किरदारों ने बेहतरीन अदाकारी की। इनके अलावा खोपकर (अक्षय रावत), चाचा और मधमस्त (अंकज कुमार), चीना (कुणाल बत्रा), अंता (नमन धीमान), बबुआ (चिराग शर्मा), आवेन (खुशी पंडोत्रा), अकील (यक्ष पांडे), रफीक (साहिल पांडे), अख्तर (चेतन शर्मा), मोइन अली (रोहन ठाकुर), मुनीरा (साधिया)। ने भी इसमें भूमिका निभाई। यास्मीन के अभिनय का अलग ही लेवल था।
इच्छा है प्रेरक अभिनय की
यास्मीन ने बताया कि उसकी इच्छा प्रेरक अभिनय यानी जो दूसरों को प्रेरणा दे सके, वैसा अभिनय करने की है। अभिनय के क्षेत्र में कैसे आना हुआ और आपका ड्रीम रोल क्या है, पूछने पर यास्मीन ने कहा, 'स्कूली पढ़ाई के दौरान वार्षिक समारोह में परफॉर्म का मौका मिला जो मंच पर अभिनय का मेरा पहला अनुभव था। यूनवर्सिटी में कुछ सीनियर्स से गीत पेश करने के लिए कहा, तब मैंने पहली बार कैमरा फेस किया। फिर मुझे अभिनय में आनंद आने लगा। मुझे अहसास हुआ कि मैं अपनी कला को निखार सकती हूं और अभिनय में आगे बढ़ सकती हूं। साथ ही अभिनय से मुझे काफी खुशी और सुकून मिलता है। जहां तक बात है मेरे ड्रीम करैक्टर अभिनय की तो मैं दिल से चाहती हूं कि कोई प्रेरक अभिनय करूं।' सचमुच अपने बलबूते पर यास्मीन अभिनय की कुछ सीढ़ियों पर चढ़ चुकी हैं। निश्चित रूप से उन्हें सफलता मिलेगी क्योंकि ऐसे ही लोगों के लिए बशीर बद्र साहब ने कहा है-
हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है
जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा

3 comments:

Yasmeen said...

Aapne itna kuch observe kiya jo mere liye bhot hee unexpected hai...bhot khushi hui jaankar , apne sach mein mere haunsle ko aur bhi zyada bdhaa diya hai. it really means alot to me. Shukriya ❤️

Unknown said...

God bless you dear ..I know you are going to achieve great heights after seeing your performance in school plays...I still your performance as dadi of lagan in which we got first position....stay blessed

kewal tiwari केवल तिवारी said...

God bless you. भगवान आपको खूब तरक्की दे।